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दौसा: स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं देने से नाराज लोगों का कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन

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Published : Aug 27, 2020, 4:44 PM IST

पूरे देश में फैले कोरोना के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. वहीं, दूसरी तरफ दौसा में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर चल रहे कार्य में कंपनी स्थानीय लोगों को रोजगार ना देकर बाहरी लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रही है. जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है. इस समस्या को लेकर गुरुवार को स्थानीय लोग जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर पीयूष समारिया को ज्ञापन सौंपा.

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दौसा में स्थानीय लोगों को काम नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

दौसा. एक तरफ तो कोरोना संकट के चलते लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर चल रहे निर्माण कार्यों में भी स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जहां देश के प्रधानमंत्री लोकल के लिए वोकल होने की बात कह रहे हैं, वहीं दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर रही कंपनी स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं देकर बाहरी लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रही है.

दौसा में स्थानीय लोगों को काम नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

जिसके चलते दौसा जिले के स्थानीय लोग जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर पीयूष समारिया को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान लोगों ने कलेक्टर से मांग करते हुए कहा कि दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण में उनके डंपर, जेसीबी और अन्य वाहन लगाए जाएं ताकि स्थानीय लोगों के वाहन एक्सप्रेस-वे के निर्माण में काम आ सके और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कंपनी की ओर से लोकल वाहनों को लगाने के लिए मना कर दिया है, जिससे स्थानीय लोग बेरोजगार हैं और परेशान होकर आंदोलन करने को मजबूर हो रहे हैं.

गुर्जर समाज के प्रदेश अध्यक्ष मनफूल सिंह ने बताया कि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस हाईवे निर्माण में स्थानीय लोगों की जमीन अधिग्रहण तो कर ली, लेकिन अब उन्हें निर्माण के दौरान रोजगार नहीं दिया जा रहा, निर्माण कार्य में शुरुआती समय में मिट्टी डालने के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया.

पढ़ें- श्राद्ध पक्ष समाप्‍त होते ही लग जाएगा अधिकमास, 165 साल बाद बनेगा अद्भुत संयोग

इस दौरान लोगों ने अपने जेसीबी, ट्रैक्टर-ट्रॉली, डंपर सहित अन्य कई मशीनें साधन खरीद लिए कि जब तक निर्माण कार्य चलेगा उन्हें रोजगार दिया जाएगा, लेकिन अब कंपनी ठेकेदार की ओर से मनमर्जी करते हुए बाहर से अन्य जिलों में अन्य प्रदेशों से लेबर बुलाकर स्थानीय लोगों को बेरोजगार कर दिया. जिसके चलते स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए.

वहीं, निर्माण कार्य करने के लिए डंपर जेसीबी ट्रैक्टर लोगों ने खरीदे थे उनकी फाइनेंस की किस्त देना भी दूभर हो गया, ऐसे में यदि निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं दिया जाता है तो हमें मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा.

दौसा. एक तरफ तो कोरोना संकट के चलते लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर चल रहे निर्माण कार्यों में भी स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जहां देश के प्रधानमंत्री लोकल के लिए वोकल होने की बात कह रहे हैं, वहीं दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर रही कंपनी स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं देकर बाहरी लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रही है.

दौसा में स्थानीय लोगों को काम नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

जिसके चलते दौसा जिले के स्थानीय लोग जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर पीयूष समारिया को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान लोगों ने कलेक्टर से मांग करते हुए कहा कि दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण में उनके डंपर, जेसीबी और अन्य वाहन लगाए जाएं ताकि स्थानीय लोगों के वाहन एक्सप्रेस-वे के निर्माण में काम आ सके और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कंपनी की ओर से लोकल वाहनों को लगाने के लिए मना कर दिया है, जिससे स्थानीय लोग बेरोजगार हैं और परेशान होकर आंदोलन करने को मजबूर हो रहे हैं.

गुर्जर समाज के प्रदेश अध्यक्ष मनफूल सिंह ने बताया कि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस हाईवे निर्माण में स्थानीय लोगों की जमीन अधिग्रहण तो कर ली, लेकिन अब उन्हें निर्माण के दौरान रोजगार नहीं दिया जा रहा, निर्माण कार्य में शुरुआती समय में मिट्टी डालने के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया.

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इस दौरान लोगों ने अपने जेसीबी, ट्रैक्टर-ट्रॉली, डंपर सहित अन्य कई मशीनें साधन खरीद लिए कि जब तक निर्माण कार्य चलेगा उन्हें रोजगार दिया जाएगा, लेकिन अब कंपनी ठेकेदार की ओर से मनमर्जी करते हुए बाहर से अन्य जिलों में अन्य प्रदेशों से लेबर बुलाकर स्थानीय लोगों को बेरोजगार कर दिया. जिसके चलते स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए.

वहीं, निर्माण कार्य करने के लिए डंपर जेसीबी ट्रैक्टर लोगों ने खरीदे थे उनकी फाइनेंस की किस्त देना भी दूभर हो गया, ऐसे में यदि निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं दिया जाता है तो हमें मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा.

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