धौलपुर. जिले में सोमवार को जिला कलक्ट्रेट सभागार में जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल की अध्यक्षता और एडीजे शक्ति सिंह के मुख्य आतिथ्य में विश्व उपभोक्ता दिवस के उपलक्ष्य में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना थीम पर आधारित संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिला कलेक्टर संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण के नियंत्राण हेतु उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि जानवरों के अंदर प्लास्टिक के जैव संचय, प्लास्टिक प्रदूषण सबसे हाल के प्रभावों में से एक है. जमी हुई प्लास्टिक हानिकारक रसायनों को मुक्त करती है, और छोटे टुकड़ों में भी विभाजित हो जाती है और जानवरों की मृत्यु के बाद, उनका शरीर विघटित होता है, लेकिन प्लास्टिक के टुकड़े अन्य जानवरों के लिए खतरे के रूप में रह जाते हैं.
उन्होंने कहा कि जब प्लास्टिक पृथ्वी में जगह-जगह जमा होने लगता है, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मानव और जीव-जंतुओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगता है, तो इसे प्लास्टिक प्रदूषण कहा जाता है. प्लास्टिक प्रदूषण सभी प्रकार के प्रदुषण को बढ़ावा देता है. यह मुख्य रूप से मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है. उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि सब्जी खरीदने जाते समय अपने साथ कपड़े का बना थैला आवश्यक रूप से उपयोग में लाएं और अन्य लोगों को भी जागरूक करें.
संगोष्ठी में एडीजे शक्ति सिंह ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण बहुत बड़ी विकराल समस्या है. जिससे बेजुबान पशु जैसे गाय प्लास्टिक के सेवन से असामायिक मौत का शिकार हो जाते है. आमजन को जागरूक होकर प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित कर अपने दैनिक जीवन में कपड़े से बने बैग का इस्तेमाल करें. उन्होंने प्लास्टिक प्रदुषण के कारणों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्लास्टिक महंगा नहीं है, इसलिए यह अधिक उपयोग किया जाता है.
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इसने हमारी भूमि पर कब्जा कर लिया है, जब इसको समाप्त किया जाता है, तो यह आसानी से विघटित नहीं होता है, और इसलिए वह उस क्षेत्रा के भूमि और मिट्टी को प्रदूषित करता है. एकबार ही प्रयोग के बाद अधिकांश लोग प्लास्टिक की बोतलें और पॉलिथीन बैग को फेंक देते हैं. इससे भूमि और साथ ही महासागरों में प्रदूषण दर बढ़ जाती है, मुख्यतः विकासशील और अविकसित देशों में इसकी बजह से प्रदुषण बढ़ रहा है. प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, त्याग किए गए इलेक्ट्रॉनिक समान, खिलौने विशेषकर शहरी इलाकों में नहरों, नदियों और झीलों के जल के निकास को रोक रहे है. इसलिए इन सभी के प्रभावी नियंत्रण की आवश्यकता है.