डूंगरपुर. कोरोना में हर सेक्टर के बिजनेस पर प्रभाव पड़ा है. शराब का कारोबार भी इससे अछूता नहीं रह सका. कोरोना में शराब की बिक्री में कमी आई है. कारोबार व रोजगार बंद होने और कमाई घटने से तमाम शौकिनों ने शराब से दूरी बना ली है. यहीं कारण है कि पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले इस साल अक्टूबर तक आबकारी विभाग को 18 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है.
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वहीं शराब बिक्री नहीं होने से ठेकेदारों को पेनल्टी के रूप में हानि हुई है. प्रदेश में पहले कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से लोगों का रोजगार छिन गया. जिसका सीधा असर उनकी माली हालत पर पड़ा. नौकरी जाने और कमाई घटने से शराब के शौकिनों ने शराब से दूरी बना ली. डूंगरपुर आबकारी विभाग के आंकड़े बता रहे है कि पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर तक आबकारी विभाग को 1 अरब 7 करोड़ का राजस्व मिला था. जबकि इस वित्तीय वर्ष की बात करें तो कोरोना के चलते अप्रैल से अक्टूबर तक 88 करोड़ 96 लाख रुपए का ही राजस्व मिला है. जो पिछले साल से 18 करोड़ कम है.
शराब कारोबारियों पर जुर्माना
कोरोना में जहां आबकारी विभाग को राजस्व का नुकसान हुआ है तो वहीं शराब ठेकेदारों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. कंपोजिट शराब की दुकानों के ठेकेदारों द्वारा प्रतिमाह निर्धारित शराब का उठाव नहीं करने पर आबकारी विभाग ने सम्बन्धित ठेकेदारों से एक करोड़ 21 लाख की पेनल्टी वसूली है.
235 करोड़ का लक्ष्य
इस वर्ष राज्य सरकार की ओर से डूंगरपुर आबकारी विभाग को 235 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य मिला है. जिसके मुकाबले डूंगरपुर आबकारी विभाग अभी तक 88 करोड़ 96 लाख का राजस्व ही हासिल कर पाया है. जो लक्ष्य का 37.85 फीसदी ही है. ऐसे में कोरोना महामारी के बीच घट रही शराब बिक्री में डूंगरपुर आबकारी विभाग के लिए 100 प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति करना एक चुनौती साबित होगा.