दौसा. चिकित्सा विभाग ने दौसा पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की थी, लेकिन भर्ती किए गए स्टाफ से मात्र 6 दिन काम करवा कर उन्हें वापस घर भेज दिया. जिसके चलते अब कई युवा जिला प्रशासन और सीएमएचओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.
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कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिला स्तर पर सीएमएचओ ऑफिस के माध्यम से पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती करने के आदेश दिए थे, जिसके चलते दौसा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की देखरेख में संविदा पर लगभग 125 पैरामेडिकल स्टाफ की संविदा पर भर्ती की गई थी.
इनको पोस्टिंग लेटर देकर जिले के अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सा विभाग के कार्यालय में कार्य करने के लिए भेज दिया गया था, लेकिन 5 से 6 दिन कार्य करने के बाद इन पैरामेडिकल स्टाफ को वहां से वापस रवाना कर दिया गया. पुराने स्टाफ ने इनसे स्टाफ रजिस्टर में अटेंडेंस करवाने से मना कर दिया, जिसके चलते तकरीबन 125 युवक-युवतियां जिला प्रशासन और सीएमएचओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.
इन युवाओं का कहना है कि एक तो कोरोना महामारी के चलते वैसे ही नौकरी की समस्या है दूसरा सरकार की ओर से संविदा पर की जा रही भर्ती को देखते हुए उन्होंने अपने पूर्व में प्राइवेट का कार्यालय और निजी अस्पतालों में जो जॉब कर रहे थे उसको भी उन्होंने छोड़ दिया, लेकिन सीएमएचओ ऑफिस की ओर से इस भर्ती में 5-6 दिन नौकरी करवा कर वापस उन्हें घर भेज दिया. ऐसे में उनकी पूर्व में की गई नौकरी भी हाथ से निकल चुकी है.
मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष चौधरी का कहना है कि सरकार ने संविदा पर भर्ती निकाली थी. जिसके तहत हमने पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की थी लेकिन चिकित्सा विभाग के सेक्रेटरी ने एक लेटर भेजकर इन की अनुशंसा को रोक दिया है जब तक विभाग से भर्ती की अनुशंसा नहीं मिलती इनको इनके स्थान पर ज्वाइन नहीं करवाया जा सकता, हमने विभाग को लेटर लिखा है उम्मीद है जल्द अनुसंशा मिल जाएगी.