दौसा. जिले में कोरोना महामारी के बाद खुलने वाले शिक्षण संस्थानों को लेकर निजी शिक्षण संस्थान सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट कर रहे हैं. कोरोना महामारी में बंद हुए शिक्षण संस्थानों को खुलवाने की मांग करने वाले निजी शिक्षण संस्थान ही अब स्कूल खोलने की गाइडलाइन को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं.
निजी शिक्षण संस्थान संघ के संरक्षक डॉ. प्रभु दयाल शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार लंबे समय के बाद शिक्षण संस्थान खोलने जा रही है. जिसके चलते उन्होंने कोरोना महामारी की गाइडलाइन जारी की है, उसमें बिंदु संख्या 11 के अनुसार यदि किसी बालक को कोरोना हो जाता है, तो उसमें सारी जिम्मेदारी स्कूल वालों के ऊपर डाली गई है.
प्रभु दयाल शर्मा ने बताया कि स्कूल में किसी बच्चे को कोरोना हो जाता है, तो उसको स्कूल संचालक ही अस्पताल में ले जाकर भर्ती करवाएगा. उसके इलाज की सारी जिम्मेदारी भी संस्थान के ऊपर ही होगी. ऐसे में यह सरकार की निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ षडयंत्र पूर्वक नीति है. इस तरह के आदेशों से सरकार निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ धनात्मक नीति अपनाकर बंद करना चाहती है.
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ऐसे में सरकार की नीति का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. शर्मा ने बताया कि किसी बालक के कोई बीमारी हो जाती है, तो शिक्षण संस्थान वाले उसे जाकर अस्पताल में भर्ती तो करवा सकते हैं, लेकिन इलाज का खर्चा वहन कहां से करेंगे और महामारी के चलते पिछले कई महीनों से संस्थान बंद है. स्कूलों के पास बिल्डिंग का किराया, स्कूल की गाड़ियों के किश्त के पैसे भी नहीं है. ऐसे में सरकार और एक्स्ट्रा खर्चा डाल रही है. इसका सभी निजी शिक्षण संस्थान वाले विरोध कर रहे हैं.