डूंगरपुर. सबका लालन-पोषण करने वाले भगवान को भी अब उधार का भोग लगाया जा रहा है. हम बात कर रहे हैं डूंगरपुर जिले के मंदिरों की. जिले में विभिन्न सरकारी योजनाओं में बजट नहीं आने का असर आमजन के साथ अब भगवान पर भी देखने को मिल रहा है. बता दें कि विभाग की ओर से भोग की राशी नहीं मिलने से मंदिरों के पुजारियों को स्वयं के खर्च से या उधारी में लाकर भगवान को भोग लगाना पड़ रहा है.
दरअसल, डूंगरपुर जिले में देवस्थान विभाग द्वारा राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार श्रेणी वाले 30 मंदिरों का संचालन किया जा रहा है. जिसमें देवस्थान विभाग की ओर से इन मंदिरों में भगवान के भोग के लिए प्रतिमाह प्रति मंदिर 1500 रुपए की राशि दी जाती है, लेकिन पिछले 10 माह से देवस्थान विभाग की ओर से इन मंदिरों में भोग की राशि उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है. जिसके चलते इन 30 मंदिरों का पिछले 10 माह का साढ़े 4 लाख रुपए बकाया जा रहा है.
इन मंदिरों में नहीं दी जा रही भोग की राशी
डूंगरपुर शहर की बात करें तो नवा महादेव मंदिर, सारनेश्वर महादेव मंदिर, कालिका माता मंदिर, जसवंत गणपति मंदिर, सुरपुर माधवराव मंदिर , धनेश्वर महादेव मंदिर ऐसे हैं जहां मई 2019 से अभी तक प्रति माह उपलब्ध होने वाली भोग की राशी उपलब्ध नहीं हो पाई है. इसके अलावा राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार श्रेणी वाले 24 मंदिर और भी हैं जहां भोग की राशि उपलब्ध नहीं होने से पुजारी स्वयं के खर्च से या उधारी से भगवान को भोग लगा रहे हैं.
यह भी पढ़ें : दिल्ली की जनता ने बीजेपी को अच्छा सबक सिखाया...लंबे समय तक याद रखेंगे : मुख्यमंत्री गहलोत
पुजारियों का कहना है कि भोग की राशि के साथ उनको दिया जाने वाला मानदेय भी समय पर नहीं मिलता है. जिससे वह भगवान को उधार का भोग लगाने के लिए मजबूर हैं. उनकी मांग है कि प्रशासन इस ओर ध्यान दे और उनका मानदेय भी बढ़ाए.
पिछले दिनों देवस्थान विभाग के अतिरिक्त आयुक्त ने डूंगरपुर जिले का दौरा किया था. उस समय मंदिरों के पुजारियों ने भोग की राशि की मांग की थी. जिसपर अतिरिक्त आयुक्त ने जल्द ही राशि देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक ये राशी मंदिरों को उपलब्ध नहीं हो पाई है. अब देखना होगा कि कब तक भगवान को उधार का भोग चढ़ाया जाएगा.