धौलपुर. चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 15 मीटर ऊपर अधिक पहुंच गया है. जिले के 100 किलोमीटर क्षेत्र में फैले चंबल नदी के किनारे बसे 120 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. जिला प्रशासन ने सेना और एसडीआरएफ (Arms Forces And SDRF in Dholpur) के सहयोग से राहत और बचाव काम शुरू कर दिए हैं. 83 गांव की विद्युत आपूर्ति काट दी गई है. बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को प्रशासन सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू कर रहा है. सैकड़ों बीघा खरीफ की फसल भी पानी की चपेट में आकर बर्बाद हो चुकी है.
जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया मध्यपदेश और हाड़ौती क्षेत्र में हो रही बारिश के बाद गांधी सागर के कैचमेंट एरिया में पानी की अधिक आवक हो रही है. इस वजह से कोटा बैराज से लगभग 22 लाख क्यूसेक पानी चम्बल में रिलीज किया गया है. इसके साथ ही कालीसिंध, पार्वती, परवन नदी समेत जंगल का पानी भी चंबल नदी में प्रवेश कर रहा है. जिसके कारण चंबल नदी रौद्र रूप बना चुकी है. जिले के 100 किलोमीटर क्षेत्र में फैली चंबल नदी की बाढ़ की चपेट में 120 गांव आ चुके हैं.
सेना और एसडीआरएफ राहत और बचाव के काम में जुटे हैं. बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को स्टीमर से सुरक्षित रेस्क्यू कर अस्थाई आवास बनाकर ठहराया जा रहा है. खाद्य सामग्री एवं मेडिकल की व्यवस्था मौके पर उपलब्ध कराई जा रही है. मवेशियों को भी सुरक्षित तरीके से निकाला जा रहा है. धौलपुर, राजाखेड़ा, बाड़ी एवं सरमथुरा उपखंड क्षेत्र में सबसे अधिक बाढ़ की तबाही देखी जा रही है.
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26 साल का रिकॉर्ड टूटा- चंबल नदी के उफान ने इस वर्ष 26 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. वर्ष 1996 में चंबल नदी का जलस्तर सर्वाधिक 145.54 मीटर तक पहुंचा था. तब चंबल ने धौलपुर जिले में भारी तबाही मचाई थी. गुरुवार सुबह 26 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए चंबल नदी 145.54 मीटर तक पहुंच चुकी है. अर्थात खतरे के निशान को पार कर चंबल का जलस्तर 15.81 मीटर पहुंच चुका है (Chambal Crosses Danger Mark in Dholpur). राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र का गांव छाडियन का पुरा, चील पुरा, अंडवा पुरैनी, दगरा, बर्सला, घड़ी जाफर, मेंहदपुरा समेत दो दर्जन गांव पानी से डूब चुके हैं. सरमथुरा क्षेत्र के झिरी, दुर्गशी, शंकरपुरा, करुआपूरा समेत डेढ़ दर्जन गांव जलमग्न हो चुके हैं. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रामअवतार मीणा ने बताया गुरुवार देर रात तक चंबल के जल स्तर में और अधिक इजाफा देखा जाएगा. जिस वजह से हालात बेकाबू भी हो सकते हैं.
चंबल लिफ्ट परियोजना का पंप हाउस डूबने की कगार पर: चंबल नदी में लगा हुआ भरतपुर-धौलपुर चंबल लिफ्ट परियोजना का पंप हाउस डूबने की कगार पर पहुंच चुका है. अगर इसी प्रकार चंबल में पानी की आवक रही तो देर शाम तक पंप हाउस के डूबने की पूरी संभावना जताई जा रही है. पंप हाउस के डूबने से सरकार को भारी नुकसान हो सकता है. इसके साथ धौलपुर, भरतपुर एवं अलवर की पेयजल व्यवस्था में पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगी.
सैकड़ों बीघा फसल बर्बाद: चंबल नदी में आई बाढ़ से सैकड़ों बीघा बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार एवं ज्वार की फसल बर्बाद हो चुकी है. विगत 3 साल से चंबल के किनारे बसे गांव की फसल बाढ़ की चपेट में आती रही है लेकिन इस बार बाढ़ ने खरीफ फसल को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है. खेत पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं. खेतों में 5 से 10 फीट पानी होने पर खरीफ की फसल पूरी तरह से डूब चुकी है. खराब फसल का सबसे अधिक असर चंबल नदी के आसपास के खेतों में देखा जा रहा है.
मुख्यमंत्री का शुक्रवार हो सकता है संभावित दौरा: धौलपुर में बाढ़ के हालात को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचेंगे. अंडवा पुरैनी गांव के पास जिला प्रशासन की ओर से हेलीपैड बनाया जा रहा है. जिला प्रशासन आपदा प्रबंधन के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है.