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स्पेशल स्टोरी: अचलेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग, दिन में 3 बार बदलता है रंग - धौलपुर न्यूज

धौलपुर में चम्बल नदी के बीहड़ो में स्थित प्राचीन मंदिर अचलेश्वर महादेव अपनी विशेष पहचान के लिए देशभर में ख्याति बटोर रहा है. धौलपुर से पांच किलोमीटर दूर चम्बल नदी के किनारे बीहड़ो में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कई अनोखे तथ्य सामने आए है.

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Published : Sep 4, 2019, 2:51 PM IST

धौलपुर. प्रदेश के धौलपुर में चम्बल नदी के बीहड़ो में स्थित प्राचीन मंदिर अचलेश्वर महादेव अपनी विशेष पहचान के लिए देशभर में ख्याति बटोर रहा है. यह शिव मंदिर करीव हजारों साल पुराना है. किसी को नहीं मालूम की इसकी स्थापना कब की गई. अचलेश्वर महादेव का शिव लिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. सुबह लाल दोपहर को केसरिया और शांम को श्याम वर्ण का हो जाता है. यह अपने आप में चमत्कार से कम नहीं है. यही कारण है कि लाखों की तादाद में अब श्रद्धालु पहुंचते हैं.

अचलेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग

श्रद्धालुओं के अनुसार मंदिर बीहड़ में होने की वजह से भक्त डर की वजह से कम संख्या में पहुंचते थे. यहां डकैतों और जंगली जानवरों का खतरा बना रहता था. लेकिन समय बदलने के साथ हालात भी बदल गए. भगवान् अचलेश्वर पर मौजूदा समय में भक्तों का तांता लगा रहता है. इस ऐतिहासिक और चमत्कारी शिव लिंग के दर्शन के लिए उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश के श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं.

खुदाई के दौरान अचानक बढ़ने लगा आकार

मंदिर तक जाने के लिए चम्बल पुल के बगल से भक्तों ने रास्ता बनवाया है. श्रद्धालुओं के मुताबिक मंदिर के गर्भ गृह की खुदाई भी कराई गई थी. लेकिन शिव की पिंडी का अंत नहीं पाया गया. जैसे -जैसे खुदाई बढ़ती गयी वैसे-वैसे शिव की पिंडी की चौड़ाई भी बढ़ती गयी. ऊपर गोल नीचे चोकाकार फिर इसके बाद अष्टाकार हो गई. आखिर खुदाई करते-करते जब लम्बा समय गुजर गया तो खुदाई को बंद करा दिया.

पढ़ें- चार लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए खान विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी सहित दो दलाल ट्रैप

दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग

भगवान अचलेश्वर के शिवलिंग का कोई अंत नहीं पाया गया. मौजूदा समय में शिवलिंग को देखने से प्रतीत होता है कि यह ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थित है. इतना ही नहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शिवजी की पिंडी दिन में तीन बार रंग बदलती है. सुबह इसकी आभा लालिमा लिए होती है. दोपहर में यह केसरिया हो जाती है. वहीं शाम को यह सांवला रंग धारण कर लेती है.

पढ़ें- सीकर में अंडरपास मामले को लेकर तीसरे दिन भूख हड़ताल

ऐसी मान्यता है कि कुंवारे लडके-लड़कियां अगर शिवजी से अपनी शादी के लिए प्रार्थना करते हैं. भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते है. मंदिर में गुफाए भी है. यहां साधु-संत तपस्या करते थे. अब इन गुफाओं का कोई उपयोग नहीं होता. भक्त बताते हैं कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही अर्थ धर्म काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

धौलपुर. प्रदेश के धौलपुर में चम्बल नदी के बीहड़ो में स्थित प्राचीन मंदिर अचलेश्वर महादेव अपनी विशेष पहचान के लिए देशभर में ख्याति बटोर रहा है. यह शिव मंदिर करीव हजारों साल पुराना है. किसी को नहीं मालूम की इसकी स्थापना कब की गई. अचलेश्वर महादेव का शिव लिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. सुबह लाल दोपहर को केसरिया और शांम को श्याम वर्ण का हो जाता है. यह अपने आप में चमत्कार से कम नहीं है. यही कारण है कि लाखों की तादाद में अब श्रद्धालु पहुंचते हैं.

अचलेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग

श्रद्धालुओं के अनुसार मंदिर बीहड़ में होने की वजह से भक्त डर की वजह से कम संख्या में पहुंचते थे. यहां डकैतों और जंगली जानवरों का खतरा बना रहता था. लेकिन समय बदलने के साथ हालात भी बदल गए. भगवान् अचलेश्वर पर मौजूदा समय में भक्तों का तांता लगा रहता है. इस ऐतिहासिक और चमत्कारी शिव लिंग के दर्शन के लिए उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश के श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं.

खुदाई के दौरान अचानक बढ़ने लगा आकार

मंदिर तक जाने के लिए चम्बल पुल के बगल से भक्तों ने रास्ता बनवाया है. श्रद्धालुओं के मुताबिक मंदिर के गर्भ गृह की खुदाई भी कराई गई थी. लेकिन शिव की पिंडी का अंत नहीं पाया गया. जैसे -जैसे खुदाई बढ़ती गयी वैसे-वैसे शिव की पिंडी की चौड़ाई भी बढ़ती गयी. ऊपर गोल नीचे चोकाकार फिर इसके बाद अष्टाकार हो गई. आखिर खुदाई करते-करते जब लम्बा समय गुजर गया तो खुदाई को बंद करा दिया.

पढ़ें- चार लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए खान विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी सहित दो दलाल ट्रैप

दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग

भगवान अचलेश्वर के शिवलिंग का कोई अंत नहीं पाया गया. मौजूदा समय में शिवलिंग को देखने से प्रतीत होता है कि यह ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थित है. इतना ही नहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शिवजी की पिंडी दिन में तीन बार रंग बदलती है. सुबह इसकी आभा लालिमा लिए होती है. दोपहर में यह केसरिया हो जाती है. वहीं शाम को यह सांवला रंग धारण कर लेती है.

पढ़ें- सीकर में अंडरपास मामले को लेकर तीसरे दिन भूख हड़ताल

ऐसी मान्यता है कि कुंवारे लडके-लड़कियां अगर शिवजी से अपनी शादी के लिए प्रार्थना करते हैं. भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते है. मंदिर में गुफाए भी है. यहां साधु-संत तपस्या करते थे. अब इन गुफाओं का कोई उपयोग नहीं होता. भक्त बताते हैं कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही अर्थ धर्म काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

Intro:राजस्थान के धौलपुर जिले में चम्बल नदी के बीहड़ो में स्थित प्राचीन मंदिर अचलेश्वर महादेव अपनी बिशेष पहचान के लिए प्रदेश और देश में प्रसिद्ध बना हुआ है। धौलपुर से पांच किलोमीटर दूर चम्बल नदी के किनारे बीहड़ो में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कई किवदंतिया जुडी हुई है भक्तो के अनुसार यह शिव मंदिर करीव हजार वर्ष पुराना है किसी को नहीं मालूम की इसकी स्थापना कब की गयी.अचलेश्वर महादेव का शिव लिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है ,सुबह लाल दोपहर को केसरिया और शांम को श्याम वर्ण का हो जाता है। जो अपने आप में चमत्कार से कम नहीं है। इसी का कारण है कि सावन के महीने में लाखों की तादाद में अब श्रद्धालु पहुंचते है।


Body:श्रद्धालुओं के अनुसार बीहड़ में यह मंदिर होने से यहाँ भक्त लोग डर की बजह से कम आते थे। पहले यहाँ डकैतों और जंगली जानवरों का खतरा रहता था। लेकिन समय बदलने के साथ हालात भी बदल गए। भगवान् अचलेश्वर पर मौजूदा समय में भक्तों का आवागमन लगा रहता। एतिहासिक और चमत्कारी शिव लिंग होने के कारण उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश के श्रद्धालु भी दर्शन लाभ प्राप्त करते है। मंदिर जाने के लिए चम्बल पुल के बगल से भक्तो ने रास्ता बनबाया है.श्रद्धालुओं के मुताबिक मंदिर के गर्भ गृह की खुदाई भी कराई गई थी। लेकिन शिव की पिंडी का अंत नहीं पाया गया। जेसे-जेसे खुदाई बढ़ती गयी वेसे-वेसे शिव की पिंडी की चोडाई भी बढ़ती गयी ऊपर गोल,नीचे चोकाकार फिर शाश्टाकार इसके बाद अष्टाकार हो गयी आखिर खुदाई करते-करते जब लम्बा समय गुजर गया तो खुदाई को बंद करा दिया। भगवान् अचलेश्वर के शिवलिंग का कोई अंत नहीं पाया गया। मौजूदा समय में शिवलिंग को देखने से प्रतीत होता है कि यह ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थित है.यही नहीं यह शिवजी की पिंडी दिन में तीन बार रंग बदलती है सुबह इसकी आभा लाल लिए होती है तो दोपहर में यह केसरिया हो जाती है वही शाम को यह सांवला रंग धारण कर लेती है.यहाँ ऐसी मान्यता है कि कुंवारे लडके-लड़कियाँ अगर शिवजी से अपनी शादी के लिए प्रार्थना करते है तो भगवान् भोलेनाथ उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते है।


Conclusion:मंदिर में गुफाए भी है जहाँ साधु-संत तपस्या करते थे अब इन गुफाओ का कोई उपयोग नहीं होता.भक्त बताते है कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही अर्थ धर्म काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। 
Byte ,1नेहा,स्थानीय श्रद्धालु
Byte ,2अंजली अग्रवाल,स्थानीय श्रद्धालु
Byte ,3,केशवदास,मंदिर महंत
Report
Neeraj Sharma
Dholpur

नोट - यह स्पेशल स्टोरी डेस्क द्वारा मांगी गई थी, आपकी सेवा में सादर प्रेषित है।
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