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COVID-19: बिना स्क्रीनिंग के रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे 10 हजार से ज्यादा लोग, प्रशासन के फूले हाथ-पांव

राजस्थान-गुजरात के रतनपुर बॉर्डर पर 10 हजार से ज्यादा लोग एकत्रित हो गए हैं. लॉकडाउन के बाद रोजी रोटी के संकट के बाद ये सभी लोग बिना किसी स्क्रीनिंग के रतनपुर बॉर्डर पर पहुंच गए हैं. जिससे प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं.

रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे 10 हजार से ज्यादा लोग, More than 10 thousand people reached the Ratanpur border
रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे 10 हजार से ज्यादा लोग
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Published : Mar 26, 2020, 10:41 AM IST

Updated : Mar 26, 2020, 11:10 AM IST

डूंगरपुर. कोरोना महामारी को लेकर प्रदेश में 22 मार्च से ही लॉकडाउन है. लेकिन पीएम मोदी ने दो दिन पहले देशभर में लॉक डाउन की घोषणा की, जिसके बाद प्रत्येक राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया और लोगो के घरों से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी गई.

रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे 10 हजार से ज्यादा लोग

लेकिन गुजरात और डूंगरपुर जिले के रतनपुर बॉर्डर पर महामारी और लॉकडाउन का कोई असर नजर नहीं आ रहा है. लॉकडाउन के बाद गुजरात में काम करने वाले लोगों की रोजी रोटी पर संकट आ गया. ऐसे में वे लोग गुजरात छोड़कर वापस घरों की ओर लौटने लगे. इस पर गुजरात सीमा से सटे डूंगरपुर जिले के रतनपुर बॉर्डर पर लोगों की लगातार आवाजाही शुरू हो गई.

बॉर्डर पर आने वाले लोगों को स्क्रीनिंग के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से 6 काउंटर लगाकर अलग-अलग जांच की जा रही थी. बुधवार रात 9 बजे तक भीड़ बढ़कर हजारों में पहुंच गई तो प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. प्रशासन को गुजरात से इतनी भीड़ के आने का कोई अनुमान या जानकारी नहीं थी. इसके बाद प्रशासन ने चिकित्सा विभाग को तुरंत 20 डॉक्टर और 40 नर्सिंग स्टाफ की टीम को तैयार करने के निर्देश दिए, जिसके बाद आधी रात को कलेक्टर कानाराम, एडीएम कृष्णपाल सिंह, एसपी जय यादव रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे.

ये भी पढ़ें- LOCKDOWN: गहलोत सरकार ने जारी किए 310 करोड़, पात्र परिवारों के खातों में पहुंचे एक-एक हजार रुपए

CMHO डॉ. महेंद्र परमार, जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. कांतिलाल मेघवाल ने अपने डॉक्टर्स की टीम के साथ लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी. रातभर में करीब 10 हजार से ज्यादा लोग गुजरात से बॉर्डर पर पहुंचे, जिनकी स्क्रीनिंग की गई. लेकिन भीड़ के बीच कोरोना महामारी से बचाव का कोई इंतजाम नजर नहीं आया. लोगों की भीड़ में न तो लोगों के मुंह पर मास्क लगे हुए थे और न ही लोगों के बीच निर्धारित दूरी का कोई पालन किया गया. लोग एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए आगे निकलने का प्रयास करते रहे. वहीं, प्रशासन इस पूरे नजारे को केवल देखता रहा.

अचानक कैसे बढ़ गई भीड़

पीएम मोदी के 24 अप्रैल को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद अचानक बॉर्डर पर लोगों की भीड़ बढ़ गई, जबकि पीएम ने अपने संबोधन में लोगों को, जो जहां है वहीं पर सुरक्षित ठहरने की हिदायत दी थी. बावजूद इसके यह भीड़ बॉर्डर पर पहुंच गई.

ये भी पढ़ें- 'कोरोना वॉरियर्स' के साथ गलत बर्ताव पर होगी सख्त कार्रवाई : मंत्री रघु शर्मा

बताया जा रहा है कि अचानक से लॉकडाउन के बाद लोगों के रोजगार पर संकट आ गया और लोग वहां से निकलने लगे. इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि डूंगरपुर, राजस्थान और अन्य राज्यों के जो लोग गुजरात में रहते थे, उनसे गुजरात में कमरे खाली करवाये गए या मकान मालिक की ओर से निकलने के लिए कह दिया गया, जिससे वो लोग बीच में ही फंस गए.

डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ सबसे ज्यादा परेशान

कोरोना महामारी के बाद डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के लिए सबसे ज्यादा परेशानी बढ़ गई है. रतनपुर बॉर्डर पर 6 डॉक्टर और 30 नर्सिंग स्टाफ को पहले से ही लोगों की स्क्रीनिंग के लिए लगाया गया था. लेकिन बुधवार रात को जिला अस्पताल से 20 डॉक्टर और 40 नर्सिंग स्टाफ को बुलाकर रतनपुर बॉर्डर पर जांच के लिए लगाया गया.

जबकि महामारी के बाद से ही डॉक्टर लगातार अस्पताल में लोगों की जांच और ड्यूटी कर रहे है. इसके अलावा इमरजेंसी सेवाओं में अलग से जाना पड़ता है. ऐसे में अब रात को ड्यूटी लगाए जाने से डॉक्टर्स के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ सकता है. लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

डूंगरपुर. कोरोना महामारी को लेकर प्रदेश में 22 मार्च से ही लॉकडाउन है. लेकिन पीएम मोदी ने दो दिन पहले देशभर में लॉक डाउन की घोषणा की, जिसके बाद प्रत्येक राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया और लोगो के घरों से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी गई.

रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे 10 हजार से ज्यादा लोग

लेकिन गुजरात और डूंगरपुर जिले के रतनपुर बॉर्डर पर महामारी और लॉकडाउन का कोई असर नजर नहीं आ रहा है. लॉकडाउन के बाद गुजरात में काम करने वाले लोगों की रोजी रोटी पर संकट आ गया. ऐसे में वे लोग गुजरात छोड़कर वापस घरों की ओर लौटने लगे. इस पर गुजरात सीमा से सटे डूंगरपुर जिले के रतनपुर बॉर्डर पर लोगों की लगातार आवाजाही शुरू हो गई.

बॉर्डर पर आने वाले लोगों को स्क्रीनिंग के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से 6 काउंटर लगाकर अलग-अलग जांच की जा रही थी. बुधवार रात 9 बजे तक भीड़ बढ़कर हजारों में पहुंच गई तो प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. प्रशासन को गुजरात से इतनी भीड़ के आने का कोई अनुमान या जानकारी नहीं थी. इसके बाद प्रशासन ने चिकित्सा विभाग को तुरंत 20 डॉक्टर और 40 नर्सिंग स्टाफ की टीम को तैयार करने के निर्देश दिए, जिसके बाद आधी रात को कलेक्टर कानाराम, एडीएम कृष्णपाल सिंह, एसपी जय यादव रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचे.

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CMHO डॉ. महेंद्र परमार, जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. कांतिलाल मेघवाल ने अपने डॉक्टर्स की टीम के साथ लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी. रातभर में करीब 10 हजार से ज्यादा लोग गुजरात से बॉर्डर पर पहुंचे, जिनकी स्क्रीनिंग की गई. लेकिन भीड़ के बीच कोरोना महामारी से बचाव का कोई इंतजाम नजर नहीं आया. लोगों की भीड़ में न तो लोगों के मुंह पर मास्क लगे हुए थे और न ही लोगों के बीच निर्धारित दूरी का कोई पालन किया गया. लोग एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए आगे निकलने का प्रयास करते रहे. वहीं, प्रशासन इस पूरे नजारे को केवल देखता रहा.

अचानक कैसे बढ़ गई भीड़

पीएम मोदी के 24 अप्रैल को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद अचानक बॉर्डर पर लोगों की भीड़ बढ़ गई, जबकि पीएम ने अपने संबोधन में लोगों को, जो जहां है वहीं पर सुरक्षित ठहरने की हिदायत दी थी. बावजूद इसके यह भीड़ बॉर्डर पर पहुंच गई.

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बताया जा रहा है कि अचानक से लॉकडाउन के बाद लोगों के रोजगार पर संकट आ गया और लोग वहां से निकलने लगे. इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि डूंगरपुर, राजस्थान और अन्य राज्यों के जो लोग गुजरात में रहते थे, उनसे गुजरात में कमरे खाली करवाये गए या मकान मालिक की ओर से निकलने के लिए कह दिया गया, जिससे वो लोग बीच में ही फंस गए.

डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ सबसे ज्यादा परेशान

कोरोना महामारी के बाद डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के लिए सबसे ज्यादा परेशानी बढ़ गई है. रतनपुर बॉर्डर पर 6 डॉक्टर और 30 नर्सिंग स्टाफ को पहले से ही लोगों की स्क्रीनिंग के लिए लगाया गया था. लेकिन बुधवार रात को जिला अस्पताल से 20 डॉक्टर और 40 नर्सिंग स्टाफ को बुलाकर रतनपुर बॉर्डर पर जांच के लिए लगाया गया.

जबकि महामारी के बाद से ही डॉक्टर लगातार अस्पताल में लोगों की जांच और ड्यूटी कर रहे है. इसके अलावा इमरजेंसी सेवाओं में अलग से जाना पड़ता है. ऐसे में अब रात को ड्यूटी लगाए जाने से डॉक्टर्स के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ सकता है. लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

Last Updated : Mar 26, 2020, 11:10 AM IST
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