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कोरोना की जंग जिताने वाले डूंगरपुर के यह 4 हीरो, बताई जीत की प्रमुख वजह....

आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला कोरोना वायरस को मात देकर जंग जीत गया है. जिले के 5 कोरोना केस भी अब नेगेटिव हो चुके है और जिले में अब एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति नहीं है. कोरोना की इस जंग में जीत को लेकर ऐसे तो कई हीरो है, जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान दिया, लेकिन इसके 4 असली हीरो है, जिन्होंने कोरोना महामारी के फैलने से लेकर अब तक इसकी मॉनिटरिंग, स्वास्थ्य व्यवस्था और तमाम इंतजामों को ऐसे पूरा करवाया की आज जिला कोरोना वायरस जैसी भयानक महामारी से मुक्त हो चुका है

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कोरोना की जंग जिताने वाले डूंगरपुर के यह 4 हीरो
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Published : Apr 20, 2020, 7:00 PM IST

डूंगरपुर. राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित जनजाति बाहुल्य जिला डूंगरपुर. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल आबादी 13 लाख 88 हजार है. गुजरात राज्य से सटा होने के कारण बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग गुजरात में मजदूरी और अन्य काम करता है. देश और दुनिया मे कोरोना वायरस की महामारी का प्रकोप फैला तो 22 मार्च को देश मे जनता कर्फ्यू लगा दिया. प्रदेश में इसी दिन से लॉकडाउन कर दिया और अगले एक दिन बाद ही 24 मार्च से देशभर में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू हो गया.

कोरोना की जंग जिताने वाले डूंगरपुर के यह 4 हीरो

बता दें, कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार, प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा विभाग और सरकारी महकमा कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम में जुट गया है. देश और प्रदेश में बॉर्डर सीमाएं सील कर दी गई है. विदेशों में रोजगाररत लोग पहले ही देश लौट आए. जिले में विदेशों से करीब 700 से ज्यादा लोग पंहुचे. वहीं, लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में कामगार लोग बेरोजगार हुए तो वह भी घरों की ओर लौटने लगे.

इसी दरमियान 24 मार्च को इंदौर से निकले पिता और पुत्र अगले दिन आसपुर थाना क्षेत्र के गांव में स्थित अपने घर पहुंचे तो उन्हें सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार की शिकायत होने लगी. अगले ही दिन 26 मार्च को दोनों पिता-पुत्र आसपुर अस्पताल पहुंचे, जहां कोरोना संदिग्ध होने पर डूंगरपुर जिला अस्पताल रेफर किया. सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए और अगले ही दिन दोनों की कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट सामने आई तो प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए और इसी दिन से प्रशासन की दौड़-भाग ओर मशक्कत भी बढ़ गई.

पालना, कर्फ्यू और लगातार मॉनिटरिंग से मिली सफलता: कलेक्टर काना राम...


जिला कलेक्टर कानाराम ने कोरोना वायरस की महामारी निपटने के 4 प्रमुख कारण गिनाए. कलेक्टर कानाराम ने बताया, कि जैसे ही 27 मार्च को आसपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में एक ही परिवार के पिता-पुत्र में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आई तो तुरंत प्रभाव से गांव में कर्फ्यू लगा दिया गया. पॉजिटिव आये परिवार के लोगों को भी संदिग्ध मानते हुए उन्हें क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन में रखा गया. आसपास के 5 किमी के क्षेत्र को कंटेंटमेन्ट जोन और बफर जोन में बांटकर सर्वे करवाई गई. इसके 3 दिन बाद ही उसी परिवार का बुजुर्ग दादा भी कोरोना पॉजिटिव आया तो अलर्ट और बढ़ाया.

परिवार का एक अन्य 11 वर्षीय बालक में भी लक्षण होने से उसे भी आइसोलेशन में रखा. पहली रिपोर्ट नेगेटिव आई, लेकिन 6 अप्रैल को आई दूसरी रिपोर्ट पॉजिटिव हो गई. उसी दिन सीमलवाड़ा क्षेत्र के एक तबलीगी जमात के युवक में भी कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई तो सीमलवाड़ा क्षेत्र में भी कर्फ्यू के साथ सख्ती बढ़ाई और सर्वे करवाया. जांच में तबलीगी जमात से 36 लोगों के आने की सूचना के बाद सभी लोगों की चिन्हित करते हुए उनके सैंपल लिए. यही प्रमुख कारण रहा की 5 कोरोना पॉजिटिव के बाद कोई नया केस नहीं आया और सोमवार को 5 केस भी नेगेटिव हो गए है.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: क्वारंटाइन में रूपाराम नहीं बैठे खाली...'परिंदों' के लिए बना दिया नायाब 'आशियाना'


गुजरात से पलायन को रोकना सबसे बड़ी चुनोती थी: एसपी जय यादव...

एसपी जय यादव ने बताया, कि कोरोना वायरस की महामारी को रोकने कई सख्त कदम उठाने पड़े. इसमे सबसे महत्वपूर्ण है लॉकडाउन को सख्ती से पालन. इसके लिए पुलिस प्रशासन को सख्ती भी बरतनी पड़ी तो वहीं दूसरी बड़ी चुनोती थी गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से पलायन होकर आने वाले लोगों को रोकना. राजस्थान-गुजरात के बॉर्डर से हजारों की तादाद में पहुंचे लोगों की स्क्रीनिंग के बाद ही जाने की अनुमति दी, लेकिन बॉर्डर को सील करने के बावजूद सैकड़ो लोग जंगल और पहाड़ियों के रास्तों से जिले की सीमा में प्रवेश करने लगे, जिन्हें रोकने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.


सामान्य बीमार या संक्रमित व्यक्ति का इलाज डॉक्टर हमेशा जूझते रहे: पीएमओ डॉ. कांतिलाल मेघवाल...

जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. कांतिलाल मेघवाल ने बताया, कि कोरोना वायरस की महामारी से निपटने में उनकी पूरी टीम जी जान से जुटी रही. डॉक्टर से लेकर नर्सिंग स्टाफ और समस्त कर्मचारी दिन-रात महामारी की जंग में एक होकर लड़े. चाहे बात गुजरात से पलायन के दौरान लोगों की स्क्रीनिंग की हो या कोरोना पॉजिटिव आए पांचों मरीजों के इलाज की.

पढ़ेंः मॉडिफाइड लॉकडाउन के साथ बढ़ी पुलिस की जिम्मेदारियां, बढ़ाई गई नाकेबंदी और नफरी


3 लाख 26 हजार घरों तक जाकर 16 लाख लोगों के स्वास्थ्य की जांच की: सीएमएचओ डॉ. महेंद्र परमार

सीएमएचओ डॉ. महेंद्र परमार ने बताया, कि कोरोना वायरस की माहामारी शुरू हुई तो समय था जब जिला कोरोना पॉजिटिव की ओर बढ़ रहा था. जिले में 5 पॉजिटिव केस आ चुके थे, लेकिन जिले के स्क्रीनिंग और सर्वे का काम तेजी से बढ़ाया गया. शहर से लेकर गांवों तक स्वास्थ्य टीमें दिन और रात जुटी रही. संक्रमित गांवों में रोजाना स्क्रीनिंग और सर्वे करवाया गया. विदेश से आए 718 लोग और विभिन्न राज्यों से आने वाले करीब 50 हजार लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया.

फैक्ट फाइल...

  • कुल संदिग्ध: 573
  • पॉजिटिव: 5 (अब नेगेटिव)
  • नेगेटिव: 562
  • पेंडिंग: 5

देश और दुनिया मे लगातार कोरोना से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, लेकिन आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला अब कोरोना मुक्त हो चुका है. ऐसे में इसका श्रेय जितना जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग को जाता है उतना ही जिले की जनता को भी. समन्वित प्रयासों से डूंगरपुर जिला कोरोना की जंग जितने में कामयाब रहा और इसी तरह डूंगरपुर जिला आगे भी कोरोना की इस लड़ाई में सरकार की एडवायजरी की पालना करते हुए कोरोना को मात देकर आगे बढ़ा.

डूंगरपुर. राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित जनजाति बाहुल्य जिला डूंगरपुर. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल आबादी 13 लाख 88 हजार है. गुजरात राज्य से सटा होने के कारण बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग गुजरात में मजदूरी और अन्य काम करता है. देश और दुनिया मे कोरोना वायरस की महामारी का प्रकोप फैला तो 22 मार्च को देश मे जनता कर्फ्यू लगा दिया. प्रदेश में इसी दिन से लॉकडाउन कर दिया और अगले एक दिन बाद ही 24 मार्च से देशभर में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू हो गया.

कोरोना की जंग जिताने वाले डूंगरपुर के यह 4 हीरो

बता दें, कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार, प्रशासन, पुलिस, चिकित्सा विभाग और सरकारी महकमा कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम में जुट गया है. देश और प्रदेश में बॉर्डर सीमाएं सील कर दी गई है. विदेशों में रोजगाररत लोग पहले ही देश लौट आए. जिले में विदेशों से करीब 700 से ज्यादा लोग पंहुचे. वहीं, लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में कामगार लोग बेरोजगार हुए तो वह भी घरों की ओर लौटने लगे.

इसी दरमियान 24 मार्च को इंदौर से निकले पिता और पुत्र अगले दिन आसपुर थाना क्षेत्र के गांव में स्थित अपने घर पहुंचे तो उन्हें सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार की शिकायत होने लगी. अगले ही दिन 26 मार्च को दोनों पिता-पुत्र आसपुर अस्पताल पहुंचे, जहां कोरोना संदिग्ध होने पर डूंगरपुर जिला अस्पताल रेफर किया. सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए और अगले ही दिन दोनों की कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट सामने आई तो प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए और इसी दिन से प्रशासन की दौड़-भाग ओर मशक्कत भी बढ़ गई.

पालना, कर्फ्यू और लगातार मॉनिटरिंग से मिली सफलता: कलेक्टर काना राम...


जिला कलेक्टर कानाराम ने कोरोना वायरस की महामारी निपटने के 4 प्रमुख कारण गिनाए. कलेक्टर कानाराम ने बताया, कि जैसे ही 27 मार्च को आसपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में एक ही परिवार के पिता-पुत्र में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आई तो तुरंत प्रभाव से गांव में कर्फ्यू लगा दिया गया. पॉजिटिव आये परिवार के लोगों को भी संदिग्ध मानते हुए उन्हें क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन में रखा गया. आसपास के 5 किमी के क्षेत्र को कंटेंटमेन्ट जोन और बफर जोन में बांटकर सर्वे करवाई गई. इसके 3 दिन बाद ही उसी परिवार का बुजुर्ग दादा भी कोरोना पॉजिटिव आया तो अलर्ट और बढ़ाया.

परिवार का एक अन्य 11 वर्षीय बालक में भी लक्षण होने से उसे भी आइसोलेशन में रखा. पहली रिपोर्ट नेगेटिव आई, लेकिन 6 अप्रैल को आई दूसरी रिपोर्ट पॉजिटिव हो गई. उसी दिन सीमलवाड़ा क्षेत्र के एक तबलीगी जमात के युवक में भी कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई तो सीमलवाड़ा क्षेत्र में भी कर्फ्यू के साथ सख्ती बढ़ाई और सर्वे करवाया. जांच में तबलीगी जमात से 36 लोगों के आने की सूचना के बाद सभी लोगों की चिन्हित करते हुए उनके सैंपल लिए. यही प्रमुख कारण रहा की 5 कोरोना पॉजिटिव के बाद कोई नया केस नहीं आया और सोमवार को 5 केस भी नेगेटिव हो गए है.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: क्वारंटाइन में रूपाराम नहीं बैठे खाली...'परिंदों' के लिए बना दिया नायाब 'आशियाना'


गुजरात से पलायन को रोकना सबसे बड़ी चुनोती थी: एसपी जय यादव...

एसपी जय यादव ने बताया, कि कोरोना वायरस की महामारी को रोकने कई सख्त कदम उठाने पड़े. इसमे सबसे महत्वपूर्ण है लॉकडाउन को सख्ती से पालन. इसके लिए पुलिस प्रशासन को सख्ती भी बरतनी पड़ी तो वहीं दूसरी बड़ी चुनोती थी गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से पलायन होकर आने वाले लोगों को रोकना. राजस्थान-गुजरात के बॉर्डर से हजारों की तादाद में पहुंचे लोगों की स्क्रीनिंग के बाद ही जाने की अनुमति दी, लेकिन बॉर्डर को सील करने के बावजूद सैकड़ो लोग जंगल और पहाड़ियों के रास्तों से जिले की सीमा में प्रवेश करने लगे, जिन्हें रोकने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.


सामान्य बीमार या संक्रमित व्यक्ति का इलाज डॉक्टर हमेशा जूझते रहे: पीएमओ डॉ. कांतिलाल मेघवाल...

जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. कांतिलाल मेघवाल ने बताया, कि कोरोना वायरस की महामारी से निपटने में उनकी पूरी टीम जी जान से जुटी रही. डॉक्टर से लेकर नर्सिंग स्टाफ और समस्त कर्मचारी दिन-रात महामारी की जंग में एक होकर लड़े. चाहे बात गुजरात से पलायन के दौरान लोगों की स्क्रीनिंग की हो या कोरोना पॉजिटिव आए पांचों मरीजों के इलाज की.

पढ़ेंः मॉडिफाइड लॉकडाउन के साथ बढ़ी पुलिस की जिम्मेदारियां, बढ़ाई गई नाकेबंदी और नफरी


3 लाख 26 हजार घरों तक जाकर 16 लाख लोगों के स्वास्थ्य की जांच की: सीएमएचओ डॉ. महेंद्र परमार

सीएमएचओ डॉ. महेंद्र परमार ने बताया, कि कोरोना वायरस की माहामारी शुरू हुई तो समय था जब जिला कोरोना पॉजिटिव की ओर बढ़ रहा था. जिले में 5 पॉजिटिव केस आ चुके थे, लेकिन जिले के स्क्रीनिंग और सर्वे का काम तेजी से बढ़ाया गया. शहर से लेकर गांवों तक स्वास्थ्य टीमें दिन और रात जुटी रही. संक्रमित गांवों में रोजाना स्क्रीनिंग और सर्वे करवाया गया. विदेश से आए 718 लोग और विभिन्न राज्यों से आने वाले करीब 50 हजार लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया.

फैक्ट फाइल...

  • कुल संदिग्ध: 573
  • पॉजिटिव: 5 (अब नेगेटिव)
  • नेगेटिव: 562
  • पेंडिंग: 5

देश और दुनिया मे लगातार कोरोना से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, लेकिन आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला अब कोरोना मुक्त हो चुका है. ऐसे में इसका श्रेय जितना जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग को जाता है उतना ही जिले की जनता को भी. समन्वित प्रयासों से डूंगरपुर जिला कोरोना की जंग जितने में कामयाब रहा और इसी तरह डूंगरपुर जिला आगे भी कोरोना की इस लड़ाई में सरकार की एडवायजरी की पालना करते हुए कोरोना को मात देकर आगे बढ़ा.

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