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हनुमानगढ़: हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र ने लगाया अधिकारियों पर दबाव डालने का आरोप - rajasthan news

राज्यपाल को पत्र लिखकर हेड कांस्टेबल द्वारा परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति मांगने का मामला सामने आया था. पीड़ित पुलिसकर्मी ने मामले में अब उच्च अधिकारियों पर दबाव डालने का आरोप लगाया है. एसपी ने इस मामले में जिल से बाहर किसी अन्य अधिकारी से कराने की बात कही है.

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हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र ने लगाया अधिकारियों पर दबाव डालने का आरोप
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Published : Aug 6, 2020, 6:28 PM IST

हनुमानगढ़. राज्यपाल को पत्र लिखकर हेड कांस्टेबल द्वारा परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति मांगने का मामला सामने आया था. जिसके बाद एसपी ने पीड़ित पुलिसकर्मी को बुलाकर उनसे मुलाकात की और उनकी समस्याओं के समाधान की बात कही. लेकिन हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र आला अधिकारियों के आश्वासन से संतुष्ठ नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारी उन्हें लगातार दबाने का काम कर रहे हैं.

हेड कांस्टेबल ने बताया कि उसे एसपी ने मिलने को बुलाया था. जिसके बाद एसपी ने उनसे कहा कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को मामले में पहले अवगत क्यों करवाया. कैलाश चंद्र का कहना है कि उसने मामले में एसपी को भी पत्र लिखकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया था, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. उनको लगातार दबाव डालकर दबाया जा रहा है.

हेड कांस्टेबल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मांगी थी आत्महत्या की अनुमति

पढ़ें: ETV Bharat ने पीड़ित हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र से मिल जाना हाल, पुलिसकर्मी ने बताई अपनी पीड़ा

एसपी राशि डोगरा ने कहा कि पुलिसकर्मी से आधे घंटे बात की गई. उनकी समस्याओं को सुना गया. उनको आश्वासन दिलाया गया है कि इस पूरे मामले की जांच जिले के बाहर के किसी अधिकारी से करवाई जाएगी.

क्या है मामला

आपको बता दें कि हनुमानगढ़ के रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात एक हेड कांस्टेबल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर आला अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए परिवार सहित आत्महत्या की स्वीकृति मांगी थी. साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में रिट पिटीशन लगाने का भी जिक्र किया. इस पत्र को हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र ने पत्रकारों को भी भेजा. जिसके बाद पत्र वायरल होने पर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया.

पत्र में क्या लिखा था

हेड कांस्टेबल ने पुलिस के आला अधिकारियों और कर्मचारियों पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र में लिखा था कि उसे पदोन्नति परीक्षा से तो वंचित किया ही गया, साथ ही उसे अलग-अलग तरह से परेशान भी किया जा रहा है. कैलाश चंद्र ने रिजर्व पुलिस लाइन के एक अधिकारी पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि सड़क हादसे में घायल होने के बावजूद जान बूझकर उसकी ड्यूटी हार्डकोर बदमाशों को अजमेर जेल में छोड़ने के लिए लगाई गई. इस संदर्भ में जिला पुलिस अधीक्षक को लिखित में अवगत कराने के बावजूद कोई राहत नहीं दी गई.

हनुमानगढ़. राज्यपाल को पत्र लिखकर हेड कांस्टेबल द्वारा परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति मांगने का मामला सामने आया था. जिसके बाद एसपी ने पीड़ित पुलिसकर्मी को बुलाकर उनसे मुलाकात की और उनकी समस्याओं के समाधान की बात कही. लेकिन हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र आला अधिकारियों के आश्वासन से संतुष्ठ नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारी उन्हें लगातार दबाने का काम कर रहे हैं.

हेड कांस्टेबल ने बताया कि उसे एसपी ने मिलने को बुलाया था. जिसके बाद एसपी ने उनसे कहा कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को मामले में पहले अवगत क्यों करवाया. कैलाश चंद्र का कहना है कि उसने मामले में एसपी को भी पत्र लिखकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया था, लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. उनको लगातार दबाव डालकर दबाया जा रहा है.

हेड कांस्टेबल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मांगी थी आत्महत्या की अनुमति

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एसपी राशि डोगरा ने कहा कि पुलिसकर्मी से आधे घंटे बात की गई. उनकी समस्याओं को सुना गया. उनको आश्वासन दिलाया गया है कि इस पूरे मामले की जांच जिले के बाहर के किसी अधिकारी से करवाई जाएगी.

क्या है मामला

आपको बता दें कि हनुमानगढ़ के रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात एक हेड कांस्टेबल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर आला अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए परिवार सहित आत्महत्या की स्वीकृति मांगी थी. साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में रिट पिटीशन लगाने का भी जिक्र किया. इस पत्र को हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र ने पत्रकारों को भी भेजा. जिसके बाद पत्र वायरल होने पर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया.

पत्र में क्या लिखा था

हेड कांस्टेबल ने पुलिस के आला अधिकारियों और कर्मचारियों पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र में लिखा था कि उसे पदोन्नति परीक्षा से तो वंचित किया ही गया, साथ ही उसे अलग-अलग तरह से परेशान भी किया जा रहा है. कैलाश चंद्र ने रिजर्व पुलिस लाइन के एक अधिकारी पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि सड़क हादसे में घायल होने के बावजूद जान बूझकर उसकी ड्यूटी हार्डकोर बदमाशों को अजमेर जेल में छोड़ने के लिए लगाई गई. इस संदर्भ में जिला पुलिस अधीक्षक को लिखित में अवगत कराने के बावजूद कोई राहत नहीं दी गई.

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