दौसा. जिले में सिकराय और लालसोट विधानसभा क्षेत्रों के करीब डेढ़ दर्जन गांवों में आज भी लोग परंपरागत तौर तरीकों से जीते हैं. आजादी के 73 साल बाद भी इन गांवों तक सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं पहुंच पाया. यहां पहाड़ी क्षेत्र होने से मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करते. जिससे इनकी जिंदगी दुनिया के अन्य भागों से कटी सी रहती है.
वैक्सीनेशन के लिए सरकार ने एप के जरिए रजिस्ट्रेशन कराने की शर्त रखी है. लेकिन जहां मोबाइल नेटवर्क ही नहीं मिलता वहां लोग वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करा पाएंगे. लिहाजा यहां के लोगों के लिए वैक्सीनेशन अभियान सिर्फ मजाक बनकर रह गया है. लोगों को वैक्सीन लगवाना होता है तो दूसरे शहर जाकर रजिस्ट्रेशन कराते हैं, तब नंबर आता है. फिलहाल गांव में मोबाईल नेटवर्क नहीं होने से कोरोना की दूसरी लहर में लोग अपने नौनिहालों के लिए वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुक करवाने जैसी सुविधाओं से वंचित ही हैं.
केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया का भी यहां कोई असर नजर नहीं आता. हालांकि अब इन पहाड़ी क्षेत्रों में डामर सड़क का निर्माण हो चुका है. जिससे इनका आवागमन सुलभ हुआ है.
पढ़ें- देसी मौसम विज्ञान : टिटहरी ने दिए 4 अंडे...यानी इस बार अच्छे मानसून के संकेत
कोरोना काल में इन लोगों का जीवन कष्टमय बीत रहा है. रोजगार के लिए बाहर निकलने वाले लोग कोरोना के चलते घर बैठे हैं. सरकारी स्कूलों में उगे घास-फूस बयां करते हैं कि स्कूलों में महीनों से कोई गतिविधि नहीं हो रही है. मोबाइल नेटवर्क नहीं आने से बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज का भी फायदा नहीं मिल रहा.
इन दूर-दराज के गांवों में उच्च अधिकारी भी नहीं पहुंच पाते. ऐसे में जमीनी हकीकत उच्च स्तर तक नहीं पहुंचती. इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व राज्य सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और मंत्री परसाली लाल करते हैं. यह सांसद जसकौर मीणा का भी क्षेत्र है. लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि ये लोग चुनाव के दौरान किए वादे पूरे नहीं करते.
सरकारें डिजिटल युग की बात करती हैं लेकिन इन गाँवों की तस्वीर देखकर नहीं लगता कि हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं.