राजाखेड़ा (धौलपुर). जिले के राजाखेड़ा उपखंड के दिहोली थाना क्षेत्र के बीहड़ों में स्थित माता रेहना वाली के मंदिर में लक्खी मेले का जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने शुभारंभ किया. दोनों ने मंदिर में हवन-पूजन किया. मेले का आयोजन 22 मार्च 2023 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 8 अप्रैल 2023 वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तक होगा. इस अवसर पर राजाखेड़ा विधानसभा से विधायक रोहित बोहरा भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़े.
मंदिर से जुड़ी है कई किंवदंतियां : माता रेहना वाली का इतिहास काफी पुराना है और इससे जुड़ी कई किवदंतियां भी हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार धौलपुर जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गांव मरैना के पास चंबल नदी में वीरान बीहड़ों के बीच रेहना वाली माता का मंदिर स्थित है. प्राचीन समय में श्री 1008 नारायण गिरी महाराज की कीर्ति फैली हुई थी. नारायण गिरी महाराज ने कुन्तलपुर के घने जंगलों में देवी की आराधना कर मां से साक्षात्कार किया.
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नारायण गिरी महाराज ने इस क्षेत्र में 80 यज्ञ का आयोजन कर प्रत्येक स्थल पर देवी मंदिरों की स्थापना की थी. स्थानीय लोगों के अनुसार महाराज की आराधना से खुश होकर देवी बाबा के साथ बालिका के रूप में चलने लगीं. जहां भी बाबा होते वहीं देवी पहुंच जातीं. बाबा देवी को रेहना वाली के नाम से बुलाते थे. जिस स्थान पर आज मंदिर है यहां पर घना जंगल एव बीहड़ क्षेत्र था. बाबा ने इस स्थान पर कुटिया बनाकर तपस्या की और कुटिया के बाहर वह कन्या सदैव शेर पर सवारी किए अठखेलियां खेला करती थी.
स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा देवी को पुत्री के रूप में मानते थे. आज देवी के प्रासाद के पास बाबा की मूर्ति विराजमान है और निर्माण के बाद बाबा का कुंतलपुर में ही समाधि बनाया गया, जहां विशाल आश्रम स्थित है. माता रेहना वाली का संबंध महाभारत काल में राजा भोज की कुंतलपुर राजधानी एवं कुंती से भी है. यहां माता के दो स्थान हैं, एक घने बीहड़ों में तो दूसरा स्थान रैना गांव में. दोनों स्थानों पर मां पीलू के पेड़ के नीचे विराजमान हैं. प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तक राजाखेड़ा उपखंड के दिहोली थाना क्षेत्र में बीहड़ों में स्थित माता रेहना वाली के मंदिर पर लक्खी मेला भरता है, जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश सहित अन्य सीमावर्ती राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.