बसेड़ी (धौलपुर). सरमथुरा राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंबुलेंस कर्मी की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. चूहे मारने की दवा खाकर अस्पताल के परिसर में एक 50 साल की महिला तड़पती रही.
बता दें, महिला का बेटा बार-बार एंबुलेंस कर्मी को फोन लगाता रहा. लेकिन करीब ढाई घंटे तक एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंचे. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने भी पीड़ित की मदद करने की जहमत नहीं उठाई. देरी से पहुंची एंबुलेंस के बाद महिला को जिला अस्पताल रेफर किया गया.
जानकारी के मुताबिक, सरमथुरा थाना क्षेत्र के डोमई गांव निवासी निब्बो पत्नी रमेश ने किन्ही कारणों से घर में रखी चूहे मारने की दवा का सेवन कर लिया था, जिससे महिला की तबीयत घर पर बिगड़ने लगी. परिजनों ने नजदीकी राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरमथुरा पर भर्ती कराया. लेकिन महिला की नाजुक हालत होने पर चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार देकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया. तत्कालीन समय पर अस्पताल में एंबुलेंस मौजूद नहीं थी.
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महिला के बेटे जीतू ने बताया, अस्पताल प्रबंधन ने महिला को बाहर निकाल दिया. अस्पताल के बाहर फर्श पर पड़ी बिलखती रही. एंबुलेंस कर्मी को फोन किया था. एंबुलेंस कर्मी ने 20 से 25 मिनट में आने की बोला था. लेकिन एंबुलेंस मरीज को उठाने नहीं आई. इस दौरान पीड़ित अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस बुलाने की गुहार करता रहा. महिला की हालत ज्यादा बिगड़ने पर छटपटा रही थी. जबकि, पास में खड़े एंबुलेंसकर्मी गपशप लड़ाने में व्यस्त थे.
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स्थानीय लोगों ने मामले की खबर आरसीएचओ डॉ. शिवकुमार को दी. उन्होंने मौके पर पहुंचकर एंबुलेंस को बुलाया. उसके बाद महिला को जिला अस्पताल भिजवाया गया. करीब 2 घंटे तक महिला भीषण गर्मी में फर्श पर तड़पती रही. लेकिन सिस्टम के जिम्मेदारों ने मानवता दिखाने तक की जहमत नहीं उठाई.