जयपुर. रोशनी और खुशियों का पर्व दीपावली 10 बच्चों सहित 13 लोगों के जीवन में अंधेरा लेकर आया है. बीते 3 दिन में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में आतिशबाजी और पटाखे चलने से जख्मी हुए 40 से ज्यादा पीड़ित पहुंचे. इनमें झुंझुनू के एक बच्चे के तो दोनों आंखों की रोशनी चली गई, जबकि 12 लोगों की एक आंख की रोशनी गई है.
40 लोग पहुंचे अस्पतालः जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में बीते 3 दिन में आतिशबाजी से जख्मी हुए प्रदेश के अलग-अलग शहरों से 40 लोग पहुंचे. अस्पताल के आप्टोलोजी विभाग के हेड डॉ. पंकज शर्मा ने बताया कि आतिशबाजी की चपेट में आए बच्चों की माइनर और मेजर सर्जरी की गई है. इसमें 13 मेजर सर्जरी हुई हैं. इसमें 12 बच्चों की एक आंख की रोशनी चली गई, जबकि झुंझुनू से रेफर होकर आए एक बच्चे की दोनों आंखों की सर्जरी की गई. उन्होंने बताया कि सुतली बम चलाने से बच्चा जख्मी हुआ था. ऑपरेशन में पता लगा कि उसकी बाईं आंख पूरी तरह डैमेज हो चुकी है, जबकि दाईं आंख को बचाने के लिए ऑपरेशन किया गया है. आंखों की पट्टी खुलने के बाद भी तय हो पाएगा कि एक आंख की रोशनी बची है या नहीं.
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इस वजह से आंखें हुईं डैमेजः डॉ. पंकज ने बताया कि एक बच्चे की आंख पेंसिल (रोशनी) और एक की फव्वारा (अनार) से चली गई. इसके अलावा एक 2 साल के मासूम को बम का पत्थर आकर लगा, जिससे उसकी आंख पूरी तरह डैमेज हो गई. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से दो तरह के पीड़ित सामने आए. किसी को बम के पीछे लगा पत्थर लगा तो कोई बम के अचानक फटने से आंख में बारूद जाने की वजह से जख्मी हुए. इनके ऑपरेशन आंख की संरचना को बचाए रखने के लिए किए गए, जिससे पीड़ितों का चेहरा न बिगड़े. उन्होंने बताया कि अस्पताल में 12 बच्चों की माइनर सर्जरी भी की गई, जिन्हें ऑपरेशन के तुरंत बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. इन सभी सर्जरी में 90 फीसदी लोग 15 साल से कम उम्र के हैं. एक-दो को छोड़कर बाकी की आंख की रोशनी वापस आना मुश्किल है. जिनमें रोशनी वापस आने की संभावना होगी उनके सेकेंडरी प्रोसीजर किया जाएगा.