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मचकुंड के दो दिवसीय लक्खी मेले की शुरूआत, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई मचकुंड सरोवर में डुबकी - धौलपुर न्यूज

धौलपुर में ऋषि पंचमी से शुरू हुए मचकुंड के दो दिवसीय लक्खी मेले में लाखों श्रद्धालु मचकुंड के सरोवर में डूबकी लगाई. देवछठ के पावन मौके पर पांच किलोमीटर तक सड़क पर दूर-दूर तक लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा. पुलिस के द्वारा मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

धौलपुर मचकुंड का लक्खी मेला, Lakkhi Fair of Dholpur Machkund
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Published : Sep 4, 2019, 8:13 PM IST

धौलपुर. जिले के ऐतिहासिक एवं सभी तीर्थो का भांजा कहे जाने वाले तीर्थराज मचकुंड के लक्खी मेले में बुधवार को लाखों श्रद्धालुओं ने मचकुंड सरोवर में डुबकी लगाई. देवछठ के इस मौके पर पांच किलोमीटर की सड़क पर दूर-दूर तक लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा. वहीं कुंड में एक श्रद्धालु की डूबने से मौत हो गई.

धौलपुर में तीर्थराज मचकुंड में श्रद्धालुओं ने सरोवर में लगाई डुबकी


लीलाधर श्री कृष्ण से जुड़ी है मचकुंड के लक्खी मेले की मान्यता
प्रति वर्ष देवछठ के मौके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले कि मान्यता है कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध में श्री कृष्ण को भी हार का मुंह देखना पडा. तब उन्होंने छल से मचकुंड महाराज के जरिए कालयवन का वध कराया था.

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जिसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई. जिसके बाद से आज तक मचकुंड महाराज कि तपोभूमि में सभी लोग देवछठ के मौके पर स्नान करते आ रहे हैं. यहां नवविवाहित जोड़ों के सहरे की कलंगी को सरोवर में विसर्जित कर उनके भावी सुखी जीवन की मंगलकामना की जाती है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: अचलेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग, दिन में 3 बार बदलता है रंग


मचकुंड में डुबकी के बिना चार धाम की यात्रा अधूरी

ऋषि पंचमी से शुरू हुए इस मेले में राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के साथ दूसरे प्रांतों के लाखों श्रद्धालु मचकुंड सरोवर में स्नान करने आते हैं. मान्यता है कि जो श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करता है उसकी तीर्थयात्रा तब तक सफल नहीं होती जब तक वो साल में एक बार आने वाली देवछठ पर तीर्थराज मचकुंड डुबकी नहीं लगा लेता.

यह भी पढ़ें- मुंबई से सोलह सौ किमी दूर, जानिए कहां विराजते हैं दूसरे 'लालबाग के राजा'


दूर-दूर से आए लाखों श्रद्धालु, सुरक्षा चाक-चौबंद

देवछठ के मौके पर पांच किलोमीटर तक सड़क पर दूर-दूर तक श्रद्धालुओं का सैलाब लगा हुआ है. जो भक्तों की श्रद्धा को दर्शाता है, जिसके चलते लोग दूर-दूर से इस मेले में शामिल होने आते हैं. श्रद्धालु मचकुंड महाराज के जयकारों के साथ सरोवर में डुबकी लगा मेले के एतिहासिक क्षणों का आनंद उठाते हैं. मेले में उमड़ी भीड़ की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की और से पुख्ता बंदोबस्त किये गए हैं. जिसके तहत इस बार मेले में चार सौ से ज्यादा पुलिस के जवानों के साथ आरएसी की कंपनियां भी तैनात की गई है. साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही हैं.


कुंड में डूबने से एक श्रद्धालु की मौत
वहीं सरोवर में डूबकी लगाते समय कुंड में एक श्रद्धालु की डूबने से मौत हो गई. मृतक के शव को पुलिस ने गोताखोरों की मदद से बाहर निकाल कर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया है. लेकिन, अभी मृतक के शव की शिनाख्त नहीं हुई है.

धौलपुर. जिले के ऐतिहासिक एवं सभी तीर्थो का भांजा कहे जाने वाले तीर्थराज मचकुंड के लक्खी मेले में बुधवार को लाखों श्रद्धालुओं ने मचकुंड सरोवर में डुबकी लगाई. देवछठ के इस मौके पर पांच किलोमीटर की सड़क पर दूर-दूर तक लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा. वहीं कुंड में एक श्रद्धालु की डूबने से मौत हो गई.

धौलपुर में तीर्थराज मचकुंड में श्रद्धालुओं ने सरोवर में लगाई डुबकी


लीलाधर श्री कृष्ण से जुड़ी है मचकुंड के लक्खी मेले की मान्यता
प्रति वर्ष देवछठ के मौके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले कि मान्यता है कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध में श्री कृष्ण को भी हार का मुंह देखना पडा. तब उन्होंने छल से मचकुंड महाराज के जरिए कालयवन का वध कराया था.

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जिसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई. जिसके बाद से आज तक मचकुंड महाराज कि तपोभूमि में सभी लोग देवछठ के मौके पर स्नान करते आ रहे हैं. यहां नवविवाहित जोड़ों के सहरे की कलंगी को सरोवर में विसर्जित कर उनके भावी सुखी जीवन की मंगलकामना की जाती है.

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मचकुंड में डुबकी के बिना चार धाम की यात्रा अधूरी

ऋषि पंचमी से शुरू हुए इस मेले में राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के साथ दूसरे प्रांतों के लाखों श्रद्धालु मचकुंड सरोवर में स्नान करने आते हैं. मान्यता है कि जो श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करता है उसकी तीर्थयात्रा तब तक सफल नहीं होती जब तक वो साल में एक बार आने वाली देवछठ पर तीर्थराज मचकुंड डुबकी नहीं लगा लेता.

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दूर-दूर से आए लाखों श्रद्धालु, सुरक्षा चाक-चौबंद

देवछठ के मौके पर पांच किलोमीटर तक सड़क पर दूर-दूर तक श्रद्धालुओं का सैलाब लगा हुआ है. जो भक्तों की श्रद्धा को दर्शाता है, जिसके चलते लोग दूर-दूर से इस मेले में शामिल होने आते हैं. श्रद्धालु मचकुंड महाराज के जयकारों के साथ सरोवर में डुबकी लगा मेले के एतिहासिक क्षणों का आनंद उठाते हैं. मेले में उमड़ी भीड़ की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की और से पुख्ता बंदोबस्त किये गए हैं. जिसके तहत इस बार मेले में चार सौ से ज्यादा पुलिस के जवानों के साथ आरएसी की कंपनियां भी तैनात की गई है. साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही हैं.


कुंड में डूबने से एक श्रद्धालु की मौत
वहीं सरोवर में डूबकी लगाते समय कुंड में एक श्रद्धालु की डूबने से मौत हो गई. मृतक के शव को पुलिस ने गोताखोरों की मदद से बाहर निकाल कर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया है. लेकिन, अभी मृतक के शव की शिनाख्त नहीं हुई है.

Intro:धौलपुर जिले के ऐतिहासिक एवं सभी तीर्थो का भांजा कहे जाने वाले तीर्थराज मचकुंड के लक्खी मेले में आज लाखो श्रद्धालुओं ने मचकुंड सरोवर में डुबकी लगाईं। देवछठ के इस मौके पर पांच किलोमीटर क़ी सड़क पर दूर दूर तक लाखो श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा पड़ा।  वही कुंड में एक श्रद्धालु की डूबने से मौत हो गई.

प्रति वर्ष देवछठ के मोके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले कि मान्यता है कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा जिस युद्ध में लीलाधर को भी हार का मुंह देखना पडा तब लीलाधर ने छल से मचकुंड महाराज के जरिये कालयवन का वध कराया था जिसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियो में ख़ुशी कि लहर दोड़ गई जिसके बाद से ही आज तक मचकुंड महाराज कि तपोभूमि मचकुंड में सभी लोग देवछठ के मोके स्नान करते आ रहे है.जहां इन नवविवाहित जोड़ो के सहरे की कलंगी को सरोवर में विसर्जित कर उनके जीवन की मंगलकामना की जाती है.



Body:ऋषि पंचमी से शुरू शुरू हुए इस मेले में राजस्थान,हरियाणा,उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के साथ दूसरे प्रांतो के लाखो श्रद्धालु मचकुण्ड सरोवर में स्नान करने आते हैं.मान्यता है कि जो श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करता है उसकी तीर्थयात्रा तब तक सफल नहीं होती जब तक वो साल में एक वार पड़ने वाली देवछठ पर तीर्थराज मचकुण्ड डुबकी नहीं लगाता। 

देवछठ के इस मोके पर पांच किलोमीटर क़ी सड़क पर दूर दूर तक लगा श्रद्धालुओं का सैलाव इन भक्तो क़ी उस श्रद्धा को दर्शाता है जिसके चलते लोग दूर दूर से इस मेले में शामिल होने आते है.श्रद्धा में ये श्रद्धालु मचकुंड महाराज के जयकारो के साथ सरोवर में डुबकी लगा मेले के हर उस एतिहासिक क्षण का आनंद उठाते है.मेले की इसी मान्यता को लेकर होने वाली भीड़ की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की और से पुख्ता बंदोबस्त किये जाते है जिसके तहत इस बार भी मेले में चार सौ से ज्यादा पुलिस के जवानो के साथ आरएसी की कम्पनिया भी तैनात की गई है.साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही हैं.

    


Conclusion:वही कुंड में एक श्रद्धालु की डूबने से मौत हो गई.मृतक के शव को पुलिस ने गोताखोरों की मदद से बाहर निकाल कर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखबा दिया हैं,लेकिन अभी मृतक के शव की शिनाख्त नहीं हुई हैं.
Byte:-संजय मथुरिया,श्रद्धालु
Report:-
Neeraj Sharma
Dholpur


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