डूंगरपुर. जिले के जंगलों में बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता के पेड़ पाए जाते हैं. तेंदूपत्ता बीड़ी उद्योग में काम में आता है. तेंदू पत्ता संग्रहण के लिए वन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष टेंडर किये जाते हैं. इन टेंडर से वन विभाग को आय होती है. ये तेंदूपत्ता अब वनवासियों को रोजगार भी देगा और सरकार को कमाई भी. देखिये यह रिपोर्ट...
तेंदू पत्ता संग्रहण को लेकर वन विभाग की ओर से संभाग मुख्यालय पर नीलामी की गई. जिसमें डूंगरपुर जिले के सभी 9 इकाइयों के ठेके हो गए हैं. इससे वन विभाग को 2 करोड़ 47 लाख रुपए की आय होगी. वनवासियों को तेंदूपत्ता तोड़ने का रोजगार मिलेगा.
सबसे खास यह है कि 2017 के बाद वन विभाग को पहली बार तेंदूपत्ता इकाइयों से इतनी अधिक आय हो रही है.
राज्य सरकार ने भी वनवासियों को फायदा देने के लिए प्रति मानक बोरा की दर से वृद्धि करते हुए 1080 रुपए निर्धारित किया है. सभी 9 इकाइयों से औसतन 24 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण होता है.
बीड़ी पीने वालों की संख्या बढ़ी
कोरोना संक्रमण काल में जहां लोगों के रोजगार छिन गए, तो आर्थिक तंगी के चलते सिगरेट के शौकीनों में भारी गिरावट आई है. सिगरेट के स्थान पर बीड़ी का प्रचलन बढ़ गया है. एक तरह से कोरोना संक्रमण काल में बरसों से मंदी का शिकार चल रहे बीड़ी उद्योग को संजीवनी मिली है.
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो नीलामी के दौरान एक इकाई को लेने के लिए 10-10 ठेकेदार तैयार थे.
जिले में कौनसी इकाई कितने में बिकी
तय दर से 5 गुना अधिक दरों में इकाइयों की नीलामी हुई है. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस साल मौसम भी उनका साथ दे रहा है. गत वर्षों की तुलना में सर्दी अच्छी पड़ी है. आगामी दिनों में गर्मी भी तेज रहने की संभावना है. जब जोरदार सर्दी के बाद गर्मी शुरू होती है तो जंगल में तेंदूपत्ता ज्यादा मात्रा में निकलता है.
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अभी हल्की गर्मी शुरू हो गई है. तेंदूपत्ता के पेड़ों पर नई कोपलें आना शुरू हो गई हैं. फरवरी-मार्च में तेंदूपत्ता के पेड़ों पर भरपूर मात्रा में पत्ते आ जाएंगे. अप्रैल से तेंदू पत्ता तोड़ने का काम शुरू हो जाएगा. यह मई माह तक चलेगा. तेंदूपत्ता तोड़ने का काम सिर्फ 2 माह चलता है.
कुल मिलाकर तेंदूपत्ता से आबाद जंगल एक तरफ वन विभाग का सूखा दूर कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वन वासियों को भी रोजगार मुहैया कराने का साधन बन गया है.