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राजस्थान में बालिका शिक्षा ऑड-ईवन के भरोसे, 5 कमरों में संचालित हो रही हैं 16 कक्षाएं

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Published : Apr 5, 2021, 7:24 PM IST

दौसा के राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय भांडारेज में 800 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं. लेकिन विद्यालय में छात्राओं के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. महज 5 कमरों में स्कूल प्रशासन 16 कक्षाएं ऑड-ईवन के हिसाब से संचालित करवाने को मजबूर है. यहां तक की प्रैक्टिकल के लिए छात्राओं को दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय भांडारेज

दौसा. जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय भांडारेज में सबसे अधिक छात्राएं पढ़ती हैं. लेकिन विद्यालय मूल सुविधाओं से वंचित है. सरकारें बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नारे तो खूब देती हैं लेकिन जमीन पर इस दिशा में कोई सीरियस कदम दिखाई नहीं देता. भांडारेज बालिका विद्यालय में महज 5 कमरों में 16 क्लासें चल रही हैं. एक रूम में प्रिंसिपल बैठती हैं और उसी में कंप्यूटर क्लासें चलती हैं. वहीं बचे हुए 4 कमरों में पहली से लेकर 12वीं तक की छात्राओं का पढ़ाया जाता है.

पढ़ें: बेटा नहीं होने से आहत महिला ने 2 मासूम बेटियों के साथ टांके में कूदकर दी जान

प्रैक्टिकल के दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है

विद्यालय में 800 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं और आर्ट्स, होम साइंस, जियोग्राफी जैसे सब्जेक्ट हैं. स्टाफ भी पूरा है, लेकिन छात्राओं को बैठाने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है. एक रूम में दो-दो कक्षाएं दीवार बनाकर संचालित की जा रही हैं. एक रूम में लाइब्रेरी व क्लास संचालित है तो किसी रूम में स्टाफ रूम के साथ-साथ बच्चियों की पढ़ाई संचालित हो रही है. हालात यह है कि प्रैक्टिकल करवाने के लिए भी छात्राओं को दूसरे विद्यालय में भेजना पड़ता है.

बालिका शिक्षा ऑड-ईवन के भरोसे

ऑड-ईवन से चल रही हैं कक्षाएं

प्रिंसिपल कृष्णा शर्मा ने कहा कि विद्यालय का स्टाफ और छात्राएं सभी मेहनती हैं. यह विद्यालय जिले की सर्वाधिक छात्रा संख्या वाला विद्यालय हैं. बोर्ड परीक्षा में दो बार जिले में सबसे बेहतरीन परिणाम भी छात्राओं ने दिया है. लेकिन उसके बावजूद भी विद्यालय में छात्राओं को बैठाने के लिए रूम नहीं हैं. जिसके चलते प्राइमरी कक्षाओं को अलग से पुराने स्कूल भवन में शिफ्ट करना पड़ा है. बाकी की कक्षाओं को ऑड-ईवन के हिसाब से चलाया जा रहा है. विद्यालय में पीने के पानी तक की समस्या है.

पीने के पानी की समस्या

प्रिंसिपल ने कहा कि विद्यालय विकास फंड से जैसे-तैसे करके पानी के टैंकर मंगवाए जाते हैं. महीने में 7 से 10 पानी के टैंकर मंगवाकर छात्राओं के पीने के लिए पानी की व्यवस्था की जा रही है. विद्यालय भवन के चारदीवारी नहीं होने से टंकियों में भरा हुआ पानी ग्रामीण भर के ले जाते हैं. लेकिन इस ओर ना ही कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहा है और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारी और मंत्री.

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम मीणा ने कहा कि विद्यालय में भवन के अभाव में प्राइमरी एजुकेशन को दूसरे पुराने भवन में शिफ्ट किया गया है. यदि और अधिक समस्या होती है तो अपर प्राइमरी को भी दूसरे भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा. जहां छात्राओं को बैठाने के लिए कमरे नहीं हैं वहां कोरोना जैसी महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कैसे करवाई जायेगी.

दौसा. जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय भांडारेज में सबसे अधिक छात्राएं पढ़ती हैं. लेकिन विद्यालय मूल सुविधाओं से वंचित है. सरकारें बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नारे तो खूब देती हैं लेकिन जमीन पर इस दिशा में कोई सीरियस कदम दिखाई नहीं देता. भांडारेज बालिका विद्यालय में महज 5 कमरों में 16 क्लासें चल रही हैं. एक रूम में प्रिंसिपल बैठती हैं और उसी में कंप्यूटर क्लासें चलती हैं. वहीं बचे हुए 4 कमरों में पहली से लेकर 12वीं तक की छात्राओं का पढ़ाया जाता है.

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प्रैक्टिकल के दूसरे स्कूल में जाना पड़ता है

विद्यालय में 800 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं और आर्ट्स, होम साइंस, जियोग्राफी जैसे सब्जेक्ट हैं. स्टाफ भी पूरा है, लेकिन छात्राओं को बैठाने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है. एक रूम में दो-दो कक्षाएं दीवार बनाकर संचालित की जा रही हैं. एक रूम में लाइब्रेरी व क्लास संचालित है तो किसी रूम में स्टाफ रूम के साथ-साथ बच्चियों की पढ़ाई संचालित हो रही है. हालात यह है कि प्रैक्टिकल करवाने के लिए भी छात्राओं को दूसरे विद्यालय में भेजना पड़ता है.

बालिका शिक्षा ऑड-ईवन के भरोसे

ऑड-ईवन से चल रही हैं कक्षाएं

प्रिंसिपल कृष्णा शर्मा ने कहा कि विद्यालय का स्टाफ और छात्राएं सभी मेहनती हैं. यह विद्यालय जिले की सर्वाधिक छात्रा संख्या वाला विद्यालय हैं. बोर्ड परीक्षा में दो बार जिले में सबसे बेहतरीन परिणाम भी छात्राओं ने दिया है. लेकिन उसके बावजूद भी विद्यालय में छात्राओं को बैठाने के लिए रूम नहीं हैं. जिसके चलते प्राइमरी कक्षाओं को अलग से पुराने स्कूल भवन में शिफ्ट करना पड़ा है. बाकी की कक्षाओं को ऑड-ईवन के हिसाब से चलाया जा रहा है. विद्यालय में पीने के पानी तक की समस्या है.

पीने के पानी की समस्या

प्रिंसिपल ने कहा कि विद्यालय विकास फंड से जैसे-तैसे करके पानी के टैंकर मंगवाए जाते हैं. महीने में 7 से 10 पानी के टैंकर मंगवाकर छात्राओं के पीने के लिए पानी की व्यवस्था की जा रही है. विद्यालय भवन के चारदीवारी नहीं होने से टंकियों में भरा हुआ पानी ग्रामीण भर के ले जाते हैं. लेकिन इस ओर ना ही कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहा है और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारी और मंत्री.

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम मीणा ने कहा कि विद्यालय में भवन के अभाव में प्राइमरी एजुकेशन को दूसरे पुराने भवन में शिफ्ट किया गया है. यदि और अधिक समस्या होती है तो अपर प्राइमरी को भी दूसरे भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा. जहां छात्राओं को बैठाने के लिए कमरे नहीं हैं वहां कोरोना जैसी महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कैसे करवाई जायेगी.

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