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स्पेन और न्यूयॉर्क के शोधार्थी डूंगरपुर में सीख रहे हैं जैविक खेती के गुर

डूंगरपुर जिले के वागड़ में इन दिनों विदेशी शोधार्थी गांवों में रहकर जीवनयापन के साथ यहां के रहन सहन के साथ साथ जैविक खेती के गुर सीख रहे है.

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Published : Jul 10, 2019, 3:22 PM IST

Updated : Jul 10, 2019, 3:36 PM IST

स्पेन और न्यूयॉर्क के शोधार्थी डूंगरपुर में सिख रहे हैं जैविक खेती के गुर

आसपुर (डूंगरपुर). डूंगरपुर के वागड़ में इन दिनों विदेशी शोधार्थी गाँवो में रहकर जीवनयापन के साथ यहां के रहन सहन सीख रहे हैं. इसके साथ ही वो जैविक खेती के गुर भी सिख रहे है. स्पेन से दो भाई बहन सहित सात शोधार्थी और न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी पिछले एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीख रहे हैं. इसके साथ ही वो सभी भारतीय संस्कृति की जानकारी भी ले रहे है. सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.

स्पेन से दो भाई बहन सहित सात व न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी विगत एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति की जानकारी ले रहे है. सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.

शोधार्थियों का मवेशियो से प्यार

न्यूयॉर्क से आई शोधार्थी केली लिन्ड्रन्सन को गाय और कबूतर बहुत ही प्यारे लगते है. प्राकृतिक जीवन शैली को अपनातते हुए वो आधुनिक सफाई और सफाई प्रदार्थों को सबसे बड़ी गन्दगी मानती है. प्रकृति और प्राकृतिक को ईश्वर की देन मानती है. यह जानवरो से संवाद में एक्सपर्ट और रेकी करने में भी माहिर है. केली ने बताया कि वह सिर्फ खाने में फल का ही सेवन करती है. भोजन में किसी भी प्रकार के अनाज से बनी पकवान नही खाती है.

शोधार्थियों ने बताया कि भारत और स्पेन के जीवन शैली में काफी फर्क है. यहां आज भी लोग स्वयं से जीवन जीते है. यहां के लोग आज भी अपने कामों के लिये खुद पर निर्भर हैं. वहीं स्पेन की जीवन शैली आधुनिक है. भारत के लोगों का पहनावा बहुत ही अच्छा है. यहां के लोग परिवार के रूप में संयुक्त रहते है. परिवार के लोगों का साथ में भोजन करना अच्छा लगता है. स्पेन से आये एरिस आइरिस दोनों भाई बहन है. इनके अलावा अल्बा, टेरेसा, जोज, कालूस, एरियन, हावयन सभी अपने शोध के लिये आये हुए है.

स्पेन और न्यूयॉर्क के शोधार्थी डूंगरपुर में सिख रहे हैं जैविक खेती के गुर

खेल के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई

पूंजपुर गांव के भव्य विधा मन्दिर स्कूल में सभी शोधार्थियों ने बच्चों को खेल-खेल के माध्यम से पढ़ाया. उन्होंने पुंजेला बांध के सोंदर्य का आनंद लिया, लेकिन बांध पर फैली गंदगी, शराब की बोतलों से नाखुश नजर आए.

गांव के ईश्वरसिंह ने बताया कि वर्ष 2006 से विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है. जिससे लोगो को भी अच्छा लगता है. इनके जाने के बाद लोग इनके वापस आने का इंतजार भी करते हैं और इनकी कमी भी महसूस करते है. 16 जुलाई को भी एक दल और आएगा. सरकार को चाहिए कि गांवो में विदेशियों की आवाजाही बढ़े इसको लेकर पर्यटन को विकसित करने के तरफ सोचना चाहिये.

आसपुर (डूंगरपुर). डूंगरपुर के वागड़ में इन दिनों विदेशी शोधार्थी गाँवो में रहकर जीवनयापन के साथ यहां के रहन सहन सीख रहे हैं. इसके साथ ही वो जैविक खेती के गुर भी सिख रहे है. स्पेन से दो भाई बहन सहित सात शोधार्थी और न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी पिछले एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीख रहे हैं. इसके साथ ही वो सभी भारतीय संस्कृति की जानकारी भी ले रहे है. सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.

स्पेन से दो भाई बहन सहित सात व न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी विगत एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति की जानकारी ले रहे है. सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे.

शोधार्थियों का मवेशियो से प्यार

न्यूयॉर्क से आई शोधार्थी केली लिन्ड्रन्सन को गाय और कबूतर बहुत ही प्यारे लगते है. प्राकृतिक जीवन शैली को अपनातते हुए वो आधुनिक सफाई और सफाई प्रदार्थों को सबसे बड़ी गन्दगी मानती है. प्रकृति और प्राकृतिक को ईश्वर की देन मानती है. यह जानवरो से संवाद में एक्सपर्ट और रेकी करने में भी माहिर है. केली ने बताया कि वह सिर्फ खाने में फल का ही सेवन करती है. भोजन में किसी भी प्रकार के अनाज से बनी पकवान नही खाती है.

शोधार्थियों ने बताया कि भारत और स्पेन के जीवन शैली में काफी फर्क है. यहां आज भी लोग स्वयं से जीवन जीते है. यहां के लोग आज भी अपने कामों के लिये खुद पर निर्भर हैं. वहीं स्पेन की जीवन शैली आधुनिक है. भारत के लोगों का पहनावा बहुत ही अच्छा है. यहां के लोग परिवार के रूप में संयुक्त रहते है. परिवार के लोगों का साथ में भोजन करना अच्छा लगता है. स्पेन से आये एरिस आइरिस दोनों भाई बहन है. इनके अलावा अल्बा, टेरेसा, जोज, कालूस, एरियन, हावयन सभी अपने शोध के लिये आये हुए है.

स्पेन और न्यूयॉर्क के शोधार्थी डूंगरपुर में सिख रहे हैं जैविक खेती के गुर

खेल के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई

पूंजपुर गांव के भव्य विधा मन्दिर स्कूल में सभी शोधार्थियों ने बच्चों को खेल-खेल के माध्यम से पढ़ाया. उन्होंने पुंजेला बांध के सोंदर्य का आनंद लिया, लेकिन बांध पर फैली गंदगी, शराब की बोतलों से नाखुश नजर आए.

गांव के ईश्वरसिंह ने बताया कि वर्ष 2006 से विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है. जिससे लोगो को भी अच्छा लगता है. इनके जाने के बाद लोग इनके वापस आने का इंतजार भी करते हैं और इनकी कमी भी महसूस करते है. 16 जुलाई को भी एक दल और आएगा. सरकार को चाहिए कि गांवो में विदेशियों की आवाजाही बढ़े इसको लेकर पर्यटन को विकसित करने के तरफ सोचना चाहिये.

Intro:आसपुर (डूंगरपुर)। वागड़ में इन दिनों विदेशी शोधार्थी गाँवो में रहकर जीवनयापन के साथ यहा के रहन सहन के साथ साथ जैविक खेती के गुर सिख रहे है।
स्पेन से दो भाई बहन सहित सात व न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी विगत एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति की जानकारी ले रहे है। सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे। Body:विदेशियों को रास आ रही है वागड़ की आबोहवा
एक पखवाड़े तक वागड़ में सिखेंगे जैविक खेती के गुर
स्पेन व न्यूयॉर्क के आठ शोधार्थी डूंगरपुर जिले के चुण्डियावाडा में

आसपुर (डूंगरपुर)। वागड़ में इन दिनों विदेशी शोधार्थी गाँवो में रहकर जीवनयापन के साथ यहा के रहन सहन के साथ साथ जैविक खेती के गुर सिख रहे है।
स्पेन से दो भाई बहन सहित सात व न्यूयॉर्क से एक विदेशी शोधार्थी विगत एक सप्ताह से जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत के चुण्डियावाडा गांव के ईश्वरसिंह राठौड़ के निवास पर रहकर जैविक खेती के गुर सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति की जानकारी ले रहे है। सभी शोधार्थी एक पखवाड़े तक चुण्डियावाड़ा मे रुकेंगे।
मवेशियो से प्यार
न्यूयॉर्क की केली लिन्ड्रन्सन को गाय व कबूतर बहुत ही प्यारे लगते है।प्राकृतिक जीवन शैली को मानती है। आधुनिक सफाई व सफाई प्रदार्थ को सबसे बड़ी गन्दगी मानती है। प्रकृति व प्राकृतिक को ईश्वर की देन मानती है। यह जानवरो से संवाद में एक्सपर्ट व रेकी स्पर्ट भी है।
केली ने बताया कि वह सिर्फ फल फ्रूट का ही सेवन करती है।भोजन में कोई भी चीज अन्न नही खाती है।

शोधार्थियों ने बताया कि भारत देश व स्पेन में जीवन शैली का जमीन आसमान का फर्क है। यहां आज भी लोग स्वयं से जीवन जीते है।स्वयं द्वारा खेतो में अनाज पकाना, पशु रखना, दूध दोहना, स्वयं पकाना व और खाना जीवन शैली स्वयं पर निर्भर है। हमारे वहा की जीवन शैली आधुनिक है। यहा के लोगों का पहनावा बहुत ही अच्छा है। यहा के लोग परिवार के रूप में संयुक्त रहते है। साथ मे भोजन करना सब अच्छा लगता है।
स्पेन से आये एरिस व आइरिस भाई बहन है। अल्बा, टेरेसा, जोज, कालूस, एरियन, हावयन आए हुए है।

बच्चो के बीच खेल, पुंजेला का सौंदर्य निहारा
पूंजपुर गांव के भव्य विधा मन्दिर स्कूल में सभी शोधार्थियों ने बच्चो को खेल खेल के माध्यम से पढ़ाई कराई साथ ही खेल भी खेला। पुंजेला बांध के सोंदर्य को निहारा, किन्तु बांध पर फैली गंदगी, शराब की बोतलों से नाखुश नजर आए।


गांव के ईश्वरसिंह ने बताया वर्ष 2006 से विदेशियों के आने का सिलसिला जारी है। जिससे लोगो को भी अच्छा लगता है। इनके जाने के बाद लोग इनके वापस आने का इंतजार भी करते है और इनकी कमी भी महसूस करते है। 16 जुलाई को भी एक दल और आएगा। सरकार को चाहिए कि गांवो में विदेशियों की आवाजाही बढ़े इसको लेकर पर्यटन को विकसित करना होगा।
बाइट ईश्वरसिंह राठौड़ व
टेरेसाConclusion:
Last Updated : Jul 10, 2019, 3:36 PM IST
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