धौलपुर. जिले के सैंपऊ उपखंड के 44 गांवों की आबादी पेयजल के लिए तरस रही है. इलाके के लिए आठ साल पहले क्षेत्रीय ऑफसेट योजना स्वीकृत की गई थी. लेकिन उसका काम पूरा नहीं हो पा रहा है. रिपोर्ट देखिये...
पिछले 8 वर्ष से परियोजना का काम कछुआ चाल से चल रहा है. ऐसे में हजारों ग्रामीणों के कंठ पानी का इंतजार कर रहे हैं. पीएचईडी प्रोजेक्ट एवं परियोजना का काम कर रही फर्म की लापरवाही के कारण 24 माह में पूरा होने वाला परियोजना का कार्य 96 माह यानी 8 साल में भी पूरा नहीं हो सका है. कंपनी की लेटलतीफी के चलते क्षेत्रवासियों को चंबल का पानी नहीं मिल रहा है.
परियोजना के पिछड़ने से इसकी लागत भी बढ़ गई है. इससे गांवों में टंकी निर्माण सहित कई जरूरी कार्य अधूरे पड़े हुए हैं. वर्ष 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने क्षेत्रीय ऑफसेट योजना के लिए सवा 32 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी की थी. परियोजना का काम चेन्नई की फर्म मैसर्स श्रीराम ईपीसी कर रही है. फर्म ने परियोजना को अधर में लटका रखा है. फर्म पर पैनल्टी भी लगाई गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
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8 गांवों में बननी थी टंकियां
परियोजना के अंतर्गत उपखंड के 8 गांवों में पानी की टंकियों का निर्माण होना था. कुछ जगह निर्माण पूरा हो चुका है. परौआ गांव में टंकी निर्माण शुरु नहीं हुआ है. चितौरा में टंकी का निर्माण अधूरा पड़ा है. इसके अलावा तसीमों, दोनारी, मालोनी पंवार, सैंपऊ, रजौरा खुर्द और सहरौली में पानी भंडारण के लिए टंकीयों का निर्माण हो चुका है. इलाके में पूर्व में बनी पुरानी चार टंकियों सहित कुल 12 टंकियों को योजना के पंप हाउस से भरा जाना है.
खारे और फ्लोराइड युक्त पानी से मिलेगी निजात
परियोजना से 44 गांवों को मेन राइजिंग लाइन से जोड़कर पानी की टंकियों को भरा जाएगा. इसके बाद गांवों को पानी सप्लाई किया जाएगा. ग्रामीण इलाके के लोगों को पेयजल की कमी फ्लोराइड युक्त और खारी पानी से निजात मिल सकेगी. तसीमों, सैंपऊ, रजौरा खुर्द, पिपहेरा और बसई नवाब में पुरानी टंकियों के साथ नई टंकियों में पानी नलों के माध्यम से सप्लाई किया जाएगा. अन्य गांवों में दो से 50 घरों पर एक पीएसपी यानी सार्वजनिक नल द्वारा ग्रामीणों को पानी सप्लाई होगा. पशुओं के लिए प्रत्येक गांव में पशु डोली का निर्माण कराया जाएगा.
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परियोजना एक नजर में
परियोजना में अब तक 740 किलोलीटर का आर डब्ल्यू आर 400 किलो लीटर क्षमता का स्वच्छ जलाशय साढे 5 एमएलडी क्षमता का फिल्टर प्लांट सहित डेढ़ से साढे तीन लाख लीटर की 8 पेयजल टंकियां प्रस्तावित हैं. करीब 56 किलोमीटर की राइजिंग लाइन 69 किलोमीटर लंबी वितरण लाइन और ग्राम वितरण लाइन करीब 207 किलोमीटर प्रस्तावित है.
विभागीय सूत्रों ने बताया कि परियोजना के हेड वर्कर्स पर बनने वाले रो वाटर रिजर्वायर की भंडारण क्षमता कुल 74 लाख लीटर होगी. इससे चंबल से आने वाला पानी 10 पंपों से फिल्टर होने के बाद गांवों में बनी 12 टंकियों में भरा जाएगा. कई टंकियों में पानी की लीकेज जांचने के लिए ट्रायल भी किया जा चुका है. लेकिन ग्रामीणों को पानी कब तक नसीब होगा यह अभी कहा नहीं जा सकता.
2013 में परियोजना को मिली थी हरी झंडी
योजना को वर्ष 2013 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा के अंतिम बजट सत्र में क्षेत्रीय विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा की मांग पर सबा 32 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी कर इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी. श्रीराम ईपीसी फर्म को 2015 जुलाई तक 44 गांव को पानी सप्लाई शुरू करना था. लेकिन यह काम नहीं हो पाया है.