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डूंगरपुर में अधिकारियों की लापरवाही...8 साल से आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण कार्य अधूरे - आंगनबाड़ी केंद्र के भवन अधूरे

डूंगरपुर में विभागीय अधिकारी और एजेंसी की लापरवाही के कारण जिले में 8 साल से स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र के भवन आज तक अधूरे हैं, जबकि सरकार की ओर से इन भवनों के लिए बजट भी दे दिया गया है. ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्र किसी स्कूल या किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है.

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विभागीय अधिकारी की लापरवाही से 8 सालों से आंगनबाड़ी केंद्र के भवन अधूरे
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Published : Jul 20, 2020, 11:06 AM IST

डूंगरपुर. जिले में सरकार की योजनाओं पर विभागीय अधिकारी और एजेंसियां लापरवाह नजर आ रही है. यही कारण है कि जिले में 8 साल से स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र के भवन आज तक अधूरे है, जबकि सरकार की ओर से इन भवनों के लिए बजट भी दे दिया गया है. ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद भवन नहीं मिला, तो आंगनबाड़ी केंद्र किसी स्कूल या किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है.

विभागीय अधिकारी की लापरवाही से 8 सालों से आंगनबाड़ी केंद्र के भवन अधूरे

मां और बच्चों की देखभाल के साथ ही कुपोषण को दूर करने के लिए प्रदेश मे आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. इसके लिए सरकार हर साल लाखों रुपए का बजट भी देती है, लेकिन इस पर सरकारी लापरवाही भारी पड़ रही है. डूंगरपुर जिले की बात करें, तो जिले में पिछले 8 सालों में 98 आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकार की ओर से मंजूरी मिली. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अलग-अलग बजट भी जारी किया गया, लेकिन इसमें से 97 भवन का निर्माण कार्य अभी भी पूरा नहीं हुआ है और यह अधूरे है.

इसमें से वर्ष 2013-2014 में 11 आंगनबाड़ी केंद्र, वर्ष 2015-16 में 59 आंगनबाड़ी केंद्र और वर्ष 2016-17 में 27 आंगनबाड़ी केंद्रों को स्वीकृति मिली थी, जो आज भी अधूरे है. इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक लक्ष्मी सरपोटा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों की मंजूरी के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवा दिए थे, लेकिन कार्यकारी एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य में ढ़ीलाई के कारण यह भवन अधूरे है.

यह भी पढ़ें- विधायक खरीद-फरोख्त मामले में अब इस बीजेपी नेता को SOG का नोटिस

उपनिदेशक ने यह भी बताया कि कुछ केंद्रों पर परकोटा निर्माण, शौचालय निर्माण, फर्श आदि के काम बाकी थे. इसके बावजूद एजेंसी ने कार्य पूरा होने की जानकारी दे दी थी, जबकि मौके पर जाकर सत्यापन करने पर काम अधूरा पाया गया. इसके बाद एजेंसी को वापस काम करने के लिए भी निर्देश दिए हैं. इन अधूरे भवनों के बारे में प्रशासन को भी अवगत करवाया गया है.

127 क्षतिग्रस्त और 244 किराये के भवन में संचालित

महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक लक्ष्मी सरपोटा ने बताया कि डूंगरपुर जिले में 127 आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. इसके अलावा 244 आगनबाड़ी केंद्र के खुद के भवन नहीं होने के कारण किराये के भवन में चल रहे हैं. यह भवन संबंधित स्कूल, गांव के ही किसी मकान या किराये के कमरे में चलाया जा रहा है. अगर सरकार की ओर से स्वीकृत 97 आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों का निर्माण कार्य पूरा हो जाता है, तो स्कूल या किराये के कमरों में चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या में कमी आएगी. इसके अलावा इस वर्ष 37 आंगनबाड़ी केंद्रों का मनरेगा के तहत निर्माण कार्य की अलग से मंजूरी आई है.

डूंगरपुर. जिले में सरकार की योजनाओं पर विभागीय अधिकारी और एजेंसियां लापरवाह नजर आ रही है. यही कारण है कि जिले में 8 साल से स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र के भवन आज तक अधूरे है, जबकि सरकार की ओर से इन भवनों के लिए बजट भी दे दिया गया है. ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद भवन नहीं मिला, तो आंगनबाड़ी केंद्र किसी स्कूल या किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है.

विभागीय अधिकारी की लापरवाही से 8 सालों से आंगनबाड़ी केंद्र के भवन अधूरे

मां और बच्चों की देखभाल के साथ ही कुपोषण को दूर करने के लिए प्रदेश मे आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. इसके लिए सरकार हर साल लाखों रुपए का बजट भी देती है, लेकिन इस पर सरकारी लापरवाही भारी पड़ रही है. डूंगरपुर जिले की बात करें, तो जिले में पिछले 8 सालों में 98 आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकार की ओर से मंजूरी मिली. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से अलग-अलग बजट भी जारी किया गया, लेकिन इसमें से 97 भवन का निर्माण कार्य अभी भी पूरा नहीं हुआ है और यह अधूरे है.

इसमें से वर्ष 2013-2014 में 11 आंगनबाड़ी केंद्र, वर्ष 2015-16 में 59 आंगनबाड़ी केंद्र और वर्ष 2016-17 में 27 आंगनबाड़ी केंद्रों को स्वीकृति मिली थी, जो आज भी अधूरे है. इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक लक्ष्मी सरपोटा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों की मंजूरी के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवा दिए थे, लेकिन कार्यकारी एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य में ढ़ीलाई के कारण यह भवन अधूरे है.

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उपनिदेशक ने यह भी बताया कि कुछ केंद्रों पर परकोटा निर्माण, शौचालय निर्माण, फर्श आदि के काम बाकी थे. इसके बावजूद एजेंसी ने कार्य पूरा होने की जानकारी दे दी थी, जबकि मौके पर जाकर सत्यापन करने पर काम अधूरा पाया गया. इसके बाद एजेंसी को वापस काम करने के लिए भी निर्देश दिए हैं. इन अधूरे भवनों के बारे में प्रशासन को भी अवगत करवाया गया है.

127 क्षतिग्रस्त और 244 किराये के भवन में संचालित

महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक लक्ष्मी सरपोटा ने बताया कि डूंगरपुर जिले में 127 आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. इसके अलावा 244 आगनबाड़ी केंद्र के खुद के भवन नहीं होने के कारण किराये के भवन में चल रहे हैं. यह भवन संबंधित स्कूल, गांव के ही किसी मकान या किराये के कमरे में चलाया जा रहा है. अगर सरकार की ओर से स्वीकृत 97 आंगनबाड़ी केंद्र के भवनों का निर्माण कार्य पूरा हो जाता है, तो स्कूल या किराये के कमरों में चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या में कमी आएगी. इसके अलावा इस वर्ष 37 आंगनबाड़ी केंद्रों का मनरेगा के तहत निर्माण कार्य की अलग से मंजूरी आई है.

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