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कृषि कानूनों के विरोध में हनुमानगढ़ में किसान महापंचायत का आयोजन

कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सयुंक्त किसान मोर्चा ने हनुमानगढ़ में किसान महापंचायत का आयोजन किया है. सभा में सयुंक्त किसान मोर्चा के अगुवा नेता और काफी संख्या में पंजाबी कलाकर किसानों के समर्थन में शामिल हुए.

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Published : Mar 14, 2021, 11:29 AM IST

Hanumangarh news, Kisan Mahapanchayat
कृषि कानूनों के विरोध में हनुमानगढ़ में किसान महापंचायत का आयोजन

हनुमानगढ़. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सयुंक्त किसान मोर्चा तत्वाधान में हनुमानगढ़ टाउन की धान मंडी में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. सभा में सयुंक्त किसान मोर्चा के अगुवा नेता और काफी संख्या में पंजाबी कलाकर किसान महापंचायत में पहुंचे और काफी संख्या में किसान और आमजन भी पंचायत में शामिल हुए.

कृषि कानूनों के विरोध में हनुमानगढ़ में किसान महापंचायत का आयोजन

सभा में वक्ताओं के निशाने पर केंद्र सरकार रही और सभी ने एक मत होकर तीनों कृषि कानून वापिस लेने और किसान नेताओं ने सभी से अधिक से अधिक इस आंदोलन में जुड़ने की अपील की और पंजाब-हरियाणा से आए कलाकारों श्रीबरार, निशांत भुल्लर आदि ने गीतों के जरिए सरकार पर निशाना साधा. वहीं सभा में पंजाब के लुधियाना से आया एक बच्चा हर्ष चीमा चर्चा का विषय बन गया, जब उसने स्टेज से यूपी के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार को ललकारते हुए कृषि कानून वापस लेने की चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार किसान दिल्ली जीतेंगे. सभा के दौरान किसानों और आमजन के लिए धन-धन भाई रूपचंद खालसा आर्मी ग्रुप और अन्य संगठनों द्वारा चाय और लंगर का प्रबंध भी किया गया.

किसान के जमीर और पगड़ी की लड़ाई

सरकार अपनी बात पर अड़ी है. वहीं किसान भी सरकार को झुकाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं और आंदोलन से अधिक से अधिक लोग और किसान जुड़ सके, इसके लिए किसान सभा का आयोजन किया गया. सभा में पहुंचे किसान नेता जगजीत सिंह दलेवाल और अभिमन्यु कुहाड़ ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो ये अंदोलन इतना फैलेगा की सरकार से संभले नहीं संभलेगा क्योकि ये लड़ाई "जमीन" को बचाने के साथ-साथ "जमीर" की लड़ाई है.

यह भी पढ़ें- धर्म और उससे जुड़े मूल्य कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकते हैं: राज्यपाल मिश्र

"फसल" को बचाने के साथ-साथ आने वाली "नस्ल" को बचाने की लड़ाई है. वहीं राजस्थान में आंदोलन पैठ नही बना पा रहा के जवाब पर दलेवाल का कहना था कि ये लड़ाई लंबी चलेगी. आज नहीं, तो कल यहां के किसानों को भी समझ आ जाएगी और धीरे-धीरे राजस्थान में भी उबाल आ जाएगा. बता दें कि किसान और किसान संघठन पिछले 105 दिन से दिल्ली के बॉर्डर आंदोलनरत है और सरकार से कई दौर की वार्ता भी कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई नतीजा नहीं निकला है.

हनुमानगढ़. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सयुंक्त किसान मोर्चा तत्वाधान में हनुमानगढ़ टाउन की धान मंडी में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. सभा में सयुंक्त किसान मोर्चा के अगुवा नेता और काफी संख्या में पंजाबी कलाकर किसान महापंचायत में पहुंचे और काफी संख्या में किसान और आमजन भी पंचायत में शामिल हुए.

कृषि कानूनों के विरोध में हनुमानगढ़ में किसान महापंचायत का आयोजन

सभा में वक्ताओं के निशाने पर केंद्र सरकार रही और सभी ने एक मत होकर तीनों कृषि कानून वापिस लेने और किसान नेताओं ने सभी से अधिक से अधिक इस आंदोलन में जुड़ने की अपील की और पंजाब-हरियाणा से आए कलाकारों श्रीबरार, निशांत भुल्लर आदि ने गीतों के जरिए सरकार पर निशाना साधा. वहीं सभा में पंजाब के लुधियाना से आया एक बच्चा हर्ष चीमा चर्चा का विषय बन गया, जब उसने स्टेज से यूपी के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार को ललकारते हुए कृषि कानून वापस लेने की चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार किसान दिल्ली जीतेंगे. सभा के दौरान किसानों और आमजन के लिए धन-धन भाई रूपचंद खालसा आर्मी ग्रुप और अन्य संगठनों द्वारा चाय और लंगर का प्रबंध भी किया गया.

किसान के जमीर और पगड़ी की लड़ाई

सरकार अपनी बात पर अड़ी है. वहीं किसान भी सरकार को झुकाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं और आंदोलन से अधिक से अधिक लोग और किसान जुड़ सके, इसके लिए किसान सभा का आयोजन किया गया. सभा में पहुंचे किसान नेता जगजीत सिंह दलेवाल और अभिमन्यु कुहाड़ ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो ये अंदोलन इतना फैलेगा की सरकार से संभले नहीं संभलेगा क्योकि ये लड़ाई "जमीन" को बचाने के साथ-साथ "जमीर" की लड़ाई है.

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"फसल" को बचाने के साथ-साथ आने वाली "नस्ल" को बचाने की लड़ाई है. वहीं राजस्थान में आंदोलन पैठ नही बना पा रहा के जवाब पर दलेवाल का कहना था कि ये लड़ाई लंबी चलेगी. आज नहीं, तो कल यहां के किसानों को भी समझ आ जाएगी और धीरे-धीरे राजस्थान में भी उबाल आ जाएगा. बता दें कि किसान और किसान संघठन पिछले 105 दिन से दिल्ली के बॉर्डर आंदोलनरत है और सरकार से कई दौर की वार्ता भी कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई नतीजा नहीं निकला है.

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