दौसा. राजस्थान में अब लॉकडाउन के चलते कोविड-19 कंट्रोल करने में सरकार को कामयाबी मिल रही है. लेकिन अब भी जिस तरीके के संकेत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिए हैं उससे लगता है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जा सकता है. सरकार भले ही मान रही हो की लॉकडाउन कारगर है. लेकिन प्रदेश के कई गांव में लॉकडाउन जैसी कोई स्थिति नहीं है. यहां लोग एक जगह इकट्ठे रहते हैं.
एक तरफ प्रशासन पर यह आरोप है कि गांवों में कोरोना जांच की सुविधाएं नहीं हैं या फिर कमजोर हैं. दूसरी तरफ धरातल की सच्चाई यह भी है कि ग्रामीणों में जांच को लेकर एक डर का माहौल बना हुआ है. दौसा जिले के अलूदा गांव के ग्रामीणों का कहना है कि अगर वे जांच करवाने जाएंगे तो उन्हें कोरोना बता दिया जाएगा और उन्हें गांव से कहीं दूर बने क्वारेंटीन सेंटर में भेज दिया जाएगा. जहां उनका मरना निश्चित है.
सरकारी डॉक्टर से दूरी, झोलाछाप पर भरोसा
राजस्थान के कई गांवों में ईटीवी भारत की टीम ने जब रियलिटी चेक किया तो पाया कि वहां सालों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े हैं. कई गांव ऐसे भी हैं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी कार्यरत है. लेकिन वहां के लोग बुखार सर्दी जुखाम होने पर सरकारी डॉक्टर के पास न जाकर झोलाछाप की ओर रुख करना ज्यादा पसंद करते हैं.
दूसरे शहर में क्वारेंटीन होने का डर
इसके पीछे कारण वे यह बताते हैं कि उनके गांव में क्वारेंटीन सेंटर नहीं बनाया गया है. ऐसे में वह अगर सरकारी डॉक्टर के पास जाएंगे तो वह उन्हें जांच करवाने को कहेगा और अगर उन्होंने जांच करवाई तो उनके कोरोना पाये जाने पर उन्हें दूर बने क्वारेंटीन सेंटर में भेज दिया जाएगा. जहां उनका मरना निश्चित है. ईटीवी भारत की टीम रियलिटी चेक करने जब दौसा के आलूदा गांव पहुंची तो वहां के ग्रामीणों का कहना था कि वे सरकारी अस्पताल में नहीं जाते.
गांव में भले ही पीएचसी सीएससी न हों. लेकिन हर गांव में झोलाछाप डॉक्टर जरूर मिल जाएंगे. गांव के लोगों को इन झोलाछाप पर भरोसा भी होता है. झोलाछाप के पास जाने से न तो कोरोना की जांच का डर होगा और न दूसरे शहर में क्वारेंटीन होने का झंझट.
वैक्सीनेशन की सही जानकारी नहीं
गांवों में वैक्सीनेशन की रफ्तार भी बिल्कुल मंद है. कई ग्रामीणों को जानकारी ही नहीं है कि 18 से ऊपर आयु के लोगों का वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है. जिन्हें जानकारी है उन्हें रजिस्ट्रेशन करना नहीं आता. उन्हें ऑनलाइन एप से रजिस्ट्रेशन कराने की जानकारी और तरीका भी नहीं आता. ऐसे में गांवों में अज्ञानता, भय, अंधविश्वास और जागरुकता की कमी के कारण कोरोना पांव पसारता जा रहा है.