डूंगरपुर. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले के लिए राष्ट्रीय महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना वरदान साबित हो रही है. कोरोनाकाल में हजारों लोग बेरोजगार होकर घर लौट आए तो उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया. ऐसे में मनरेगा योजना से हजारों लोगों को रोजगार मिला.
अब अनलॉक के बाद कई लोग वापस अपने कामकाज को लौट रहे हैं, जिससे मनरेगा श्रमिकों की संख्या में भारी कमी आई है. इसके बावजूद जिले में 4 लाख से ज्यादा लोगों को मनरेगा में रोजगार मिला. 20 हजार से ज्यादा श्रमिकों ने 100 दिन का रोजगार पूरा किया. ईटीवी भारत ने कोरोनाकाल में मनरेगा से कितने लोगों को रोजगार मिला, कितना खर्च हुआ इन तमाम बातों को जाना और लोगों के साथ ही अधिकारियों से बात की.
कोरोना की माहामारी के बाद देश और प्रदेशभर में मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू हो गया था. इसके बाद देशभर में बाजार से लेकर उद्योग-धंधे सबकुछ ठप हो गया. जिसका सबसे बड़ा असर रोजगार पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण हजारों की संख्या में दूसरे देश, राज्यो और जिलों में रोजगार कर रहे लोग बेरोजगार हो गए और सब पलायन कर अपने घरों लौट आए थे. इस दौरान उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया और कई लोग आर्थिक तंगी के शिकार हुए.
जिससे उनके सामने परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया. ऐसे दौर में लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार देना शुरू किया. देशभर में उद्योग धंधे ठप पड़े थे तो वहीं, रोजगार गारंटी वरदान साबित हुई. इस दौरान सरकार ने अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देना शुरू किया.
अप्रैल-मई में 4 लाख से ज्यादा श्रमिकों को मिला रोजगार
मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद दीपेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अप्रैल-मई 2020 में मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या 4 लाख से ज्यादा हो गई थी. हालांकि इसके बाद अब अनलॉक के दौरान कई श्रमिक वापस अपने कामकाज पर लौट चुके हैं. जिस कारण अब मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों का आंकड़ा 1 लाख ही रह गया है. हालांकि इस बीच चुनाव के दौरान मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या केवल 60 हजार ही रह गई थी, लेकिन अब एक बार फिर श्रमिकों की संख्या बढ़ी है.
20 हजार श्रमिकों के 100 दिन का रोजगार पूरा
सीईओ ने बताया कि जिले में वर्तमान में 1 लाख से ज्यादा श्रमिक मनरेगा के तहत रोजगार कर रहे है. वहीं, 22 हजार 975 श्रमिकों के 100 दिन का रोजगार पूरा हो चुका है. औसत 60 मानव दिवस लोगों ने पूरे कर लिए है. सीईओ ने बताया कि इस साल 1 लाख लोगों के 100 दिन के रोजगार पूरा करने का लक्ष्य है. पिछले साल 2019-20 में 51 हजार 494 लोगों ने 100 दिन का रोजगार पूरा किया था.
65263.63 लाख रुपये हुए खर्च
मनरेगा योजना के तहत जिले में रिकॉर्ड 4 लाख से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिला तो वहीं, रिकार्ड खर्च भी हुआ है. कोरोना के कारण बेरोजगार लोगों को रोजगार की संख्या बढ़ी तो वहीं, 65263.63 लाख रुपए इस पर खर्च हुए हैं. इसमें से 33927.94 लाख रुपए का भुगतान श्रमिकों को रोजगार मद में किया गया है तो वहीं, 5746.78 लाख रुपए सामग्री मद में खर्च हुए है. जबकि पिछले साल 2019-20 में कुल 18491.01 लाख रुपए ही सालभर में खर्च हुए थे.