धौलपुर. जिले में दीया तले अंधेरा वाली कहावत बिल्कुल सच साबित होती है. यहां शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नरपुरा गांव में लोग पिछले 40 साल से शुद्ध पानी के लिए तरस रहे हैं. वहीं जमीन के नीचे गिरते भू जल स्तर के चलते यहां जल संकट खड़ा कर दिया. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल समस्या बड़ा रूप ले रही है.
डांग क्षेत्र के साथ ही धौलपुर में अब कई जगह पेयजल संकट है. लोग सुबह से शाम तक ग्रामीण पानी के लिए किलोमीटरों का सफर तय कर रहे हैं, लेकिन पीने के लिए शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है. जिससे जिले भर में पानी के लिए त्राहिमाम बना हुआ है. धौलपुर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति एक हजार लोगों की आबादी का गांव नरपुरा पानी के लिए हुकूमत और सरकारी हुक्मरानों का मुंह ताक रहा है. ग्रामीणों के कंठ सूख रहे हैं. उधर सिस्टम के जिम्मेदार कुम्भकर्णी नीद में सोये हुए है.
ईटीवी भारत की टीम ने आज नरपुरा गांव के हालात देखे तो ग्रामीण महिलाओं का दर्द झलक उठा. महिलाओं ने कहा कि लगभग 40 वर्ष का समय पूरा हो गया, लेकिन गांव में सरकार और शासन पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं करा सके हैं. ग्रामीणों को गांव के बाहर तीन किलोमीटर की दूरी का सफर तय कर कुए से अशुद्ध पानी लाना पड़ता है, जो ग्रामीणों की दिनचर्या का लम्बे समय से हिस्सा बना हुआ है.
ग्रामीण महिला लक्ष्मी का कहना है कि नेता चुनाव के समय बड़े वादे कर वोट ले जाते हैं, लेकिन चुनाब निकलते ही मुंह तक नहीं दिखाते है. ग्रामीण महिला प्रेमदेवी ने बताया कि तीन किलोमीटर की दूरी तय कर पानी कुए से भरकर लाना पड़ता है. चुनाव के समय नेताओं ने आश्वासन दिया था, लेकिन समस्या से निजात दिलाने कोई नहीं आया. वहीं यहां लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण महिला महेश्वरी ने बताया कि गन्दा और खराब पानी पीना हम लोगों की लाचारी बन गया है. 40 वर्ष से सिर पर पानी ढ़ोना जीवन का हिस्सा बन गया है.
वहीं सरकार और शासन के जिम्मेदार कुम्भकर्णी नींद में सोये हुए हैं. लोगों ने उम्मीद की थी कि सत्ता परिवर्तन के बाद हालातों में सुधार होगा, लेकिन धौलपुर में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है. मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन भारी परेशानी से गुजर रहा है.