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5000 किमी का सफर तय कर हिमालय की ऊंचाई पार करता है बार-हेडेड गूज, तब पहुंचता है घना - KEOLADEO NATIONAL PARK

Migratory Birds in Winter- केवलादेव हर साल प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है. बार-हेडेड गूज 5 हजार किमी का सफर तय कर घना पहुंचता है.

Keoladeo National Park
घना में प्रवासी पक्षियों का स्वागत (ETV GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 6 hours ago

भरतपुर: विश्व विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय अभयारण्य हर साल सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है. इन पक्षियों में बार-हेडेड गूज (Anser Indicus) विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होता है. इसे दुनिया का सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी कहा जाता है. यह पक्षी मंगोलिया और दक्षिण रूस से उड़ान भरकर करीब 5 हजार किमी का सफर तय कर के घना पहुंचता है. इतना ही नहीं, यह पक्षी हिमालय की ऊंची बर्फीली चोटियों को भी पार कर यहां आता है. आइए जानते हैं इस अद्भुत पक्षी के बारे में.

दुनिया का सबसे ऊंचा उड़ने वाला पक्षी : घना के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि बार-हेडेड गूज मंगोलिया और दक्षिणी रूस की झीलों से उड़ान भरता है और हिमालय की ऊंची बर्फीली चोटियों को पार कर भारत पहुंचता है. यह पक्षी लगभग 5,000 किलोमीटर की दूरी तय करता है और डेढ़ महीने के लंबे सफर के बाद भरतपुर स्थित घना पक्षी अभयारण्य तक पहुंचता है. उड़ान के दौरान यह पक्षी 29,500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है, जो इसे पक्षी जगत में इसे सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी बनाता है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक (ETV Bharat Bharatpur)

शारीरिक विशेषताएं और पहचान : बार-हेडेड गूज हल्के भूरे रंग का होता है और इसके सिर पर काली पट्टियां होती हैं, जो इसे अन्य गीज प्रजातियों से अलग पहचान देती हैं. यह पक्षी मध्यम आकार का होता है, जिसकी लंबाई 28-30 इंच और वजन 1.87-3.2 किलोग्राम के बीच होता है. इसकी आवाज सामान्य हंस की तरह होती है.

प्रजनन और जीवनचक्र : यह पक्षी प्रजनन के लिए भरतपुर के केवलादेव आश्रय उद्यान आता है. यह जमीन पर बने घोंसलों में अंडे देता है. एक बार में यह पक्षी 3-8 अंडे देता है. घना पक्षी अभयारण्य में आने के बाद यह प्रजनन करता है और अपने बच्चों के बड़े होने तक यहीं रुकता है.

पढ़ें : पांचना बांध का पानी मिला तो पक्षियों से गुलजार हुआ केवलादेव, तीन गुना अधिक पहुंचे पेंटेड स्टार्क - KEOLADEO NATIONAL PARK

पढ़ें : सर्दियों में पर्यटन सीजन शिखर पर, इस साल सर्वाधिक पर्यटक पहुंचे, फरवरी तक सभी होटल फुल - KEOLADEV NATIONAL PARK

अभयारण्य में पक्षियों का स्वागत : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि घना अभयारण्य हर साल सर्दियों के मौसम में लगभग 150 प्रजातियों के हजारों पक्षियों का ठिकाना बनता है. बार-हेडेड गूज समेत पिंटेड, मलार्ड, साइबेरियन रूबी थ्रोट आदि समेत करीब 150 प्रजाति के पक्षी यहां पहुंचते हैं. ये पक्षी 1,500 से 5,000 किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं, जिसमें नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस समेत करीब 10 से 20 देश शामिल हैं. यहां प्रवासी पक्षी न केवल आराम करते हैं, बल्कि प्रजनन भी करते हैं. उनके बच्चे बड़े होने के बाद गर्मियों के आगमन से पहले वापस लौट जाते हैं.

Mallard Bird
मलार्ड पक्षी (File Photo)

मल्लार्ड पक्षी : उत्तरी अमेरिका से घना आने वाला मल्लार्ड एक प्रसिद्ध बतख प्रजाति है. नर मल्लार्ड का सिर हरे रंग का होता है, जबकि मादा भूरे-धब्बेदार पंखों से सजी होती है. दोनों के पंखों पर सफेद किनारे वाले काले, बैंगनी या नीले रंग के हिस्से होते हैं, जिन्हें स्पेकुलम कहा जाता है. मल्लार्ड की लंबाई 50-65 सेमी होती है, जबकि पंखों का फैलाव 81-98 सेमी होता है. इसका वजन 0.7 से 1.6 किलोग्राम के बीच होता है. मादा हर दूसरे दिन 8-13 अंडे देती है, जिनसे 27-28 दिनों में बच्चे निकलते हैं. नवजात बत्तख के बच्चे तुरंत तैरने में सक्षम होते हैं.

पिंटेल पक्षी : यूरोप से भरतपुर आने वाली पिंटेल अपनी लंबी गर्दन और आकर्षक पंखों के लिए जानी जाती है. नर पिंटेल की लंबाई 59-76 सेमी और पंखों का फैलाव 80-95 सेमी होता है. इसका वजन 450-1,360 ग्राम होता है. मादा, जो नर की तुलना में थोड़ी छोटी होती है, 51-64 सेमी लंबी और 454-1,135 ग्राम वजनी होती है.

भरतपुर: विश्व विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय अभयारण्य हर साल सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है. इन पक्षियों में बार-हेडेड गूज (Anser Indicus) विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होता है. इसे दुनिया का सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी कहा जाता है. यह पक्षी मंगोलिया और दक्षिण रूस से उड़ान भरकर करीब 5 हजार किमी का सफर तय कर के घना पहुंचता है. इतना ही नहीं, यह पक्षी हिमालय की ऊंची बर्फीली चोटियों को भी पार कर यहां आता है. आइए जानते हैं इस अद्भुत पक्षी के बारे में.

दुनिया का सबसे ऊंचा उड़ने वाला पक्षी : घना के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि बार-हेडेड गूज मंगोलिया और दक्षिणी रूस की झीलों से उड़ान भरता है और हिमालय की ऊंची बर्फीली चोटियों को पार कर भारत पहुंचता है. यह पक्षी लगभग 5,000 किलोमीटर की दूरी तय करता है और डेढ़ महीने के लंबे सफर के बाद भरतपुर स्थित घना पक्षी अभयारण्य तक पहुंचता है. उड़ान के दौरान यह पक्षी 29,500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है, जो इसे पक्षी जगत में इसे सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी बनाता है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक (ETV Bharat Bharatpur)

शारीरिक विशेषताएं और पहचान : बार-हेडेड गूज हल्के भूरे रंग का होता है और इसके सिर पर काली पट्टियां होती हैं, जो इसे अन्य गीज प्रजातियों से अलग पहचान देती हैं. यह पक्षी मध्यम आकार का होता है, जिसकी लंबाई 28-30 इंच और वजन 1.87-3.2 किलोग्राम के बीच होता है. इसकी आवाज सामान्य हंस की तरह होती है.

प्रजनन और जीवनचक्र : यह पक्षी प्रजनन के लिए भरतपुर के केवलादेव आश्रय उद्यान आता है. यह जमीन पर बने घोंसलों में अंडे देता है. एक बार में यह पक्षी 3-8 अंडे देता है. घना पक्षी अभयारण्य में आने के बाद यह प्रजनन करता है और अपने बच्चों के बड़े होने तक यहीं रुकता है.

पढ़ें : पांचना बांध का पानी मिला तो पक्षियों से गुलजार हुआ केवलादेव, तीन गुना अधिक पहुंचे पेंटेड स्टार्क - KEOLADEO NATIONAL PARK

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अभयारण्य में पक्षियों का स्वागत : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि घना अभयारण्य हर साल सर्दियों के मौसम में लगभग 150 प्रजातियों के हजारों पक्षियों का ठिकाना बनता है. बार-हेडेड गूज समेत पिंटेड, मलार्ड, साइबेरियन रूबी थ्रोट आदि समेत करीब 150 प्रजाति के पक्षी यहां पहुंचते हैं. ये पक्षी 1,500 से 5,000 किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं, जिसमें नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस समेत करीब 10 से 20 देश शामिल हैं. यहां प्रवासी पक्षी न केवल आराम करते हैं, बल्कि प्रजनन भी करते हैं. उनके बच्चे बड़े होने के बाद गर्मियों के आगमन से पहले वापस लौट जाते हैं.

Mallard Bird
मलार्ड पक्षी (File Photo)

मल्लार्ड पक्षी : उत्तरी अमेरिका से घना आने वाला मल्लार्ड एक प्रसिद्ध बतख प्रजाति है. नर मल्लार्ड का सिर हरे रंग का होता है, जबकि मादा भूरे-धब्बेदार पंखों से सजी होती है. दोनों के पंखों पर सफेद किनारे वाले काले, बैंगनी या नीले रंग के हिस्से होते हैं, जिन्हें स्पेकुलम कहा जाता है. मल्लार्ड की लंबाई 50-65 सेमी होती है, जबकि पंखों का फैलाव 81-98 सेमी होता है. इसका वजन 0.7 से 1.6 किलोग्राम के बीच होता है. मादा हर दूसरे दिन 8-13 अंडे देती है, जिनसे 27-28 दिनों में बच्चे निकलते हैं. नवजात बत्तख के बच्चे तुरंत तैरने में सक्षम होते हैं.

पिंटेल पक्षी : यूरोप से भरतपुर आने वाली पिंटेल अपनी लंबी गर्दन और आकर्षक पंखों के लिए जानी जाती है. नर पिंटेल की लंबाई 59-76 सेमी और पंखों का फैलाव 80-95 सेमी होता है. इसका वजन 450-1,360 ग्राम होता है. मादा, जो नर की तुलना में थोड़ी छोटी होती है, 51-64 सेमी लंबी और 454-1,135 ग्राम वजनी होती है.

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