डूंगरपुर. प्रदेश कांग्रेस में एक साल पहले गुटबाजी के चलते जिलाध्यक्ष सहित सभी कमेटियां भंग हो चुकी हैं और नए जिलाध्यक्षों की अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है. ऐसे में जिलाध्यक्ष को लेकर बार-बार कई नाम सामने आ रहे हैं, तो वहीं सबसे बड़ा नाम है कांग्रेस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष व पूर्व मंत्री दिनेश खोडनिया का, जिन्होंने खुद को जिलाध्यक्ष की दौड़ से बाहर बताते हुए नए युवा चेहरे को मौका देने की पैरवी की.
कांग्रेस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश खोडनिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काफी करीबी माने जाते हैं, इसलिए भी उनका नाम जिलाध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे बताया जाता है, लेकिन कांग्रेस के एक सम्मेलन के दौरान दिनेश खोडनिया ने संबोधित करते हुए कहा कि "मैं जिलाध्यक्ष दावेदार का नही हूं.. नहीं हूं.. नहीं हूं.. कृपया अफवाहें मत फैलाइए."
उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष रहते उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को साथ में लेकर काम करने का प्रयास किया है. चाहे वह विधायक, पंचायतीराज में टिकट वितरण की बात हो या मुख्यमंत्री से मुलाकात और बजट घोषणा में उनकी मांगें.
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खोडनिया ने कहा कि फिर भी कुछ लोग अपने स्वार्थ के खातिर कांग्रेस को कमजोर करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिलाध्यक्ष सहित सभी कमेटियां एक साल से भंग कर दी गई हैं, बावजूद एक साल से बिना किसी पैसे के काम करवाए जा रहे हैं. उन्होंने खुद को जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर बताते हुए कहा कि अब किसी नए व्यक्ति को मौका मिलना चाहिए, जो जिले की बागड़ोर को संभाल सके.
उन्होंने कहा कि डूंगरपुर में संभाग के अन्य जिलों के मुकाबले राजनीतिक परिस्थितियां बदली हैं और यहां का युवा अलग सोच रखता है. इसे समझ नहीं पाए, इसलिए कांग्रेस को नुकसान हुआ है. खोडनिया ने कहा कि नए जिलाध्यक्ष को लेकर सबसे पहले वे खुद शुरुआत करेंगे कि डूंगरपुर में नए चेहरे को मौका मिले, जो सभी को संगठित रूप से साथ लेकर चले.