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लॉकडाउनः बेजुबानों के लिए आगे आए भामाशाह, नगर परिषद ने किया चारे-पानी का इंतजाम

कोरोना वायरस की महामारी से देश और दुनिया जूझ रही है तो इससे बेजुबान जानवर और पक्षी भी अछूते नहीं है. वायरस के प्रकोप से सुरक्षा के लिए मनुष्य लॉकडाउन है और उनके खाने-पीने का इंतजाम तो हो रहा लेकिन बेजुबान जानवर अपनी तकलीफ बताएं तो भी किसे? लेकिन यहां मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ ही डूंगरपूर नगर परिषद और शहर के भामाशाह बेजुबान जानवरों के चारे-पानी का इंतजाम करने के लिए आगे आये है.

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यहां मनुष्य के साथ बेजुबान जानवरों की भी चिंता
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Published : Apr 16, 2020, 12:28 PM IST

डूंगरपुर. कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के लिए हर आम और खास लॉकडाउन में कैद है, तो बेजुबान जानवर की परवाह भी किसी को नहीं है. मनुष्य के बचाव के लिए तो अस्पतालों में डॉक्टर भगवान की तरह डटे है, हजारों बेड के आइसोलेशन सेंटर तैयार कर दिए है. पुलिस से लेकर प्रशासन और चिकित्सा विभाग जुटा है. सेनेटाइजर बांटे जा रहे तो भूखों को खाना और राशन भी वितरित किया जा रहा है, लेकिन कोरोना के लॉकडाउन में गोशाला की गायें भी फंस गई है.

यहां मनुष्य के साथ बेजुबान जानवरों की भी चिंता

डूंगरपुर में नगर परिषद और महावीर कल्याण धर्मादा सेवा संस्थान की ओर से भंडारिया में गोशाला संचालित की जा रही है. गोशाला में छोटी-बड़ी 160 गाये और बछड़े है. लॉकडाउन में जहां मनुष्यों के लिए खाने-पीने का इंतज़ाम हो रहा है तो वहीं बेजुबान गायों और बछड़ों को कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए नगर परिषद के साथ ही शहर के भामाशाहों ने उनके चारे पानी का इंतजाम किया है. गायों को अब भी तीनों वक्त चारा दिया जा रहा है तो वहीं भीषण गर्मी को देखते हुए पीने के पानी की भी व्यवस्था है.

पढ़ेंः कोरोना से जंग में एक दूसरे के साथी बने लोग, भीलवाड़ा में गाडोलिया लोहार समाज ने जरूरतमंदों के बीच बांटी राशन सामग्री

बता दें, कि गायों की देखभाल यहां एक पशुपालक परिवार की ओर से प्रतिदिन की जाती है. इतना ही नहीं किसी गाय या बछड़े के बीमार होने पर पशु चिकित्सक की ओर से जांच भी करवाई जा रही है. वहीं इस संक्रमण के दौर में गायों की भी डॉक्टरों की ओर से जांच की जा रही है. नगर परिषद सभापति केके गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति और वेद-पुराणों में गायों को माता का दर्जा है और गायों को किसी भी तरह के चारे ओर पानी की समस्या नहीं आने दी जाएगी. इसके अलावा गायों का नियमित चिकित्सकीय परीक्षण भी करवाया जा रहा है.

पंछियों के लिए दाने का इंतजाम...

डूंगरपुर नगर परिषद ने पंछियों के लिए पहले से ही नाना भाई पार्क में छह मंजिला आशियाना बना रखा है, जहां पंछियों के लिए छोटे-छोटे घोंसले बने हुए है और पंछियों की चहचहाट सुनाई देती है. गेपसागर झील के किनारे पंछियों के इस आश्रय स्थल पर नगर परिषद की ओर से ही रोजाना दाना-पानी डाला जा रहा है, ताकि कोरोना का प्रकोप ओर भीषण गर्मी में बेजुबान पंछियों को कोई तकलीफ नहीं रहे.

डूंगरपुर. कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के लिए हर आम और खास लॉकडाउन में कैद है, तो बेजुबान जानवर की परवाह भी किसी को नहीं है. मनुष्य के बचाव के लिए तो अस्पतालों में डॉक्टर भगवान की तरह डटे है, हजारों बेड के आइसोलेशन सेंटर तैयार कर दिए है. पुलिस से लेकर प्रशासन और चिकित्सा विभाग जुटा है. सेनेटाइजर बांटे जा रहे तो भूखों को खाना और राशन भी वितरित किया जा रहा है, लेकिन कोरोना के लॉकडाउन में गोशाला की गायें भी फंस गई है.

यहां मनुष्य के साथ बेजुबान जानवरों की भी चिंता

डूंगरपुर में नगर परिषद और महावीर कल्याण धर्मादा सेवा संस्थान की ओर से भंडारिया में गोशाला संचालित की जा रही है. गोशाला में छोटी-बड़ी 160 गाये और बछड़े है. लॉकडाउन में जहां मनुष्यों के लिए खाने-पीने का इंतज़ाम हो रहा है तो वहीं बेजुबान गायों और बछड़ों को कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए नगर परिषद के साथ ही शहर के भामाशाहों ने उनके चारे पानी का इंतजाम किया है. गायों को अब भी तीनों वक्त चारा दिया जा रहा है तो वहीं भीषण गर्मी को देखते हुए पीने के पानी की भी व्यवस्था है.

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बता दें, कि गायों की देखभाल यहां एक पशुपालक परिवार की ओर से प्रतिदिन की जाती है. इतना ही नहीं किसी गाय या बछड़े के बीमार होने पर पशु चिकित्सक की ओर से जांच भी करवाई जा रही है. वहीं इस संक्रमण के दौर में गायों की भी डॉक्टरों की ओर से जांच की जा रही है. नगर परिषद सभापति केके गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति और वेद-पुराणों में गायों को माता का दर्जा है और गायों को किसी भी तरह के चारे ओर पानी की समस्या नहीं आने दी जाएगी. इसके अलावा गायों का नियमित चिकित्सकीय परीक्षण भी करवाया जा रहा है.

पंछियों के लिए दाने का इंतजाम...

डूंगरपुर नगर परिषद ने पंछियों के लिए पहले से ही नाना भाई पार्क में छह मंजिला आशियाना बना रखा है, जहां पंछियों के लिए छोटे-छोटे घोंसले बने हुए है और पंछियों की चहचहाट सुनाई देती है. गेपसागर झील के किनारे पंछियों के इस आश्रय स्थल पर नगर परिषद की ओर से ही रोजाना दाना-पानी डाला जा रहा है, ताकि कोरोना का प्रकोप ओर भीषण गर्मी में बेजुबान पंछियों को कोई तकलीफ नहीं रहे.

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