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डूंगरपुरः दशहरा मैदान में रामकथा का आयोजन...बड़ी संख्या में आए श्रद्धालु

डूंगरपुर के दशहरा मैदान में जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज के मुखारविंद से पांच दिवसीय श्रीराम कथा का आगाज हुआ. जिसमें बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं से पंडाल भर गया. पहले ही दिन अहिंसा के देवता प्रभु श्रीराम पर आधारित कथा को सुनकर श्रद्धालू भाव विभोर हो गए.

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Published : Sep 24, 2019, 5:23 PM IST

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डूंगरपुर. शहर के दशहरा मैदान में पहली बार जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज ने ध्वजारोहण के साथ रामकथा का आगाज किया. महाराज के कथा पंडाल में पंहुचते ही जयकारे गूंज उठे. जैनाचार्य के पाद प्रक्षालन किया गया. श्रीराम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ही ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है.

डूंगरपुर में जैनाचार्य अनुभव सागर महाराज सुना रहे रामकथा

महाराज ने पहले दिन अहिंसा के देवता श्रीराम पर प्रवचन देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ऐसे ही राम नहीं बने, वे 14 साल तक वनवास पर रहे. लेकिन, न तो उन्होंने कभी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और न ही वनों में रहने वाले जीव को. उन्होंने वनों से ही प्रेम के खातिर शबरी के जूठे बेर तक खा लिए, लेकिन कभी भी मांसाहार को ग्रहण नहीं किया.

जैनाचार्य ने कहा कि मांसाहार ग्रहण करने वाला व्यक्ति एक राक्षस की तरह है जो हमेशा ही हिंसा के बारे में सोचता है. महाराज ने सीता हरण, वनवास, शबरी के बैर के माध्यम से लोगों को श्रीराम के चरित्र के बारे में बताया. जैनाचार्य ने आजकल बाजार में आ रहे सौंदर्य प्रसाधनों और चमड़े से बनी वस्तुओं का भी इस्तेमाल नहीं करने के लिए लोगों को प्रेरित किया.

यह भी पढ़ें- उपचुनाव के जरिए जनता बताएगी कि वह सरकार के काम से संतुष्ट है या नहीं: सचिन पायलट

उन्होंने कहा कि व्यक्ति की सुंदरता उसके विचार, आचरण और व्यवहार से झलकती है. इस दौरान प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी की प्रशासिका राजयोगिनी विजयलक्ष्मी दीदी ने लोगों से अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने मन से गंदे विचारों का त्याग करने के लिए कहा. कार्यक्रम में नगर सभापति केके गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

डूंगरपुर. शहर के दशहरा मैदान में पहली बार जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज ने ध्वजारोहण के साथ रामकथा का आगाज किया. महाराज के कथा पंडाल में पंहुचते ही जयकारे गूंज उठे. जैनाचार्य के पाद प्रक्षालन किया गया. श्रीराम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ही ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है.

डूंगरपुर में जैनाचार्य अनुभव सागर महाराज सुना रहे रामकथा

महाराज ने पहले दिन अहिंसा के देवता श्रीराम पर प्रवचन देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ऐसे ही राम नहीं बने, वे 14 साल तक वनवास पर रहे. लेकिन, न तो उन्होंने कभी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और न ही वनों में रहने वाले जीव को. उन्होंने वनों से ही प्रेम के खातिर शबरी के जूठे बेर तक खा लिए, लेकिन कभी भी मांसाहार को ग्रहण नहीं किया.

जैनाचार्य ने कहा कि मांसाहार ग्रहण करने वाला व्यक्ति एक राक्षस की तरह है जो हमेशा ही हिंसा के बारे में सोचता है. महाराज ने सीता हरण, वनवास, शबरी के बैर के माध्यम से लोगों को श्रीराम के चरित्र के बारे में बताया. जैनाचार्य ने आजकल बाजार में आ रहे सौंदर्य प्रसाधनों और चमड़े से बनी वस्तुओं का भी इस्तेमाल नहीं करने के लिए लोगों को प्रेरित किया.

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उन्होंने कहा कि व्यक्ति की सुंदरता उसके विचार, आचरण और व्यवहार से झलकती है. इस दौरान प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी की प्रशासिका राजयोगिनी विजयलक्ष्मी दीदी ने लोगों से अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने मन से गंदे विचारों का त्याग करने के लिए कहा. कार्यक्रम में नगर सभापति केके गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

Intro:डूंगरपुर। शहर के दशहरा मैदान में पहली बार जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज के मुखारविंद से पांच दिवसीय श्रीराम कथा का आगाज हुआ तो बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं से पांडाल भर गया। पहले दिन अहिंसा के देवता प्रभु श्रीराम पर आधारित कथा को सुनकर श्रद्धालू भावविभोर हो गए।


Body:जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज ने ध्वजारोहण के साथ रामकथा का आगाज किया। महाराज के कथा पांडाल में पंहुचते ही जयकारें गूंज उठे। जैनाचार्य के पाद प्रक्षालन किया गया। इसके बाद जैनाचार्य ने श्रीराम कथा के बारे में बताते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम ही ऐसा व्यक्तित्व है, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया। महाराज ने पहले दिन अहिंसा के देवता श्रीराम पर प्रवचन देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ऐसे ही राम नहीं बने, वे 14 साल तक वनवास के रहे लेकिन न तो उन्होंने कभी पर्यावरण को नुकसान पंहुचाया ओर न ही वनों में रहने वाले जीव को। उन्होंने वनों से ही प्रेम के खातिर शबरी के झूठे बेर तक खा लिए लेकिन कभी भी मांसाहार को ग्रहण नहीं किया। जैनाचार्य ने कहा कि मांसाहार ग्रहण करने वाला व्यक्ति एक राक्षस की तरह है जो हमेशा ही हिंसा के बारे में सोचता है। महाराज ने सीता हरण, वनवास, शबरी के बैर के माध्यम से लोगों को श्रीराम के चरित्र के बारे में बताया। जैनाचार्य ने आजकल बाजार में आ रहे सौंदर्य प्रसाधनों और चमड़े से बनी वस्तुओं का भी इस्तेमाल नहीं करने के लिए मौजूद लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की सुंदरता उसके विचार, आचरण और व्यवहार से झलकती है। इस दौरान प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी की प्रशासिका राजयोगिनी विजयलक्ष्मी दीदी ने लोगों से अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने मन से गंदे विचारों का त्याग करने के लिए कहा। कार्यक्रम में नगर सभापति केके गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। बाईट- अनुभव सागर महाराज, जैनाचार्य।


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