धौलपुर. प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि रहे भाजपा नेता अशोक शर्मा ने कहा कि खेल से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक विकास होता है. उन्होंने कहा कि खेल को हमेशा खेल की भावना के अनुसार ही खेलना चाहिए. उन्होंने कहा खेल के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा रहना नितांत जरूरी है. प्रतिस्पर्धा होने के कारण ही खिलाड़ी अपना शत प्रतिशत योगदान दे सकता है खेल का मतलब मनोरंजन होता है, हार जीत उसका दूसरा पहलू है.
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा वक्त में खेल अपने आप में अपना क्षेत्र बना रहा है. खेल के माध्यम से युवा देश विदेशों में अपने हुनर का परचम फहरा कर नाम रोशन कर रहे हैं. देश में अधिकांश क्रिकेट, वॉलीबॉल, हॉकी फुटबॉल, टेनिस लॉन्ग, टेनिस आदि खेलों का प्रचलन बना हुआ है लेकिन पारंपरिक खेल जिसमें खो-खो कबड्डी महत्वपूर्ण मायने रखती है, पारंपरिक खेल भारत देश की विरासत को दर्शाते हैं. उन्होंने कहा खेल वर्तमान युग में ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए बड़ा जरिया है. भाजपा नेता ने आगे कहा कि खेल के माध्यम से सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, विराट कोहली, सानिया मिर्जा और हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने विश्व के पटल पर अपनी छाप छोड़ी है.
निमोनिया से शिशु मृत्यु दर को लेकर आयोजित हुई वीसी
राज्य में 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों में मृत्यु के कारणों में से निमोनिया एक प्रमुख कारण है. निमोनिया से शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए जिले सहित प्रदेशभर में सांस कार्यक्रम चलाया जा रहा है. शुक्रवार को इसी कड़ी में राज्य स्तर से वीसी आयोजित हुई. एमडी नरेश ठकराल सहित अन्य अधिकारियों ने आवश्यक दिशा निर्देश दिए.
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आरसीएचओ डॉ. शिव कुमार शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 18 लाख 26 हजार बच्चे प्रतिवर्ष निमोनिया से संक्रमित हो जाते हैं. इनमें से 9 हजार 200 बच्चों की मृत्यु हो जाती है. निमोनिया से बच्चों की सुरक्षा के लिए पहले 6 माह में शिशु को केवल स्तनपान करवाने, 6 माह बाद पूरक पोषाहार देने तथा विटामिन ए की खुराक देने, निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण करवाने, साबुन से हाथ धुलवाने तथा घरेलू स्तर पर प्रदूषण को कम करके किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है. कार्यक्रम के तहत प्रत्येक स्तर के अधिकारी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है. इसके साथ ही एएनएम और आशा सहयोगिनी स्तर पर आवश्यक प्रशिक्षण और दवा दी गई है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर आईईसी के माध्यम से आमजन को जागरूक किया जा रहा है.