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BTP का संग्राम थमा नहीं...अब सोशल मीडिया पर पदाधिकारियों से पूछे जाने लगे हैं सवाल?

ढाई साल पहले जिले की 2 विधानसभा सीटें जीतकर सबको चौंकाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) नेता अब सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट्स से सबको हैरान कर रहे हैं. यहां पर पदाधिकारियों की मुखालफत खुलेआम, डंके की चोट पर की जा रही है. पार्टी के सक्रिय नेता कांति भाई आदिवासी ने फेसबुक पोस्ट के जरिए कई सवाल पूछ डाले हैं.

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BTP का संग्राम थमा नहीं
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Published : Aug 21, 2021, 10:16 AM IST

Updated : Aug 21, 2021, 10:27 AM IST

डूंगरपुर: ढाई साल पहले डूंगरपुर जिले की 2 विधानसभा सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेष्कों को चौंकाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी ने एक बार फिर सबको हतप्रभ कर दिया है. सोशल मीडिया पर पार्टी से किनारा करने के खुलेआम एलान के बाद पार्टी नेता सोशल मीडिया पर अपने वरिष्ठों की बखिया उधेड़ रहे हैं.

दरअसल, विवाद पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने के बाद से उपजा था. उनके बयानों ने आग में घी का काम किया और भाजपा से निष्कासित कटारा के विरोध में 6 नेताओ ने पार्टी छोड़ दी. फेसबुक पोस्ट के जरिए रोत कांति भाई आदिवासी ने कई सवाल पदाधिकारियों से पूछे हैं.

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वायरल पोस्ट

उनके सवालों से साफ है कि बीटीपी में अब सब कुछ ठीक नहीं है. कांति भाई आदिवासी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि आखिर राजस्थान बीटीपी में आये भूचाल का जिम्मेदार कौन है....? इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी को पता था कि राजस्थान में पूर्ण जनजागरण सामाजिक, आदिवासी परिवार और उनकी विंग का है. फिर भी दूसरे संगठन ( हाल में बीटीपी में शामिल हुए देवेंद्र कटारा) को क्यों शामिल किया.

उन्होंने लिखा है कि प्रदेश निर्णय कमेटी की बिना सलाह मशविरा के ( देवेंद्र कटारा प्रदेश प्रवक्ता) की नियुक्ति हुई. स्थानीय सदस्यों को पता है कि कौन काम का है और कौन नहीं. बिना सलाह मशविरा के राज्य में 2 पद ( देवेंद्र कटारा प्रदेश प्रवक्ता व कार्यकारी अध्यक्ष) दिए, जिसके कारण गतिरोध बढ़ा है. रोत कांति भाई आदिवासी ने लिखा है कि प्रदेश प्रवक्ता के बयानबाजी के बाद इस तरह के हालत उपजे है.

प्रदेश प्रभारी ने भी पहले की थी खेमेबाजी: रोत कांति भाई आदिवासी ने अपने फेसबुक पोस्ट में प्रदेश प्रभारी पर भी खेमेबाजी का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है कि इससे पहले प्रदेश प्रभारी ने खेमेबाजी की थी ओर सामंजस्य नहीं बैठा पाए. उन्होंने लिखा है कि कुछ लोग केंद्रीय कमेटी को गलत पाठ पढ़ा रहे थे. स्थानीय कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर अन्य पार्टी के लोगों को सदस्यता बुक थमा दी गई.

उन्होंने कहा कि गलत निर्णय के कारण बीटीपी में आग जल उठी है. 2 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बहुत कोशिश की सुलह की लेकिन यहां के कुछ लोगों के बहकावे में केंद्रीय कमेटी निर्णय कर रही है. अपने इस ओपन लेटर में उन्होंने आखिर में अब क्या..... लिखकर बीटीपी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

दो दिन पहले बीटीपी के 6 नेताओ ने तोड़ दिया था नाता: पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने और उनके बयानों के विरोध में बीटीपी के 6 नेताओ ने 2 दिन पहले बीटीपी से नाता तोड़ दिया था. इन सभी नेताओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए बीटीपी से नाता तोड़ने का ऐलान किया था. इसमें बीटीपी से जिला परिषद सदस्य- माया कलासुआ, पार्वती डोडा, सागवाडा पंचायत समिति सदस्य योगेश खांट, गलियाकोट पंचायत समिति सदस्य संजय डामोर, सीमलवाड़ा पंचायत समिति सदस्य मुकेश डामोर समेत बिछीवाड़ा ब्लॉक अध्यक्ष धूलेश्वर वरहात ने बीटीपी से खुद को अलग कर दिया था. इसके बाद अब सोशल मीडिया पर बीटीपी का विरोध नेता खुलेआम करने लगे हैं.

डूंगरपुर: ढाई साल पहले डूंगरपुर जिले की 2 विधानसभा सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेष्कों को चौंकाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी ने एक बार फिर सबको हतप्रभ कर दिया है. सोशल मीडिया पर पार्टी से किनारा करने के खुलेआम एलान के बाद पार्टी नेता सोशल मीडिया पर अपने वरिष्ठों की बखिया उधेड़ रहे हैं.

दरअसल, विवाद पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने के बाद से उपजा था. उनके बयानों ने आग में घी का काम किया और भाजपा से निष्कासित कटारा के विरोध में 6 नेताओ ने पार्टी छोड़ दी. फेसबुक पोस्ट के जरिए रोत कांति भाई आदिवासी ने कई सवाल पदाधिकारियों से पूछे हैं.

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उनके सवालों से साफ है कि बीटीपी में अब सब कुछ ठीक नहीं है. कांति भाई आदिवासी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि आखिर राजस्थान बीटीपी में आये भूचाल का जिम्मेदार कौन है....? इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी को पता था कि राजस्थान में पूर्ण जनजागरण सामाजिक, आदिवासी परिवार और उनकी विंग का है. फिर भी दूसरे संगठन ( हाल में बीटीपी में शामिल हुए देवेंद्र कटारा) को क्यों शामिल किया.

उन्होंने लिखा है कि प्रदेश निर्णय कमेटी की बिना सलाह मशविरा के ( देवेंद्र कटारा प्रदेश प्रवक्ता) की नियुक्ति हुई. स्थानीय सदस्यों को पता है कि कौन काम का है और कौन नहीं. बिना सलाह मशविरा के राज्य में 2 पद ( देवेंद्र कटारा प्रदेश प्रवक्ता व कार्यकारी अध्यक्ष) दिए, जिसके कारण गतिरोध बढ़ा है. रोत कांति भाई आदिवासी ने लिखा है कि प्रदेश प्रवक्ता के बयानबाजी के बाद इस तरह के हालत उपजे है.

प्रदेश प्रभारी ने भी पहले की थी खेमेबाजी: रोत कांति भाई आदिवासी ने अपने फेसबुक पोस्ट में प्रदेश प्रभारी पर भी खेमेबाजी का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है कि इससे पहले प्रदेश प्रभारी ने खेमेबाजी की थी ओर सामंजस्य नहीं बैठा पाए. उन्होंने लिखा है कि कुछ लोग केंद्रीय कमेटी को गलत पाठ पढ़ा रहे थे. स्थानीय कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर अन्य पार्टी के लोगों को सदस्यता बुक थमा दी गई.

उन्होंने कहा कि गलत निर्णय के कारण बीटीपी में आग जल उठी है. 2 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बहुत कोशिश की सुलह की लेकिन यहां के कुछ लोगों के बहकावे में केंद्रीय कमेटी निर्णय कर रही है. अपने इस ओपन लेटर में उन्होंने आखिर में अब क्या..... लिखकर बीटीपी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

दो दिन पहले बीटीपी के 6 नेताओ ने तोड़ दिया था नाता: पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने और उनके बयानों के विरोध में बीटीपी के 6 नेताओ ने 2 दिन पहले बीटीपी से नाता तोड़ दिया था. इन सभी नेताओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए बीटीपी से नाता तोड़ने का ऐलान किया था. इसमें बीटीपी से जिला परिषद सदस्य- माया कलासुआ, पार्वती डोडा, सागवाडा पंचायत समिति सदस्य योगेश खांट, गलियाकोट पंचायत समिति सदस्य संजय डामोर, सीमलवाड़ा पंचायत समिति सदस्य मुकेश डामोर समेत बिछीवाड़ा ब्लॉक अध्यक्ष धूलेश्वर वरहात ने बीटीपी से खुद को अलग कर दिया था. इसके बाद अब सोशल मीडिया पर बीटीपी का विरोध नेता खुलेआम करने लगे हैं.

Last Updated : Aug 21, 2021, 10:27 AM IST
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