दौसा. राजस्थान के किसानों की जमीन कुर्क हो रही है. बैंक का कर्जा (bank loan) नहीं चुका पाने की कारण अन्नदाता की जमीन पर बैंकों की निगाहें हैं. जबकि विधानसभा चुनाव (Assembly elections) के दौरान कांग्रेस ने वादा किया था कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार (Congress government) बनी तो 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा.
लेकिन सच यह है कि प्रदेश के किसान कर्ज में डूबे हैं और उनकी जमीनें कुर्क होकर नीलाम हो रही हैं. दौसा जिले के लालसोट उपखंड के उपखंड अधिकारी कार्यालय से एक इश्तेहार जारी हुआ है. इश्तेहार में 16 किसानों का नाम है. इश्तेहार में लिखा गया है कि पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) की शाखा श्योसिंहपुरा से कृषि कार्य के लिए जो ऋण (loan for agricultural work) लिया गया था, उसका समय पर भुगतान नहीं करने के कारण इन किसानों की चल-अचल संपत्ति को कुर्क (immovable property attachment) कर लिया गया है. अब इस संपत्ति की नीलामी की जाएगी.
ईटीवी भारत ने किसानों से जानकारी ली तो सामने आया कि यह तो सिर्फ एक बैंक की लिस्ट है. दौसा जिले में सैकड़ों किसानों की जमीनें इसी तरह कुर्क हो चुकी हैं. बैंक के इस इश्तेहार में दौसा के समेल गांव के 7 किसानों के नाम हैं, जिनकी जमीन की नीलामी 20 अगस्त को होगी. जब ईटीवी भारत की टीम समेल गांव पहुंची तो हमें किसान रमेश, नाथूलाल और कजोड़मल मिले. किसानों से कर्ज के बाद जमीन कुर्की और नीलामी के बारे पूछा तो वे गिड़गिड़ाने लगे.
उन्होंने हमें बैंक अधिकारी समझा था, लेकिन वे आश्वस्त हो गए तो कि हम मीडिया से हैं तब उन्होंने बताया कि उनकी जमीन में पानी नहीं था, पैदावार भी नहीं हुई, खेती के लिए बैंक से कर्ज लिया लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण चुका नहीं पाए. काम धंधे बंद हैं और मजदूरी भी नहीं मिल रही है. ऐसे में बैंक का कर्ज चुकाना मुमकिन नहीं है. किसानों ने कहा कि इस वक्त घर चलाना और बच्चे पालना मुश्किल हो रहा है, बैंक का कर्ज कैसे चुकाते.
किसानों ने आहत होकर कहा कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा था कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आई तो 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ हो जाएगा. 10 दिन भी गिने और अब गिनती पौने 3 साल तक पहुंच गई है, लेकिन कर्ज माफ नहीं हुआ. बल्कि आए दिन बैंक अधिकारे आते हैं और धमका कर जाते हैं, अब तो जमीन भी कुर्क कर ली और नीलामी के आदेश भी जारी हो गए हैं.
समेल गांव के किसानों से मिलकर हमारी टीम गुर्जर खेड़ा गांव पहुंची. वहां किसान पप्पू लाल और गिर्राज मीणा मिले. गिर्राज ने बताया कि उसके पिता की मौत हो गई है, भाई मानसिक तौर पर बीमार है, जमीन में पानी नहीं है, पैदावार भी नहीं है, अब यह जमीन भी नीलाम हो रही है.
उपखंड अधिकारी कार्यालय (Sub Divisional Officer Office) से जारी हुए इश्तेहार को लेकर हम लालसोट एसडीएम गोपाल जांगिड़ से मिले. उन्होंने कहा कि किसान बैंकों से लोन तो ले लेते हैं, लेकिन चुका नहीं पाते. ऐसे में बैंक की तरफ से एसडीएम और तहसीलदार के यहां प्रकरण दर्ज कराया जाता है. डिफाल्टर किसानों (defaulter farmers) को नोटिस दिया जाता है और संतोषजनक जवाब नहीं देने पर कुर्की और नीलामी की जाती है. उन्होंने कहा कि अभी नीलामी आदेश जारी हुए हैं.
इस मामले में हमने महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश (Minister Mamta Bhupesh) से भी बात की. लेकिन उन्होंने मामला केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार पर डाल कर पल्ला झाड़ लिया. साथ ही राज्य की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि जो वादे किये थे उनमें से 70 फीसदी पूरे कर दिये हैं. राष्ट्रीय बैंक (National Bank) केंद्र सरकार के अधीन आते हैं, केंद्र सरकार किसानों का कर्ज माफ नहीं कर रही है.
कुल मिलाकर किसान के नाम पर सिर्फ राजनीति होती है, राजनीतिज्ञों को किसान के भरोसे सत्ता मिल जाती है लेकिन किसान को कुछ नहीं मिलता. किसान कर्जमाफी की बाट जोह रहे हैं और इस इंतजार के बीच उनके खेत-खलिहान कुर्क और नीलाम भी हो रहे हैं.