हनुमानगढ़. जिले में संगरिया-अबोहर सड़क को लेकर सार्वजनिक निर्माण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. ग्रामीणों की ओर से कई वक्त से सड़क को बनवाने की मांग की जा रही है, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. इसके साथ ही सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से पहले से ही सड़क पर एक बोर्ड तैनात कर दिया गया है. जिसमें काम पूरा होने का दावा और 75 लाख रुपए का बजट स्वीकृति की बात भी लिख दी है.
बता दें कि पिछले लंबे समय से संगरिया-अबोहर सड़क क्षतिग्रस्त होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण लम्बे समय से सड़क निर्माण की मांग कर रहे है. वहीं, जब ETV भारत की टीम ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि जिस सड़क निर्माण की मांग गांव वाले कर रहे है उस सड़क का सार्वजनिक निर्माण विभाग ने निर्माण कार्य पूर्ण होने का बोर्ड भी लगा दिया है. 75 लाख बजट स्वीकृति की बात भी लिख दी और कार्य भी ठेकेदार को दे दिया यानि कि सब कुछ हुआ, लेकिन जो नहीं हुआ वो है सड़क का निर्माण.
आम आदमी अपनी मांगों के लिए उतर रहा सड़कों पर
एक तरफ देश जहां गंभीर वैश्विक महामारी से जूझ रहा है और करीब पिछले 4 माह से महामारी से बचने के लिए लोग अपने घरों में रह रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ आम आदमी को मजबूरन अपनी मांगे मनवाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. ऐसी ही सड़क के निर्माण और पूरे मामले की जांच की मांग के लिए संगरिया क्षेत्र के ग्रामीणों ने शहीद भगत सिंह क्लब के बैनर तले अब आंदोलन का आगाज कर दिया है.
ग्रामीणों ने जताया अपना रोष
जहां एक ओर ग्रमीण थाली और ताली बजाकर विभाग और सरकार को जगाने का प्रयास कर रहे है. इसी थाली बजाओ अभियान के अंतर्गत संगरिया के निकटवर्ती गांव भगतपुरा में ग्रामीणों ने अपना रोष व्यक्त किया और ग्रामीणों ने सार्वजनिक निर्माण के घालमेल और स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी पर रोष व्यक्त करते हुए आए दिन होने वाली परेशानियों को तो बताया.
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ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण का बोर्ड तक लगा दिया गया, लेकिन सड़क आज तक बनी ही नहीं तो 75 लाख रुपए की राशि कहा गई. इसकी भी जांच होनी चाहिए और सड़क का निर्माण शीघ्र होना चाहिए, वरना वो आंदोलन को विशाल रूप देंगे.
सड़क नहीं बनी पर बोर्ड लगा दिया गया
वहीं, खास बात ये है कि सार्वजनिक विभाग की ओर से संगरिया-अबोहर सड़क निर्माण का ठेका श्रीगंगानगर जिले की हेमराज मेसर्स फर्म को दिया भी गया और एक सूचना बोर्ड लगाया गया है. जिस पर ये दर्शाया गया है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से उक्त 75 लाख रुपए की लागत से 3 साल की गारंटी शुदा सड़क का पिछले साल 4 जुलाई 2019 में काम पूरा होगा, लेकिन वहां सड़क का कोई नामो निशान ही नहीं है.
जब आदेश आएंगे तब बनेगी सड़क
जब हमनें सार्वजनिक निर्माण के विभाग के अधीक्षण अभियंता से बात की तो पहले तो उन्होंने बोर्ड लगने की बात से अनभिज्ञता जताई फिर बात को संभालते हुए सिस्टम और नियमों के हवाले से बोर्ड लगाने की बात कही. जब उनसे सड़क निर्माण कार्य कब तक होने की बात पूछी, तो उनका कहना था कि सरकार से इस सड़क निर्माण की दोबारा स्वीकृति मांगी गई है. जब आदेश होंगे तब सड़क बन जाएगी. हालांकि सरकारी नुमाइंदे होने के नाते वे बजट अभाव की बात कैमरे के सामने बोलने में झिझक रहे थे.
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सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को हटाने की मांग
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हनुमानगढ़ जिले में तैनात सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को यहां से तुरंत हटाने और उनकी ओर से लगातार की जा रही अनियमितताओं की जांच करवाने की मांग की. इसके अतिरिक्त स्थानीय भाजपा विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी से भी ग्रामीणों ने समस्या को हल करवाने की मांग की है.
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सरकार रो रही बजट का रोना
वहीं, जब संगरिया विधायक गुरदीप शाहपीनी से इस मसले पर बात की तो उन्होंने हमें उपमुख्यमंत्री का पत्र दिखाते हुए बताया कि वे इस बाबत संगरिया विधानसभा में अन्य जो भी अधरझूल में अटके विकास कार्य है उनके लिए विधानसभा तक में प्रश्न उठा चुके हैं, अधिकारियों से भी मिले है, लेकिन उनके प्रश्न के जवाब में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने उन्हें पत्र लिख कर आश्वसन तो दिया है, पर बजट की कमी की बात भी कही. साथ ही शाहपीनी का कहना था की सरकार हमेशा की तरह बजट का रोना रो रही है और इस मामले में भी ऐसा ही हो रहा है, लेकिन फिर भी वे अपने स्तर पर शीघ्र ही समस्या को हल करने का प्रयास करेंगे.
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पिछली भाजपा सरकार में शुरू हुए कार्यों को रोका गया
आम आदमी इस आस में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सत्तारूढ़ सरकार को दरकिनार कर दूसरी सरकार चुनती है की जो विकास कार्य एक सरकार ने नहीं करवाए वो दूसरी सरकार करवाएगी, लेकिन कमोबेश संगरिया तहसील सहित पूरे जिले की बात करें तो पिछली भाजपा सरकार में शुरू हुए अधिकतर कार्यों को रोक दिया गया है. जिसमें मुख्यता 450 करोड़ के जल को शुद्ध करने का प्लांट, सतीपुरा बाईपास पर ओवरब्रिज, गांधी नगर का अंडर पास सहित कई बड़े छोटे कार्य हैं, जो कांग्रेस सरकार ने रोक दिए हैं.
किसानों को अनाज लाने और ले जाने में हो रही दिक्कत
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उन्होंने कहा कि यही हाल काफी सालों से टूटी फूटी इस सड़क के प्रोजेक्ट का हुआ है. इसके कारण किसानों को फसल लाने और ले जाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वजन से भरी ट्राली के हुक और बेरिंग अक्सर टूट जाते हैं और बाजार तक फसल पहुंचाने में बहुत दिक्कतें होती है, इसके अतिरिक्त बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को लाने और ले जाने में भी बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में तो हालात और भी बदतर हो जाते हैं और काफी दुर्घटनाएं भी घटित होती है. अब देखने वाली बात होगी की मीडिया में मामला आने के बाद ग्रामीणों को राहत देते हुए कब तक सड़क निर्माण का कार्य शुरू होता है.