धौलपुर. राज्य में डीएपी खाद की कमी का संकट हर जिले में दिखाई दे रहा है. किसानों को खाद नहीं मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. धौलपुर पुलिस लाइन में पुलिस अभिरक्षा में डीएपी खाद का वितरण किया गया. पुलिस लाइन में बड़ी संख्या में दूरदराज से किसान खाद लेने के लिए उमड़े.
किसी भी प्रकार के अप्रिय हालात के बचने के लिए पुलिस लाइन में किसानों को खाद वितरित किया. सैकड़ों की तादात में महिला- पुरुष खाद लेने के लिए पुलिस लाइन पहुंचे. पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत की मौजूदगी में किसानों को पुलिस लाइन में खाद वितरित किया गया.
सुबह से शाम तक जिला मुख्यालय समेत बाड़ी, बसेड़ी, राजाखेड़ा, सरमथुरा, सैपऊ,मनिया, मांगरोल में डीएपी खाद की भारी किल्लत देखी जा रही है. सरसों की वुबाई का समय लगभग निकलने के कगार पर पहुंच चुका है. लेकिन सरकार किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है.
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पुलिस लाइन पर पुलिस अभिरक्षा में सैकड़ों की तादाद में खड़े रहे. सहायक कृषि निदेशक हब्बल सिंह ने बताया सरकार से 7 गाड़ी डीएपी खाद की उपलब्ध है. जिन्हें किसानों को वितरित किया गया. पुलिस कस्टडी में डीएपी खाद का वितरण कराया गया है. कृषि अधिकारी ने बताया एक किसान को महज एक पैकेट 50 किलो डीएपी उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि जिन किसानों के पास जमीन का अधिक रकवा है उनके लिए डीएपी खाद कहां से उपलब्ध होगा.
रबी फसल का पीक समय
मौजूदा वक्त रबी फसल का चल रहा है. जिले में अधिकांश पारंपरिक खेती की जाती है. जिसके अंतर्गत सरसों और गेहूं की बुवाई की जाती है. कृषि विभाग के मुताबिक 15 सितंबर से 15 अक्टूबर का समय सरसों फसल की बुवाई के अनुकूल माना जाता है. लेकिन अधिक समय तक बारिश होना किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया. किसानों ने बताया सर्दी की शुरुआत हो चुकी है. 10 दिनों के बाद आलू फसल की बुवाई का सीजन शुरू हो रहा है. उसके एक हफ्ते बाद गेहूं की भी बुवाई शुरू हो जाएगी. लेकिन सीजन में किसानों को डीएपी खाद नहीं मिलना परेशानी का सबसे बड़ा सबब बन गया है. जिले के किसान सुबह से शाम तक खाद बीज विक्रेताओं की दुकानों पर चक्कर लगा रहे हैं लेकिन किसानों को सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है.
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50 किलो के पैकेट में कैसे होगा काम
किसानों के मुताबिक 1 हेक्टेयर भूमि में 50 किलो डीएपी खाद से काम नहीं हो सकता है. एक बीघा से सवा बीघा तक जमीन वाले किसानों का काम चल सकता है. लेकिन जिन किसानों के पास अधिक जमीन का रकबा है, उनके लिए डीएपी खाद की पूर्ति कैसे होगी. सरकार और कृषि विभाग किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध कराने के दावे कर रहा है. लेकिन धरातल पर किसानों को डीएपी नहीं मिलने से निराशा हाथ लग रही है.