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भाजपा में तवज्जों नहीं मिलने से नाराज सभापति केके गुप्ता निर्दलीय चुनावी मैदान में ताल ठोकने को तैयार

निकाय चुनावों के एलान के साथ ही डूंगरपुर में सियासी हलचल तेज हो गई है. डूंगरपुर से भाजपा के सभापति केके गुप्ता ने इस बार सागवाड़ा से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है. डूंगरपुर सीट एसटी के खाते में जाने से गुप्ता ने बीजेपी को सागवाड़ा से चुनाव लड़वाने की पेशकश की थी, लेकिन पार्टी ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया.

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भाजपा में तवज्जों नहीं मिलने से नाराज सभापति केके गुप्ता निर्दलीय चुनावी मैदान में ताल ठोकने को तैयार
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Published : Jan 7, 2021, 5:21 PM IST

डूंगरपुर. निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही डूंगरपुर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. डूंगरपुर सभापति की सीट एसटी खाते में रिजर्व होने और भाजपा की और से तवज्जो नहीं मिलने से नाराज सभापति केके गुप्ता ने सागवाड़ा शहर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. लेकिन सागवाड़ा की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए उनका आवेदन सागवाड़ा उपखंड अधिकारी ने निरस्त कर दिया.

केके गुप्ता निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में

डूंगरपुर शहर में सभापति रहते हुए केके गुप्ता ने स्वच्छता, पौधरोपण, जल संचय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करते हुए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई. पांच साल के कार्यकाल में डूंगरपुर शहर में कराए गए विकास कार्यो के आधार पर केके गुप्ता शहरी विकास की दूसरी पारी खेलना चाहते थे लेकिन डूंगरपुर सभापति सीट एसटी रिजर्व होने के चलते डूंगरपुर से उनका दोबारा सभापति बनना संभव नहीं था. लिहाजा गुप्ता ने पार्टी से गुहार लगाई कि उन्हें सागवाड़ा शहर से टिकट देकर वहां का अध्यक्ष बनाया जाए.

पढे़ं: आर्थिक तंगी ने खत्म की 4 जिंदगियां, पहले पत्नी और दो बच्चों की हत्या...फिर खुद फांसी के फंदे पर लटका पति

गुप्ता की इस मांग को भारतीय जनता पार्टी ने तवज्जो नहीं दी. जिसके बाद बागी तेवर अपनाते हुए गुप्ता ने सागवाड़ा शहर के सभी 35 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार उतारते हुए चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. इसके लिए गुप्ता ने डूंगरपुर शहर की मतदाता सूची से नाम कटवाते हुए सागवाड़ा की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन किया लेकिन उपखंड अधिकारी ने गुप्ता को अपात्र मानते हुए आवेदन निरस्त कर दिया. केके गुप्ता ने इस पूरे मामले को राजनीती से जोड़ते हुए सागवाड़ा में उनकी एंट्री रोकने का प्रयास बताया.

राजनीतिक दबाव में नाम नहीं जोड़ा

केके गुप्ता ने कहा कि निकाय चुनाव के मद्देनजर जिले में हजारो की संख्या में मतदाता सूचियों में नाम जुड़वाने के आवेदन आए होंगे, लेकिन प्रशासन ने दस्तावेज पूरे होने के बावजूद राजनीतिक दबाव के चलते उनका नाम सागवाड़ा की मतदाता सूची में जोड़ने से मना कर दिया. गुप्ता ने कहा कि सागवाड़ा और डूंगरपुर की जनता समझ चुकी है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के स्थानीय नेता अपना धरातल खिसकता देख सत्ता का दुरूपयोग कर उन्हें परेशान कर रहे हैं. गुप्ता ने मामले को लेकर अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है.

डूंगरपुर. निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही डूंगरपुर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. डूंगरपुर सभापति की सीट एसटी खाते में रिजर्व होने और भाजपा की और से तवज्जो नहीं मिलने से नाराज सभापति केके गुप्ता ने सागवाड़ा शहर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. लेकिन सागवाड़ा की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए उनका आवेदन सागवाड़ा उपखंड अधिकारी ने निरस्त कर दिया.

केके गुप्ता निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में

डूंगरपुर शहर में सभापति रहते हुए केके गुप्ता ने स्वच्छता, पौधरोपण, जल संचय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करते हुए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई. पांच साल के कार्यकाल में डूंगरपुर शहर में कराए गए विकास कार्यो के आधार पर केके गुप्ता शहरी विकास की दूसरी पारी खेलना चाहते थे लेकिन डूंगरपुर सभापति सीट एसटी रिजर्व होने के चलते डूंगरपुर से उनका दोबारा सभापति बनना संभव नहीं था. लिहाजा गुप्ता ने पार्टी से गुहार लगाई कि उन्हें सागवाड़ा शहर से टिकट देकर वहां का अध्यक्ष बनाया जाए.

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गुप्ता की इस मांग को भारतीय जनता पार्टी ने तवज्जो नहीं दी. जिसके बाद बागी तेवर अपनाते हुए गुप्ता ने सागवाड़ा शहर के सभी 35 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार उतारते हुए चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. इसके लिए गुप्ता ने डूंगरपुर शहर की मतदाता सूची से नाम कटवाते हुए सागवाड़ा की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन किया लेकिन उपखंड अधिकारी ने गुप्ता को अपात्र मानते हुए आवेदन निरस्त कर दिया. केके गुप्ता ने इस पूरे मामले को राजनीती से जोड़ते हुए सागवाड़ा में उनकी एंट्री रोकने का प्रयास बताया.

राजनीतिक दबाव में नाम नहीं जोड़ा

केके गुप्ता ने कहा कि निकाय चुनाव के मद्देनजर जिले में हजारो की संख्या में मतदाता सूचियों में नाम जुड़वाने के आवेदन आए होंगे, लेकिन प्रशासन ने दस्तावेज पूरे होने के बावजूद राजनीतिक दबाव के चलते उनका नाम सागवाड़ा की मतदाता सूची में जोड़ने से मना कर दिया. गुप्ता ने कहा कि सागवाड़ा और डूंगरपुर की जनता समझ चुकी है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के स्थानीय नेता अपना धरातल खिसकता देख सत्ता का दुरूपयोग कर उन्हें परेशान कर रहे हैं. गुप्ता ने मामले को लेकर अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है.

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