दौसा. दौसा नगर परिषद सभापति के भाग्य का फैसला रविवार को होगा. नगर परिषद सभापति की दौड़ में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से एक-एक प्रत्याशी शामिल हैं. कांग्रेस से ममता चौधरी तो भाजपा से अलका तिवारी मैदान में हैं. हालांकि कांग्रेस के पास अधिक मत होने के चलते कांग्रेस का सभापति बनना लगभग तय है, लेकिन निर्दलीयों का बोलबाला अधिक होने के चलते भाजपा भी जोड़-तोड़ में लगी हुई है.
दौसा जिले का अब तक इतिहास रहा है कि यहां पर अधिकांश नगर परिषद सभापति के लिए क्रॉस वोटिंग होती है, जिसके चलते शहर के हालात अभी भी असमंजस में हैं. कांग्रेस के पास अधिक पार्षद होने के चलते पार्टी अपना सभापति आसानी से बना सकती है. सभापति बनने के लिए 28 मत की आवश्यकता है और कांग्रेस के पास 24 पार्षद हैं, तो महज 4 निर्दलीयों का सपोर्ट लेकर कांग्रेस अपना सभापति बना सकती है. क्रॉस वोटिंग के इतिहास को देखते हुए कांग्रेस में डर का माहौल बना हुआ है.
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वहीं भाजपा के पास 15 पार्षद हैं, लेकिन भाजपा निर्दलीयों को साथ में लेकर अपना सभापति बनाने का दावा कर रही है. रविवार को शहर के सभापति के भाग्य का फैसला होगा. इसके लिए पिछले 7 दिन से बाड़ाबंदी में शहर से कोसों दूर घूम रहे पार्षद दौसा लौटकर अपना मतदान कर के सभापति का चुनाव करेंगे. इसके लिए उप जिला कलेक्टर पुष्कर मित्तल के नेतृत्व में नगर परिषद में चुनाव की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं.
मतदान को लेकर तैयारियां पूरी
नगर परिषद में 20 दिसंबर को होने वाले सभापति के चुनावों को लेकर प्रशासन ने तैयारियां पूर्ण कर ली हैं. दौसा में काफी वर्षों बाद कांग्रेस अपना बोर्ड बनाने के लिए पूरी तैयारी में है. रिटर्निंग अधिकारी पुष्कर मित्तल ने मतदान कक्ष का निरीक्षण किया. निरीक्षण में खामियों के लिए आवश्यक दिशा निर्देश देकर तैयारियां पूर्ण करने के निर्देश दिए.
गौरतलब है कि नगर परिषद में कांग्रेस के 24 पार्षद, भाजपा के 15 पार्षद, बहुजन समाजवादी पार्टी के 2 पार्षद सहित 14 निर्दलीय निर्वाचित हुए हैं, जिसके चलते दोनों ही दल बाड़ा बंदी कर अपना सभापति बैठाने के प्रयास में हैं. हालांकि सूत्रों के अनुसार अबकी बार कांग्रेस का बोर्ड बनना तय है.