धौलपुर. राजस्थान में ग्राणीम अंचलों में कोरोना पांव पसारता जा रहा है. धौलपुर में भी गांवों में कोरोना का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. लेकिन कोरोना के डर के चलते लोग सही उपचार नहीं ले रहे हैं. बल्कि गांव में ही झोलाछाप नीक हकीमों से इलाज ले रहे हैं. इससे गांवों में कोरोना विस्फोट होने का खतरा बढ़ गया है.
जिले के अजीतपुर गांव में झोलाछाप डॉक्टर बिना मास्क और हाथों को बिना सैनिटाइज किए धड़ल्ले से ग्रामीणों का उपचार कर रहे हैं. इससे संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ रही है. ग्रामीणों ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर इंजेक्शनों का मनमाना पैसा वसूल रहे हैं. हालांकि जिला कलेक्टर की ओर से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, ग्राम पंचायत सचिव और बीएलओ की टीम गठित की गई है. जिन्हें बुखार, खांसी या जुकाम है ऐसे लोगों का डोर-टू-डोर सर्वे कर मेडिकल किट बांटने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन इस काम में भी खानापूर्ति ही हो रही है.
![Corona reached the rural areas of Rajasthan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-dlp-avb-systemnakam-10024_12052021131504_1205f_1620805504_424.jpg)
बाड़ी उपखंड की ग्राम पंचायत अजीतपुर में अधिकांश घरों में लोग बीमार पड़े हैं. इसके बाबजूद लोग कोरोना के भय के कारण सरकारी चिकित्सालय में इलाज कराने से कतरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि सरकारी चिकित्सालय में जाते ही कोरोना घोषित कर कोविड सेंटर भेज दिया जाता है. जहां पर लोग काल के गाल में समा जाते हैं.
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कोविड के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम के अध्यक्ष रमेश चंद बैरवा ने बताया कि गांव में टीम सर्वे कर रही हैं. 654 परिवारों का सर्वे हो चुका है. 45 व्यक्ति बुखार जुकाम, खांसी से पीड़ित मिले हैं. 7 व्यक्तियों में कोरोना के लक्षण मिले हैं और 3 की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है. दावा किया गया कि ऐसे रोगियों की रिपोर्ट चिकित्सा विभाग को भेज कर मेडिकल किट दे दी गई है. जबकि ग्रामीण सुमेर सिंह ने बताया कि गांव में अभी तक कोई सर्वे की टीम आई है और न ही किसी को किट वितरित की गई है.
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ग्राम पंचायत सरपंच रवि पोषवाल ने बताया कि उन्होंने गांव के लोगों से जानकारी ली है. किसी भी ग्रामीण को पता नही है कि सर्वे की कौन सी टीम आई है. सरपंच ने सरकारी सिस्टम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कागजों में ही टीमें सर्वे कर रही हैं.
वर्तमान में अजीतपुर गांव के ग्रामीण बीमारी से जूझ रहे हैं. जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग को तथ्यों की जानकारी नहीं है. गांवों और ग्रामीण को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है.