डूंगरपुर. शहर के दशहरा मैदान में पहली बार जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज ने ध्वजारोहण के साथ रामकथा का आगाज किया. महाराज के कथा पंडाल में पंहुचते ही जयकारे गूंज उठे. जैनाचार्य के पाद प्रक्षालन किया गया. श्रीराम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ही ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है.
महाराज ने पहले दिन अहिंसा के देवता श्रीराम पर प्रवचन देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ऐसे ही राम नहीं बने, वे 14 साल तक वनवास पर रहे. लेकिन, न तो उन्होंने कभी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और न ही वनों में रहने वाले जीव को. उन्होंने वनों से ही प्रेम के खातिर शबरी के जूठे बेर तक खा लिए, लेकिन कभी भी मांसाहार को ग्रहण नहीं किया.
जैनाचार्य ने कहा कि मांसाहार ग्रहण करने वाला व्यक्ति एक राक्षस की तरह है जो हमेशा ही हिंसा के बारे में सोचता है. महाराज ने सीता हरण, वनवास, शबरी के बैर के माध्यम से लोगों को श्रीराम के चरित्र के बारे में बताया. जैनाचार्य ने आजकल बाजार में आ रहे सौंदर्य प्रसाधनों और चमड़े से बनी वस्तुओं का भी इस्तेमाल नहीं करने के लिए लोगों को प्रेरित किया.
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उन्होंने कहा कि व्यक्ति की सुंदरता उसके विचार, आचरण और व्यवहार से झलकती है. इस दौरान प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी की प्रशासिका राजयोगिनी विजयलक्ष्मी दीदी ने लोगों से अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने मन से गंदे विचारों का त्याग करने के लिए कहा. कार्यक्रम में नगर सभापति केके गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.