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दौसाः वन विभाग की टीम जान पर खेलकर कर रही वन्य जीव-जंतुओं का रेस्क्यू

दौसा में वन विभाग की टीम संसाधनों के अभाव में जान पर खेलकर कर रही है वन्य जीव जंतुओं को रेस्क्यू, जिले के कुंडल वन पहाड़ी क्षेत्र के में निकले जरख को संसाधनों के अभाव में वन विभाग की टीम ने रस्सी पर डंडों से रेस्क्यू कर नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया है.

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वन्य जीव जंतुओं को रेस्क्यू
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Published : Apr 28, 2020, 2:34 PM IST

दौसा. कुंडल पहाड़ी क्षेत्र के ग्राम पंचायत चोबड़ीवाला में पहाड़ की तलहटी में एक घायल जरख का कुण्डल वनपाल नाका की टीम ने जान पर खेलकर रेस्क्यू किया. गौरतलब है कि चोबड़ीवाला के पहाड़ की तलहटी में एक जरख घायलावस्था में चीखता और दर्द के मारे कराहता मिला था. जरख के चीखने और कराहने की आवाज सुनकर ग्रामीण पहले तो घबरा गए. फिर हिम्मत जुटाकर कुछ ग्रामीण लाठी लेकर मौके पर पहुंचे तो जरख घायलावस्था में पड़ा मिला.

वन्य जीव जंतुओं को रेस्क्यू

ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची वनपाल नाका टीम के कर्मचारियों ने जरख के घायलावस्था में होने की सूचना कुण्डल फोरेस्टर को दी. कुण्डल फोरेस्टर लोकेन्द्र सिंह उड़नदस्ते की गाडी लेकर कर्मचरियों के साथ मौके पर पहुंचे. संसाधन के अभाव में उन्होंने लाठी और रस्सी की सहायता से जरख को पकड़ने का रेस्क्यू शुरू किया. वहीं करीब डेढ़ घण्टे की मशक्कत के बाद वनकर्मी रेस्क्यू करने में सफल हुए.

पढ़ेंः लॉकडाउन में शराब माफिया सक्रिय, जयपुर पुलिस ने जब्त की 20 लीटर हथकढ़ शराब

ग्रामीणों का कहना है कि इस दौरान चार बार जरख ने हमला करने का प्रयास भी किया. इस रेस्क्यू को देखने के लिए सैकड़ो ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी पड़ी. वन विभाग की टीम ने काफी मशक्कत के बाद जरख को पकड़कर गाड़ी में डालकर कुण्डल पशु चिकित्सालय लेकर पहुंचे. पशु चिकित्सक ने डरते डरते वनकर्मियों की सहायता से घायल जरख का उपचार किया. जिसके बाद टीम उसे लेकर नहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर के लिए लेकर रवाना हो गई.

कुण्डल फॉरेस्टर लोकेन्द्र सिंह गुर्जर ने बताया कि प्रथम दृष्टया जरख के घायल होने का कारण शिकार करते समय सेइ से मुकाबला होना माना जा रहा है. साथ ही जरख के गले में दो सेई के कंटीले कांटे (सूल) चुभे हुए मिले है. जिसे कुण्डल पशु चिकित्सक ने जैसे-तैसे करके बाहर निकाला है.

पढ़ेंः जयपुर: पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद संजय सर्किल के चिन्हित इलाके में लगाया गया कर्फ्यू

गौरतलब है कि कुंडल पहाड़ी क्षेत्र में कई बार जंगली जीव जंतुओं का मूवमेंट देखने को मिला है. वह तकरीबन पिछले 3 माह पूर्व एक लियोपार्ड पेड़ पर चढ़ाने से ग्रामीणों में दहशत फैल गई थी जिसे वन विभाग की टीम ने जयपुर से टीम बुलवाकर तकरीबन 5 घंटे के बाद कब्जे में किया गया था. ऐसे में दौसा वन विभाग की टीम के पास वन्य जीव जंतु के लिए कोई संसाधन नहीं है.

दौसा. कुंडल पहाड़ी क्षेत्र के ग्राम पंचायत चोबड़ीवाला में पहाड़ की तलहटी में एक घायल जरख का कुण्डल वनपाल नाका की टीम ने जान पर खेलकर रेस्क्यू किया. गौरतलब है कि चोबड़ीवाला के पहाड़ की तलहटी में एक जरख घायलावस्था में चीखता और दर्द के मारे कराहता मिला था. जरख के चीखने और कराहने की आवाज सुनकर ग्रामीण पहले तो घबरा गए. फिर हिम्मत जुटाकर कुछ ग्रामीण लाठी लेकर मौके पर पहुंचे तो जरख घायलावस्था में पड़ा मिला.

वन्य जीव जंतुओं को रेस्क्यू

ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची वनपाल नाका टीम के कर्मचारियों ने जरख के घायलावस्था में होने की सूचना कुण्डल फोरेस्टर को दी. कुण्डल फोरेस्टर लोकेन्द्र सिंह उड़नदस्ते की गाडी लेकर कर्मचरियों के साथ मौके पर पहुंचे. संसाधन के अभाव में उन्होंने लाठी और रस्सी की सहायता से जरख को पकड़ने का रेस्क्यू शुरू किया. वहीं करीब डेढ़ घण्टे की मशक्कत के बाद वनकर्मी रेस्क्यू करने में सफल हुए.

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ग्रामीणों का कहना है कि इस दौरान चार बार जरख ने हमला करने का प्रयास भी किया. इस रेस्क्यू को देखने के लिए सैकड़ो ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी पड़ी. वन विभाग की टीम ने काफी मशक्कत के बाद जरख को पकड़कर गाड़ी में डालकर कुण्डल पशु चिकित्सालय लेकर पहुंचे. पशु चिकित्सक ने डरते डरते वनकर्मियों की सहायता से घायल जरख का उपचार किया. जिसके बाद टीम उसे लेकर नहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर के लिए लेकर रवाना हो गई.

कुण्डल फॉरेस्टर लोकेन्द्र सिंह गुर्जर ने बताया कि प्रथम दृष्टया जरख के घायल होने का कारण शिकार करते समय सेइ से मुकाबला होना माना जा रहा है. साथ ही जरख के गले में दो सेई के कंटीले कांटे (सूल) चुभे हुए मिले है. जिसे कुण्डल पशु चिकित्सक ने जैसे-तैसे करके बाहर निकाला है.

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गौरतलब है कि कुंडल पहाड़ी क्षेत्र में कई बार जंगली जीव जंतुओं का मूवमेंट देखने को मिला है. वह तकरीबन पिछले 3 माह पूर्व एक लियोपार्ड पेड़ पर चढ़ाने से ग्रामीणों में दहशत फैल गई थी जिसे वन विभाग की टीम ने जयपुर से टीम बुलवाकर तकरीबन 5 घंटे के बाद कब्जे में किया गया था. ऐसे में दौसा वन विभाग की टीम के पास वन्य जीव जंतु के लिए कोई संसाधन नहीं है.

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