धौलपुर. जिले में जिला प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ती हुई नजर आ रही हैं. मुख्यमंत्री के आदेश हैं कि ग्रामीण इलाकों में काेराेना बढ़ रहा है. लिहाजा ग्रामीणों को गांव में ही उपचार की व्यवस्था कराई जाए, लेकिन जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण के सरकारी अस्पतालों में लगे डाॅक्टरों को जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में लगा दिया है. इसके उलट प्रशासन यह भी दावा कर है कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर रहे हैं. लेकिन धौलपुर शहर से महज 12 किलोमीटर दूर सरानी खेड़ा, पचगांव और उसके आसपास के गांवों की हकीकत कुछ और ही है.
कहने को तो सरानीखेड़ा ग्राम पंचायत में पीएचसी यानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन हकीकत सरकारी दावों की पोल खोल रही है. इस पीएचसी में डॉक्टर तक नहीं है, यहां पर तैनात डॉक्टर डाॅ. रवि गुप्ता की ड्यूटी जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में लगा दी गई है. ऐसे में पीएचसी एक होम्योपैथी डाॅक्टर के भरोसे चल रही है. इमरजेंसी में अगर यहां पर कोई मरीज आता है, तो उसे वापस लौटा दिया जाता है, क्योंकि सिर्फ परामर्श देकर वापस लौटा दिया जाता है.
यह हाल सिर्फ सरानीखेड़ा पीएचसी का नहीं है, बल्कि पचगांव, मोरोली, हथवारी सहित अन्य पीएचसी का है, जहां के डाॅक्टरों को जिला प्रशासन ने आदेश कर धौलपुर जिला अस्पताल में लगा दिया गया है और ग्रामीण इलाकों में मरीजों को दवाओं के नाम पर सिर्फ निराश होकर वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीण झोलाछाप के पास जाने को मजबूर हो रहे हैं. पचगांव पीएचसी पर करीब 25 दिन से ओपीडी ही नहीं खुली है. यहां के डाॅ. चेतन सारस्वत की भी ड्यूटी जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में लगा दी गई है. ऐसे में यह पीएचसी भी सरकारी दावों के पोल खोल रही है.
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ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी सिर्फ अपनी मनमानी कर रहे हैं. ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा सिर्फ कागजों पर दी जा रही है, जबकि हकीकत में हालत बहुत ही खराब है. राजकीय पाॅलीटेक्निक में बनाए गए कोविड सेंटर पर तीन कोरोना के मरीज हैं, जबकि यहां आधा दर्जन डाॅक्टरों के साथ नर्सिंग कर्मियों की ड्यूटी लगा रखी है. यहां आपको डॉक्टर एक भी नहीं मिलेगा और नर्सिंग स्टाफ के भरोसे यह सेंटर चलाया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों की पीएचसी में लगे डाॅक्टरों को जिला अस्पताल में लगाने से जिला अस्पताल के डाॅक्टरों की मनमानी चल रही है.
अस्पताल सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल के कुछ डाॅक्टर अपने निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त हैं. अस्पताल में मरीजों को देखने के लिए पीएचसी के डाॅक्टरों को लगा दिया गया, जबकि अस्पताल में पर्याप्त डाॅक्टर होने के बाद भी वे नजर नहीं आ रहे हैं. सरानी खेड़ा में झोलाछाप डाॅक्टर बुखार, जुकाम और खांसी के मरीजों का उपचार कर रहे हैं और उनसे मोटी रकम भी ऐंठ रहे हैं. सरानीखेड़ा में एक झोलाछाप डाॅक्टर के पास टीम ईटीवी भारत की पहुंची तो वह मरीजों का इलाज करता हुआ मिला. झोलाछाप डाॅक्टर से जब बात करना चाहा गया तो वह उठकर सामने एक गली में भाग गया. लोगों का कहना है कि पीएचसी में डाॅक्टर नहीं होने के कारण उनकी मजबूरी बनी हुई है कि वे झोलाछाप से इलाज करवा रहे हैं.
सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेश हैं कि ग्रामीणों को मौके पर ही उपचार की व्यवस्था कराई जाए, लेकिन जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की नाकामी के कारण ग्रामीण अंचल के लोग झोलाछाप चिकित्सकों से उपचार कराने के लिए मजबूर हैं. जिससे जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खुल कर सामने आ रही है.