धौलपुर. सफाईकर्मी विभाग में गजब की लापरवाही सामने आई है. दरअसल, हुआ कुछ यूं कि जिसको नौकरी मिलनी थी, उसको न मिलकर किसी और को मिल गई. फिर क्या कि महिला ने दो साल तक सरकारी नौकरी कर ली. लेकिन जैसे ही भनक लगी, तो मामला खुलकर सामने आया.
क्या था मामला?
दरअसल, साल 2018 में धौलपुर नगर परिषद में सफाईकर्मियों की लॉटरी प्रक्रिया से भर्ती हुई थी. इसमें मनिया कस्बे की टांडा ग्राम पंचायत के गांव बराबट निवासी मीना पत्नी स्वर्गीय राजेश कुमार ने ओबीसी कैटेगरी में विधवा कोटे से सफाई कर्मचारी पद पर आवेदन किया. लॉटरी में चयनित होने के बाद 14 जुलाई 2018 को आदेश क्रमांक 3003 से नियुक्ति पत्र उसके निवास गांव बराबट पर भेजा गया. लेकिन उसी गांव में मीना पत्नी राजेश भी रहती है. नियुक्ति पत्र गलती से उसके घर चला गया. लेकिन उसने आवेदन नहीं करने के बाद भी नियुक्ति पत्र ले लिया और 16 जुलाई को नौकरी भी ज्वॉइन कर ली.
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धौलपुर नगर परिषद में संबंधित बाबू ने गड़बड़ी नहीं पकड़ी. सबसे बड़ी बात तो यह है कि असली मीना पत्नी स्वर्गीय राजेश कुमार की उम्र मात्र 27 साल थी. जबकि दूसरी मीना की उम्र 34 साल. वहीं असली मीना पत्नी स्वर्गीय राजेश कुमार ने ओबीसी में आवेदन किया था, जिसने अपने आवेदन के साथ ओबीसी का प्रमाण-पत्र के अलावा पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र, शैक्षिक दस्तावेज और मूल निवासी प्रमाण पत्र लगाया था.
जबकि नौकरी ज्वॉइन करने के बाद फर्जी दूसरी मीना ने पुलिस सत्यापन, चरित्र प्रमाण-पत्र, स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र और शौचालय निर्माण प्रमाण-पत्र लगाया था. इन सभी प्रमाण-पत्रों में फर्जी दूसरी मीना ने अपने नाम के साथ जाति के कॉलम में जाटव लिखा हुआ था. इसके बाद भी बाबू ने दस्तावेजों की भिन्नता को नहीं पकड़ा. इतना ही नहीं मूल आवेदन और बाद में लगाए गए दस्तावेजों में अलग-अलग फोटो तक का मिलान नहीं किया. अगर उसी समय फोटो पर ध्यान दिया जाता तो गड़बड़ी पकड़ी जा सकती थी.
तब हुआ खुलासा, जब...
सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति के दो साल होने के कारण अगस्त और सितम्बर महीने में उनका वेतन स्थायीकरण किया जाना था. पहले तो नगर परिषद अधिकारी-कर्मचारियों ने एक साथ ही सभी का एक ही फाइल में वेतन स्थायीकरण करने की बात कही, लेकिन आयुक्त सौरभ जिंदल ने इसे नकारते हुए सभी के दस्तावेजों को फिर से जांच करने के बाद ही वेतन स्थायीकरण करने के आदेश दिए. इसके बाद सभी कर्मचारियों की फाइलों को जांचा गया और सभी से ओरिजनल दस्तावेज मंगाए गए.
इसी प्रकार फर्जी दूसरी मीना से भी दस्तावेज मंगाए, तो उसके सभी दस्तावेजों को लेकर उसके बजाय उसका पति राजेश नगर परिषद पहुंच गया. तब मामले का खुलाया हुआ कि नियुक्ति ही गलत तरीके से हुई है. इसके बाद 30 सितंबर 2020 को नौकरी से हटाते हुए उसे नोटिस भी तामील कराया है, जिसमें कानूनी कार्रवाई की बात कही है. नगर परिषद आयुक्त ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की है. इसमें अधिशासी अभियंता बृजमोहन सिंहल, एएओ महेश माहोर, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक प्रकाश श्रीवास्तव और लिपिक महेश दीक्षित को शामिल किया गया है, यह कमेटी यह जांच करेगी.