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निजी शिक्षण संस्थान और राजस्थान सरकार आमने-सामने, कहा- हमारी मांग पूरी करे सरकार

हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति और निजी स्कूल संचालकों द्वारा कारोना काल में सरकार की नीतियों के विरोधस्वरूप पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान समिति की समन्यक हेमलता शर्मा ने शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भी शिक्षा विभाग के मंत्री हैं, जब स्कूल ही नहीं खुल रहे तो वे वेतन और अन्य लाभ क्यों उठा रहे है.

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Published : Aug 6, 2020, 6:02 PM IST

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सरकार के खिलाफ हल्ला-बोल

हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान की समन्यक हेमलता शर्मा और निजी स्कूल संचालकों ने कारोना काल में सरकार की नीतियों के विरोधस्वरूप पत्रकार वार्ता का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा.

निजी शिक्षण संस्थान और राजस्थान सरकार आमने-सामने

स्कूल संचालकों और हेमलता शर्मा ने बैठक में कहा कि, सरकार की दोहरी नीतियों और शिक्षा मंत्री द्वारा जारी किए गए बयान में लिखित आदेश के बाद भी प्राइवेट स्कूलों से जुड़े 11 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है. कोरोना के वजह से उत्पन्न हुई इस आर्थिक की तंगी के कारण चार स्कूल संचालकों ने आत्महत्या तक कर ली है. अभिभावक फीस जमा नहीं करवा रहे हैं और स्कूल संचालकों को शिक्षकों को भुगतान करना पड़ रहा है.

पढ़ेंः स्टेट ओपन स्कूल जयपुर में पढ़ने वाली 10वीं और 12वीं की छात्राओं को नहीं देना होगा परीक्षा शुल्क

दूसरी तरफ पिछले 3 वर्षों से प्राइवेट स्कूलों के आरटीई का भुगतान नहीं हुआ है. उक्त राशि को मय ब्याज 2 रुपए सैकड़ा के हिसाब से स्कूलों को सरकार को देना चाहिए. जिससे प्राइवेट स्कूल संचालकों के सामने आर्थिक तंगी के हालात उत्पन्न नहीं हो. साथ ही समिति की समन्वयक हेमलता शर्मा ने कहा की सरकार उनके आरटीई के पैसों से होटलों में मौज-मस्ती कर रही है.

उन्होंने कहा की नई शिक्षा नीति के तहत ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की फीस निजी विद्यालयों को दें, लेकिन सरकार उल्टा उनपर ही बोझ डाल रही है. इतना ही नहीं शर्मा ने शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भी विभाग के मंत्री है, जब स्कूल ही नहीं खुल रहे तो वे वेतन और अन्य लाभ क्यों उठा रहे है.

पढ़ेंः Report: भारत के वो राज्य जो हर साल 'तबाही' से करते हैं सीधा मुकाबला, लेकिन सरकारी इंतजाम ना के

साथ ही शर्मा ने मीडिया के जरिए चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगे सरकार ने शीघ्र नहीं मानी तो फिर मजबूर होकर इन 11 लाख से अधिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ेगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार और शिक्षा मंत्री की होगी.

बता दें कि जब से कोरोना वैश्विक महामारी के चलते निजी स्कूल बन्द हुए हैं. तब से ही निजी शिक्षण संस्थान और सरकार आमने-सामने है. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इससे किस तरह निपटती है और आंदोलन पर उतारू आक्रोशित शिक्षण संस्थान संचालकों को किस तरह शांत करती है.

हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान की समन्यक हेमलता शर्मा और निजी स्कूल संचालकों ने कारोना काल में सरकार की नीतियों के विरोधस्वरूप पत्रकार वार्ता का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा.

निजी शिक्षण संस्थान और राजस्थान सरकार आमने-सामने

स्कूल संचालकों और हेमलता शर्मा ने बैठक में कहा कि, सरकार की दोहरी नीतियों और शिक्षा मंत्री द्वारा जारी किए गए बयान में लिखित आदेश के बाद भी प्राइवेट स्कूलों से जुड़े 11 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है. कोरोना के वजह से उत्पन्न हुई इस आर्थिक की तंगी के कारण चार स्कूल संचालकों ने आत्महत्या तक कर ली है. अभिभावक फीस जमा नहीं करवा रहे हैं और स्कूल संचालकों को शिक्षकों को भुगतान करना पड़ रहा है.

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दूसरी तरफ पिछले 3 वर्षों से प्राइवेट स्कूलों के आरटीई का भुगतान नहीं हुआ है. उक्त राशि को मय ब्याज 2 रुपए सैकड़ा के हिसाब से स्कूलों को सरकार को देना चाहिए. जिससे प्राइवेट स्कूल संचालकों के सामने आर्थिक तंगी के हालात उत्पन्न नहीं हो. साथ ही समिति की समन्वयक हेमलता शर्मा ने कहा की सरकार उनके आरटीई के पैसों से होटलों में मौज-मस्ती कर रही है.

उन्होंने कहा की नई शिक्षा नीति के तहत ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की फीस निजी विद्यालयों को दें, लेकिन सरकार उल्टा उनपर ही बोझ डाल रही है. इतना ही नहीं शर्मा ने शिक्षा मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भी विभाग के मंत्री है, जब स्कूल ही नहीं खुल रहे तो वे वेतन और अन्य लाभ क्यों उठा रहे है.

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साथ ही शर्मा ने मीडिया के जरिए चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगे सरकार ने शीघ्र नहीं मानी तो फिर मजबूर होकर इन 11 लाख से अधिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ेगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार और शिक्षा मंत्री की होगी.

बता दें कि जब से कोरोना वैश्विक महामारी के चलते निजी स्कूल बन्द हुए हैं. तब से ही निजी शिक्षण संस्थान और सरकार आमने-सामने है. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इससे किस तरह निपटती है और आंदोलन पर उतारू आक्रोशित शिक्षण संस्थान संचालकों को किस तरह शांत करती है.

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