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पितरों को तर्पण कर दी गई आखिरी विदाई, अब शुरू हो सकेंगे मांगलिक कार्यक्रम...

जिले में बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन कनागत का समापन हो गया. शहर के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड एवं पवित्र पार्वती नदी पर श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को आखरी पानी श्रद्धा पूर्वक अर्पित कर विदाई की रस्म अदा की.

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कनागत समापन की खबर
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Published : Oct 6, 2021, 11:16 AM IST

धौलपुर. कनागत समापन के भूले बिसरे पितरों का आखरी श्राद्ध कराकर ब्राह्मण भोजन कराया जाएगा. ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर पितृपक्ष का समापन हो जाएगा. बता दें कि आज बुधवार को कनागत का समापन हो गया. कनागत का समापन होते ही नवदुर्गा की शुरुआत हो जाएगी, जिससे मांगलिक कार्यक्रम भी शुरू हो जाएंगे.

कनागत के आज आखिरी दिन शहर के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड एवं पवित्र पार्वती नदी पर श्रद्धालुओं द्वारा अपने-अपने पितरों को आखिरी तर्पण किया गया. कनागत का समापन पंचांग के मुताबिक सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है. श्रद्धालुओं ने नदी पर पहुंच कर पितरों को आखिरी तर्पण किया गया. आचार्यों द्वारा मंत्रों का उच्चारण कर वैदिक पद्धति द्वारा पितरों को आखिरी तर्पण कराया गया.

पढ़ें : Aaj ka panchang 6 october: जानें शुभ मुहूर्त, तिथि और ग्रह-नक्षत्र की चाल, सर्व पितृ अमावस्या आज

स्नान होने के बाद श्रद्धालुओं भूले बिसरे पितरों के लिए आखिरी श्राद्ध कर भोजन कराएंगे. ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर अंतिम विदाई दी जाएगी. पितरों का श्राद्ध होने के बाद स्वर्ग लोक के लिए प्रस्थान कर जाएंगे.

गौरतलब है कि इस वर्ष कनागत 17 दिन के रहे हैं एक दिन बढ़ने पर पितरों के लिए सहयोग अच्छा माना जा रहा है. पितरों की तृप्ति होने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है. दैहिक एवं भौतिक संताप से परिवार को मुक्ति मिलती है. आचार्य वृंदावन शर्मा के मुताबिक सर्व अमावस्या के दिन पितृपक्ष का समापन हो गया. कनागत का विसर्जन होने के बाद मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे.

धौलपुर. कनागत समापन के भूले बिसरे पितरों का आखरी श्राद्ध कराकर ब्राह्मण भोजन कराया जाएगा. ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर पितृपक्ष का समापन हो जाएगा. बता दें कि आज बुधवार को कनागत का समापन हो गया. कनागत का समापन होते ही नवदुर्गा की शुरुआत हो जाएगी, जिससे मांगलिक कार्यक्रम भी शुरू हो जाएंगे.

कनागत के आज आखिरी दिन शहर के ऐतिहासिक तीर्थराज मचकुंड एवं पवित्र पार्वती नदी पर श्रद्धालुओं द्वारा अपने-अपने पितरों को आखिरी तर्पण किया गया. कनागत का समापन पंचांग के मुताबिक सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है. श्रद्धालुओं ने नदी पर पहुंच कर पितरों को आखिरी तर्पण किया गया. आचार्यों द्वारा मंत्रों का उच्चारण कर वैदिक पद्धति द्वारा पितरों को आखिरी तर्पण कराया गया.

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स्नान होने के बाद श्रद्धालुओं भूले बिसरे पितरों के लिए आखिरी श्राद्ध कर भोजन कराएंगे. ब्राह्मण को दान दक्षिणा देकर अंतिम विदाई दी जाएगी. पितरों का श्राद्ध होने के बाद स्वर्ग लोक के लिए प्रस्थान कर जाएंगे.

गौरतलब है कि इस वर्ष कनागत 17 दिन के रहे हैं एक दिन बढ़ने पर पितरों के लिए सहयोग अच्छा माना जा रहा है. पितरों की तृप्ति होने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है. दैहिक एवं भौतिक संताप से परिवार को मुक्ति मिलती है. आचार्य वृंदावन शर्मा के मुताबिक सर्व अमावस्या के दिन पितृपक्ष का समापन हो गया. कनागत का विसर्जन होने के बाद मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे.

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