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थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती 2018 से वंचित युवा न्याय के लिए भटक रहा दर-दर, नहीं मिल रही कोई मदद

थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती वर्ष 2018 में नियमों की आड़ में कई पात्र युवाओं का चयन नहीं हो पाया है. ऐसे युवा नोकरी की मांग के लिए भटक रहे है लेकिन सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. डूंगरपुर के एक वंचित छात्र का कहना है कि उसे भर्ती के लिए योग्य माना जाए.

थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती से वंचित युवा
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Published : Jun 21, 2019, 4:46 PM IST

डूंगरपुर. जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें नियमों की उलझन के कारण एक युवक शिक्षक भर्ती के लिए पात्र होते हुए भी वंचित रह गया और अब बेरोजगार होकर सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है. अनिल त्रिवेदी पुत्र मणिलाल त्रिवेदी निवासी वरसिंगपुर ने बताया कि उसने वर्ष 2009-10 में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से बीएड की डिग्री ली है. इसके बाद वर्ष 2018 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में भाग लिया. टीएसपी क्षेत्र में अंग्रेजी विषय की कट ऑफ 61.06 प्रतिशत रही जबकि उसके कुल प्राप्तांक 62.01 प्रतिशत थे. इसके बावजूद विभाग की ओर से चयनितों की सूची में शामिल नहीं किया गया.

न्याय के लिए युवा भटक रहा दर-दर

अनिल त्रिवेदी ने कहा कि जब उसे वंचित रखा गया तो शिक्षा निदेशालय बीकानेर से जानकारी ली गई तो बताया कि बीएड में प्रवेश 31 अगस्त 2009 के बाद का है और बीए में प्राप्तांक 50 प्रतिशत से कम है जिसके कारण अपात्र बताया गया. अनिल ने बताया कि जब उसने 2009 में बीएड में प्रवेश लिया था तब स्नातक सामान्य वर्ग के लिए 45 प्रतिशत का नियम था, जिसके तहत ही थर्ड काउंसिल में बीएड में प्रवेश मिला था, लेकिन बाद में नियमो में बदलाव करते हुए 31 अगस्त 2009 को स्नातक में 50 प्रतिशत पर बीएड का नियम लागू कर दिया. जिस कारण उसे वंचित किया जा रहा है.

अनिल ने कहा कि उसने न्याय की गुहार के लिए अधिकारियों, नेताओं के चक्कर लगाए. परिवेदनाएं दी गई लेकिन कही से भी कोई मदद नही मिली. इस कारण आज तक पात्र होते हुए भी बेरोजगार गुम रहा है. उसने सरकार से न्याय की गुहार लगाते हुए नियुक्ति की मांग रखी है.

डूंगरपुर. जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें नियमों की उलझन के कारण एक युवक शिक्षक भर्ती के लिए पात्र होते हुए भी वंचित रह गया और अब बेरोजगार होकर सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है. अनिल त्रिवेदी पुत्र मणिलाल त्रिवेदी निवासी वरसिंगपुर ने बताया कि उसने वर्ष 2009-10 में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से बीएड की डिग्री ली है. इसके बाद वर्ष 2018 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में भाग लिया. टीएसपी क्षेत्र में अंग्रेजी विषय की कट ऑफ 61.06 प्रतिशत रही जबकि उसके कुल प्राप्तांक 62.01 प्रतिशत थे. इसके बावजूद विभाग की ओर से चयनितों की सूची में शामिल नहीं किया गया.

न्याय के लिए युवा भटक रहा दर-दर

अनिल त्रिवेदी ने कहा कि जब उसे वंचित रखा गया तो शिक्षा निदेशालय बीकानेर से जानकारी ली गई तो बताया कि बीएड में प्रवेश 31 अगस्त 2009 के बाद का है और बीए में प्राप्तांक 50 प्रतिशत से कम है जिसके कारण अपात्र बताया गया. अनिल ने बताया कि जब उसने 2009 में बीएड में प्रवेश लिया था तब स्नातक सामान्य वर्ग के लिए 45 प्रतिशत का नियम था, जिसके तहत ही थर्ड काउंसिल में बीएड में प्रवेश मिला था, लेकिन बाद में नियमो में बदलाव करते हुए 31 अगस्त 2009 को स्नातक में 50 प्रतिशत पर बीएड का नियम लागू कर दिया. जिस कारण उसे वंचित किया जा रहा है.

अनिल ने कहा कि उसने न्याय की गुहार के लिए अधिकारियों, नेताओं के चक्कर लगाए. परिवेदनाएं दी गई लेकिन कही से भी कोई मदद नही मिली. इस कारण आज तक पात्र होते हुए भी बेरोजगार गुम रहा है. उसने सरकार से न्याय की गुहार लगाते हुए नियुक्ति की मांग रखी है.

Intro:डूंगरपुर। थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती वर्ष 2018 में वंचित बेरोजगार युवा नोकरी की मांग के लिए भटक रहे है लेकिन सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। छात्र का कहना है कि उसे भर्ती के लिए योग्य माना जाए और नियुक्ति दिलाने की मांग रखी है।


Body:डूंगरपुर जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमे नियमों की उलझन के कारण एक युवक शिक्षक भर्ती के लिए पात्र होते हुए भी वंचित रह गया और अब बेरोजगार होकर सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है। अनिल त्रिवेदी पुत्र मणिलाल त्रिवेदी निवासी वरसिंगपुर ने बताया कि उसने वर्ष 2009-10 में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से बीएड की डिग्री ली है। इसके बाद वर्ष 2018 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में भाग लिया। टीएसपी क्षेत्र में अंग्रेजी विषय की कट ऑफ 61.06 प्रतिशत रही जबकि उसके कुल प्राप्तांक 62.01 प्रतिशत थे। इसके बावजूद विभाग की ओर से चयनितों की सूची में शामिल नहीं किया गया।
अनिल त्रिवेदी ने कहा कि जब उसे वंचित रखा गया तो शिक्षा निदेशालय बीकानेर से जानकारी ली गई तो बताया कि बीएड में प्रवेश 31 अगस्त 2009 के बाद का है और बीए में प्राप्तांक 50 प्रतिशत से कम है जिस कारण अपात्र बताया गया। अनिल ने बताया कि जब उसने 2009 में बीएड में प्रवेश लिया था तब स्नातक सामान्य वर्ग के लिए 45 प्रतिशत का नियम था, जिसके तहत ही थर्ड काउंसिल में बीएड में प्रवेश मिला था, लेकिन बाद में नियमो में बदलाव करते हुए 31 अगस्त 2009 को स्नातक में 50 प्रतिशत पर बीएड का नियम लागू कर दिया। जिस कारण उसे वंचित किया जा रहा है।
अनिल ने कहा कि उसने न्याय की गुहार के लिए अधिकारियों, नेताओं के चक्कर लगाए। परिवेदनाएं दी गई लेकिन कही से भी कोई मदद नही मिली। इस कारण आज तक पात्र होते हुए भी बेरोजगार गुम रहा है। उसने सरकार से न्याय की गुहार लगाते हुए नियुक्ति की मांग रखी है।

बाईट- अनिल त्रिवेदी, वंचित छात्र।



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