ETV Bharat / state

Special : कोरोना ने रुलाया, तूफान ने किया तबाह...ETV Bharat पर कुछ यूं छलका किसानों का दर्द

author img

By

Published : May 24, 2021, 10:22 AM IST

किसानों को देश का अन्नदाता भी कहा जाता है, लेकिन यही अन्नदाता आज चौतरफा मार झेल रहा है. सालभर से कोरोना किसानों को खून के आंसू रुला रहा है तो वहीं इस बार तौकते तूफान ने उनकी उम्मीदों को भी तबाह कर दिया है, जिससे किसान बेबस और लाचार से नजर आ रहा है. खेतों में उगी सब्जियां बारिश और तूफान की भेंट चढ़ गईं. अब किसानों के माथे पर चिंता की लकीरों के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता. किसान अपना दर्द सुनाए भी तो किसे. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम उन किसानों तक पहुंची और उनका दुखड़ा जानने का प्रयास किया. देखिये डूंगरपुर से ये रिपोर्ट...

farmer is suffering all round in dungarpur
चौतरफा मार झेल रहा किसान

डूंगरपुर. राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला जहां 16 हजार की आबादी में से 70 प्रतिशत से ज्यादा किसान हैं और उनकी आजीविका खेती-बाड़ी से चलती है. किसान जो सालभर खेतों में मेहनत और हाड़तोड़ मजदूरी करता है, जिससे उसका और परिवार का पेट पलता है, लेकिन यही किसान सालभर से कई तरह की मार झेल रहा है. कोरोना काल के साथ ही किसानों की खेती बाड़ी पर भी मानो संक्रमण लग गया.

कोरोना ने रुलाया, तूफान ने किया तबाह...

मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद किसान दिन-रात एक कर खेतो में उपज तैयार करता है, लेकिन जब उपज के मोल की बात आती है तो उसे औने-पौने दाम ही मिलते हैं या फिर मौसम की मार फसलों को चौपट कर देती है. इस बार भी किसानों के साथ ऐसा ही कुछ हुआ. कोरोना का संकट झेल रहे किसानो ने खेतो में मेहनत मजदूरी कर सब्जियां उगाई, जिससे उन्हें कुछ पैसा मिलने की उम्मीद थी. खेतों में सब्जियां भी अच्छी होने लगीं और बाजार में बेचने जाते, लेकिन इसी बीच आए तौकते चक्रवात ने किसानों की उम्मीदों पर फिर पानी फेर दिया. खेतों में पानी भर गया और उनमें सब्जियां सड़ गल गईं या फिर तूफान की भेंट चढ़ गईं. किसानों की सारी मेहनत 'तौकते' खा गया और किसान एक बार फिर हाथ मलता रह गया, जिसका अब उसे कोई मोल तक नहीं मिल रहा है.

effect of tauktae and corona
डूंगरपुर में बारिश और तूफान...

किसानों की चिंता...

किसान लालशंकर, गंगा और हीरालाल बताते हैं कि कोरोनाकाल में दूसरे काम-धंधे तो ठप्प हैं. ऐसे में खेतों में सब्जियां व अन्य खेती बाड़ी करके ही उनके परिवार का गुजारा चलता है. इसके लिए खेतों में सब्जियां उगाई. भिंडी, ग्वारफली, बैंगन, टमाटर, गोभी, मिर्ची और अन्य कई सब्जियों की खेती में की थी. सब्जियां अच्छी तैयार भी हो गई थीं और उस पर सब्जियां लगने लगी थीं, जिसे बाजार में बेचकर कुछ आमदनी होती थी.

पढ़ें : SPECIAL : जयपुर में 24 घंटे काम कर रहे हैं कोविड डेडिकेटेड कंट्रोल रूम...बेड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर से लेकर तमाम जानकारियों के लिए संपर्क करें

इसी बीच ऐसा तूफान आया कि उसमें उनकी सारी सब्जियां और मेहनत उड़ गई. खेतों में उगी सब्जियां मिट्टी में समां गईं. खेतों में पानी भर जाने से कई सब्जियां सड़ गईं और खेतों में ही खराब हो गईं. किसान बताते हैं कि इन सब्जियों को बेचकर 2 से 3 लाख की आमदनी की उम्मीद थी, लेकिन यह सब्जियां अब बेकार हो चुकी हैं, जिस कारण किसान अब सब्जियों को निकालकर उसे सार संभाल में जुट गए हैं. किसानों का कहना है कि अब इन सब्जियों का कोई खरीदार भी नहीं है.

farmer is suffering all round in dungarpur
कोरोना के बाद तूफान ने किया तबाह...

कोरोना के कारण पहले ही महंगे पौधे मिले, अब उतनी कमाई भी नहीं...

किसान लालशंकर बताते हैं कि कोरोना के कारण उन्हें सब्जियों के काफी महंगे पौधे खरीदकर लगाए थे. जो पौधे बाजार में पहले 50 पैसे से 1 रुपये में मिलते थे, वही सब्जी के पौधे उन्हें 2 से 3 रुपये महंगा खरीदना पड़ा था. सब्जियां लगने के बाद कमाई की उम्मीद के कारण वे दिन रात खेतों में जी-तोड़ मेहनत कर रहे थे. लेकिन तूफान में तबाह हुई, सब्जियों के लिए कोई खरीदार नहीं है, जिस कारण उन्हें उनकी मेहनत का फल मिलना तो दूर पौधों को खरीदकर लगाने में जो खर्च हुआ वह भी वसूल नहीं हो रहा है. किसान बताते हैं कि खेतों को जोतने में भी उन्हें 25 से 30 हजार का खर्च हुआ था, उसका उन्हें सीधा-सीधा नुकसान है.

पढ़ें : इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध से जुड़ा रहा है अलवर का इतिहास, आर्थिक मदद और हथियार कराए थे मुहैया...रियासत के सैनिकों ने भी लिया था हिस्सा

कोरोना का हवाला देकर मंडी व्यापारी भी कम भाव में खरीदते हैं सब्जियां...

किसान बताते हैं कि सालभर से कोरोना महामारी चल रही है, जिस कारण सब्जियों को मंडी में बेचने जाने पर व्यापारी भी कोरोना का हवाला देकर उन सब्जियों को कम भाव में खरीदते हैं. ऐसे में जो सब्जी 40 से 50 रुपये किलो बिकने वाली थी, उसके आधे रुपये भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं. वहीं, होटल, रेस्टोरेंट बंद होने के कारण भी उनकी सब्जियों के कोई खरीदार नहीं मिल रहे और बाजार में उनका सही मोल नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसान चिंतित और हताश है.

farmer is suffering all round in dungarpur
डूंगरपुर में फसलें बर्बाद...

6 हजार किसान निधि, इससे तो जुताई का खर्च भी नहीं निकलता...

किसान हीरालाल बताते हैं कि उन्हें किसान निधि के रूप में सालभर के 6 हजार रुपये मिलते हैं, लेकिन इससे तो खेतो में जुताई का खर्च भी नहीं निकल पाता है. वे बताते हैं कि इसके अलावा सरकार की ओर से आज तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, जिससे कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. किसानों ने कहा कि कोरोनाकाल के बाद तूफान ने उनकी कमर तोड़ दी है. सरकार अगर सर्वे करवाकर खराबे का मुआवजा दे तो कुछ राहत मिल सकती है.

डूंगरपुर. राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला जहां 16 हजार की आबादी में से 70 प्रतिशत से ज्यादा किसान हैं और उनकी आजीविका खेती-बाड़ी से चलती है. किसान जो सालभर खेतों में मेहनत और हाड़तोड़ मजदूरी करता है, जिससे उसका और परिवार का पेट पलता है, लेकिन यही किसान सालभर से कई तरह की मार झेल रहा है. कोरोना काल के साथ ही किसानों की खेती बाड़ी पर भी मानो संक्रमण लग गया.

कोरोना ने रुलाया, तूफान ने किया तबाह...

मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद किसान दिन-रात एक कर खेतो में उपज तैयार करता है, लेकिन जब उपज के मोल की बात आती है तो उसे औने-पौने दाम ही मिलते हैं या फिर मौसम की मार फसलों को चौपट कर देती है. इस बार भी किसानों के साथ ऐसा ही कुछ हुआ. कोरोना का संकट झेल रहे किसानो ने खेतो में मेहनत मजदूरी कर सब्जियां उगाई, जिससे उन्हें कुछ पैसा मिलने की उम्मीद थी. खेतों में सब्जियां भी अच्छी होने लगीं और बाजार में बेचने जाते, लेकिन इसी बीच आए तौकते चक्रवात ने किसानों की उम्मीदों पर फिर पानी फेर दिया. खेतों में पानी भर गया और उनमें सब्जियां सड़ गल गईं या फिर तूफान की भेंट चढ़ गईं. किसानों की सारी मेहनत 'तौकते' खा गया और किसान एक बार फिर हाथ मलता रह गया, जिसका अब उसे कोई मोल तक नहीं मिल रहा है.

effect of tauktae and corona
डूंगरपुर में बारिश और तूफान...

किसानों की चिंता...

किसान लालशंकर, गंगा और हीरालाल बताते हैं कि कोरोनाकाल में दूसरे काम-धंधे तो ठप्प हैं. ऐसे में खेतों में सब्जियां व अन्य खेती बाड़ी करके ही उनके परिवार का गुजारा चलता है. इसके लिए खेतों में सब्जियां उगाई. भिंडी, ग्वारफली, बैंगन, टमाटर, गोभी, मिर्ची और अन्य कई सब्जियों की खेती में की थी. सब्जियां अच्छी तैयार भी हो गई थीं और उस पर सब्जियां लगने लगी थीं, जिसे बाजार में बेचकर कुछ आमदनी होती थी.

पढ़ें : SPECIAL : जयपुर में 24 घंटे काम कर रहे हैं कोविड डेडिकेटेड कंट्रोल रूम...बेड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर से लेकर तमाम जानकारियों के लिए संपर्क करें

इसी बीच ऐसा तूफान आया कि उसमें उनकी सारी सब्जियां और मेहनत उड़ गई. खेतों में उगी सब्जियां मिट्टी में समां गईं. खेतों में पानी भर जाने से कई सब्जियां सड़ गईं और खेतों में ही खराब हो गईं. किसान बताते हैं कि इन सब्जियों को बेचकर 2 से 3 लाख की आमदनी की उम्मीद थी, लेकिन यह सब्जियां अब बेकार हो चुकी हैं, जिस कारण किसान अब सब्जियों को निकालकर उसे सार संभाल में जुट गए हैं. किसानों का कहना है कि अब इन सब्जियों का कोई खरीदार भी नहीं है.

farmer is suffering all round in dungarpur
कोरोना के बाद तूफान ने किया तबाह...

कोरोना के कारण पहले ही महंगे पौधे मिले, अब उतनी कमाई भी नहीं...

किसान लालशंकर बताते हैं कि कोरोना के कारण उन्हें सब्जियों के काफी महंगे पौधे खरीदकर लगाए थे. जो पौधे बाजार में पहले 50 पैसे से 1 रुपये में मिलते थे, वही सब्जी के पौधे उन्हें 2 से 3 रुपये महंगा खरीदना पड़ा था. सब्जियां लगने के बाद कमाई की उम्मीद के कारण वे दिन रात खेतों में जी-तोड़ मेहनत कर रहे थे. लेकिन तूफान में तबाह हुई, सब्जियों के लिए कोई खरीदार नहीं है, जिस कारण उन्हें उनकी मेहनत का फल मिलना तो दूर पौधों को खरीदकर लगाने में जो खर्च हुआ वह भी वसूल नहीं हो रहा है. किसान बताते हैं कि खेतों को जोतने में भी उन्हें 25 से 30 हजार का खर्च हुआ था, उसका उन्हें सीधा-सीधा नुकसान है.

पढ़ें : इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध से जुड़ा रहा है अलवर का इतिहास, आर्थिक मदद और हथियार कराए थे मुहैया...रियासत के सैनिकों ने भी लिया था हिस्सा

कोरोना का हवाला देकर मंडी व्यापारी भी कम भाव में खरीदते हैं सब्जियां...

किसान बताते हैं कि सालभर से कोरोना महामारी चल रही है, जिस कारण सब्जियों को मंडी में बेचने जाने पर व्यापारी भी कोरोना का हवाला देकर उन सब्जियों को कम भाव में खरीदते हैं. ऐसे में जो सब्जी 40 से 50 रुपये किलो बिकने वाली थी, उसके आधे रुपये भी उन्हें नहीं मिल रहे हैं. वहीं, होटल, रेस्टोरेंट बंद होने के कारण भी उनकी सब्जियों के कोई खरीदार नहीं मिल रहे और बाजार में उनका सही मोल नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसान चिंतित और हताश है.

farmer is suffering all round in dungarpur
डूंगरपुर में फसलें बर्बाद...

6 हजार किसान निधि, इससे तो जुताई का खर्च भी नहीं निकलता...

किसान हीरालाल बताते हैं कि उन्हें किसान निधि के रूप में सालभर के 6 हजार रुपये मिलते हैं, लेकिन इससे तो खेतो में जुताई का खर्च भी नहीं निकल पाता है. वे बताते हैं कि इसके अलावा सरकार की ओर से आज तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, जिससे कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. किसानों ने कहा कि कोरोनाकाल के बाद तूफान ने उनकी कमर तोड़ दी है. सरकार अगर सर्वे करवाकर खराबे का मुआवजा दे तो कुछ राहत मिल सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.