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राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन समेत 5 लोगों पर कूटरचित दस्तावेज के जरिए 40 बीघा जमीन हड़पने का मामला दर्ज, सीआईडी सीबी करेगी जांच - राजस्थान लेटेस्ट न्यूज

डूंगरपुर में राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह सहित 5 लोगों पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन हड़पने का केस दर्ज हुआ है.

Rajya Sabha MP Harshvardhan Singh, Dungarpur news
राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन पर 40 बीघा जमीन हड़पने का आरोप
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Published : Sep 29, 2021, 6:07 PM IST

Updated : Sep 29, 2021, 7:24 PM IST

डूंगरपुर. जिले के कोतवाली थाने में राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह (Rajya Sabha MP Harshvardhan Singh) सहित 5 लोगोंं के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार कर 40 बीघा जमीन हड़पने का मामला दर्ज हुआ है. इस मामले की जांच अब सीआईडी सीबी (CID CB) करेगी.

कोतवाली थाने के सीआई दिलीपदान ने बताया की शहर के लालपुरा निवासी सलीम ने कोर्ट के इस्तगासे पर राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह, तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है. उन्होंने बताया कि इस्तगासे में पीड़ित ने बताया कि साल 1965 में डूंगरपुर महारावल के सेकेट्री अम्बालाल पटेल से उनके पिता पीरवक्ष मेवाफरोश ने 40 बीघा जमीन खरीदी थी.

राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन पर 40 बीघा जमीन हड़पने का आरोप

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1985 को उपपंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री भी करवाई थी लेकिन सीलिंग एक्ट लागू होने के बाद उनकी जमीन बिलानाम हो गई थी. जिसके चलते प्रार्थी का नाम राजस्व रिकॉर्ड में अंकित नहीं हो सका था. इसके बाद प्रार्थी ने डूंगरपुर एसडीएम कोर्ट में खातेदारी हक के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमे 13 फरवरी 2001 को लैंड होल्डर डूंगरपुर तहसीलदार की ओर से राजकीय भूमि बताने पर डूंगरपुर एसडीएम ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था.

जिसके बाद प्रार्थी ने राजस्व अपील अधिकारी डूंगरपुर के समक्ष अपील की. जिसमें 14 अगस्त 2001 को राजस्व अपील अधिकारी ने डूंगरपुर एसडीएम कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए रजिस्टर्ड दस्तावेजों के आधार पर प्रार्थी को हिस्सेदार काश्तकार घोषित किया था. इस निर्णय के बाद डूंगरपुर तहसीलदार के राजस्व मंडल अजमेर में अपील की थी. जिसमें राजस्व मंडल अजमेर ने तहसीलदार की अपील को खारिज कर दिया था.

यह भी पढ़ें. उपचुनाव में कांग्रेस भारी मतों से जीतेगी, REET में गड़बड़ी के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे : प्रमोद जैन भाया

जिसके बाद प्रार्थी ने 5 जुलाई 2004 को नामांतरण खोलने के लिए डूंगरपुर तहसीलदार को प्रार्थना पत्र पेश किया था. लेकिन रेवेन्यू बोर्ड में मामला लंबित होने का हवाला देते हुए तहसीलदार ने नामान्तरण नहीं खोला था. आरोप है कि 13 जून 2017 को राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह ने अपने प्रभाव से कूट रचित दस्तावेज तैयार करके तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव से मिलीभगत कर 40 बीघा जमीन का नामान्तरण अपने नाम खुलवा लिया था.

इसी मामले में पीड़ित सलीम ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस्तागासा दिया था. जिसके बाद इस्तगासे पर कोतवाली थाना पुलिस ने राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह, तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.

डूंगरपुर. जिले के कोतवाली थाने में राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह (Rajya Sabha MP Harshvardhan Singh) सहित 5 लोगोंं के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार कर 40 बीघा जमीन हड़पने का मामला दर्ज हुआ है. इस मामले की जांच अब सीआईडी सीबी (CID CB) करेगी.

कोतवाली थाने के सीआई दिलीपदान ने बताया की शहर के लालपुरा निवासी सलीम ने कोर्ट के इस्तगासे पर राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह, तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया है. उन्होंने बताया कि इस्तगासे में पीड़ित ने बताया कि साल 1965 में डूंगरपुर महारावल के सेकेट्री अम्बालाल पटेल से उनके पिता पीरवक्ष मेवाफरोश ने 40 बीघा जमीन खरीदी थी.

राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन पर 40 बीघा जमीन हड़पने का आरोप

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1985 को उपपंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री भी करवाई थी लेकिन सीलिंग एक्ट लागू होने के बाद उनकी जमीन बिलानाम हो गई थी. जिसके चलते प्रार्थी का नाम राजस्व रिकॉर्ड में अंकित नहीं हो सका था. इसके बाद प्रार्थी ने डूंगरपुर एसडीएम कोर्ट में खातेदारी हक के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमे 13 फरवरी 2001 को लैंड होल्डर डूंगरपुर तहसीलदार की ओर से राजकीय भूमि बताने पर डूंगरपुर एसडीएम ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था.

जिसके बाद प्रार्थी ने राजस्व अपील अधिकारी डूंगरपुर के समक्ष अपील की. जिसमें 14 अगस्त 2001 को राजस्व अपील अधिकारी ने डूंगरपुर एसडीएम कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए रजिस्टर्ड दस्तावेजों के आधार पर प्रार्थी को हिस्सेदार काश्तकार घोषित किया था. इस निर्णय के बाद डूंगरपुर तहसीलदार के राजस्व मंडल अजमेर में अपील की थी. जिसमें राजस्व मंडल अजमेर ने तहसीलदार की अपील को खारिज कर दिया था.

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जिसके बाद प्रार्थी ने 5 जुलाई 2004 को नामांतरण खोलने के लिए डूंगरपुर तहसीलदार को प्रार्थना पत्र पेश किया था. लेकिन रेवेन्यू बोर्ड में मामला लंबित होने का हवाला देते हुए तहसीलदार ने नामान्तरण नहीं खोला था. आरोप है कि 13 जून 2017 को राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह ने अपने प्रभाव से कूट रचित दस्तावेज तैयार करके तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव से मिलीभगत कर 40 बीघा जमीन का नामान्तरण अपने नाम खुलवा लिया था.

इसी मामले में पीड़ित सलीम ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस्तागासा दिया था. जिसके बाद इस्तगासे पर कोतवाली थाना पुलिस ने राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह, तत्कालीन डूंगरपुर तहसीलदार, मांडवा खापरडा पटवारी, सरपंच और ग्राम सचिव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.

Last Updated : Sep 29, 2021, 7:24 PM IST
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