डूंगरपूर. लॉकडाउन के कारण पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों राजस्थानी देश के विभिन्न राज्यों पर फंसे हुए हैं. ये लोग अपने घरों पर लौटने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन हर किसी की अपनी अलग ही व्यथा है. गुजरात मे फंसे हजारों लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन उनकी पीड़ा को सुनने वाला भी कोई नहीं है.
कोरोना की वजह से पूरे देश में लगे लॉकडाउन से जो जहां था, वहीं फंस गया. केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को फंसे हुए, गरीब, पीड़ित, मजदूर वर्ग की मदद करने के निर्देश भी दिए. साथ ही उनके खाने का इंतजाम करने के निर्देश भी दिए. कई संगठन देशभर में आगे आये, लेकिन कई जगह जरूरतमंदों तक मदद ही नहीं पहुंची.
एक महीने बाद मॉडिफाइड लॉकडाउन लागू होने से अब एक बार फिर कई लोग अपने घरों पर जाने के लिए निकल पड़े हैं. लेकिन उन्हें गुजरात सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही. राजस्थान-गुजरात रतनपुर बॉर्डर तक पहुंचे भीलवाड़ा जिले के रायपुर तहसील के रहने वाले परिवार ने अपनी पीड़ा सुनाई. परिवार ने बताया कि वह गुजरात में मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. लॉकडाउन के कारण एक महीने तक गुजरात में अटके रहे, लेकिन उन्हें गुजरात सरकार और प्रशासन की ओर से केवल एक दिन ही खाना मिला.
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बाकी दिनों में प्रशासन की तरफ से न तो कोई खैर खबर पूछने आया और ना ही मदद करने. जैसे-तैसे कर एक महीना गुजार दिया, लेकिन बॉर्डर खुलने की जैसे ही जानकारी मिली तो घर के लिए निकल गए. दो दिनों तक घूमते-फिरते गुजरात मे रतनपुर बॉर्डर तक पहुंचे. दो दिनों तक कोई खाना तक नसीब नहीं हुआ, जो कुछ पैसे थे उससे बच्चो को खाना खिलाया, लेकिन अब तो पैसे भी खत्म हो गए.
प्रवासियों ने बताया कि पास नहीं होने के कारण राजस्थान सीमा में भी प्रवेश नहीं मिला. लेकिन जब हमारी पीड़ा सुनी तो डूंगरपुर के पुलिसकर्मियों ने खाने के लिए बिस्किट के पैकेट दिए. देर रात को जब राजस्थान सरकार ने राजस्थान के सभी लोगों को प्रवेश देने के आदेश दिए, तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली.
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दूसरी ओर गुजरात में रतनपुर बॉर्डर पर ऐसे ही कई लोग फंसे हुए हैं, जो राजस्थान को छोड़कर दूसरे राज्यों के रहने वाले हैं. पास मंजूरी नहीं होने के कारण वो अपने घरों तक नहीं पंहुच पा रहे हैं. गुजरात सरकार की ओर से न तो उन्हें खाने के पैकेट दिए जा रहे हैं और न ही किसी तरह की मदद. ऐसे में अब वे लोग केंद्र सरकार से उन्हें घर भेजने के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं और वे कब घर पहुंचेंगे.