दौसा. श्रम कानून में बदलाव से नाराज भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारों ने श्रम कानून में संशोधन करते हुए उसको मजदूरों के खिलाफ बना दिया है.
मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि एक तो मजदूर वर्ग लॉकडाउन से परेशान है. दूसरा अब सरकार भी मजदूरों की विरोधी नजर आ रही है. कोरोना महामारी के चलते प्रवासी मजदूरों को सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही. लोग काम नहीं मिलने से परेशान हैं. ऐसे में सरकार श्रम कानून में संशोधन करके मजदूरों को और परेशान कर रही है. मजदूरों के अधिकारों का हनन कर रही है, ये भारतीय मजदूर संघ किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं करेगा. यदि मजदूरों के अधिकारों का हनन होता है तो हम आगे आंदोलन करेंगे.
भारतीय मजदूर संघ के जिला ममंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बीच भारत एक नाजुक स्थिति से गुजर रहा है. इसके दौरान सरकार ट्रेड यूनियनों, औद्योगिक संगठनों, राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों को इस संकट से उबरने और पुनरुत्थान के लिए मिलकर काम करना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र और विभिन्न राज्य की सरकार दोनों की गलत नीतियों के कारण श्रम से जुड़े हुए कुछ मुद्दों को अत्यधिक हानि हुई है. जिसके चलते केंद्र और राज्य सरकार के नाम ज्ञापन दिया है.
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साथ ही कहा कि कलेक्टर को पांच सूत्रीय मांग पत्र दिया गया है. जिसमें श्रमिकों की दयनीय स्थिति में सुधार, निजी क्षेत्र में नौकरियों का बड़ा नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो, श्रम कानून में बदलाव मजदूरों के हित में हो, अंधाधुंध निजीकरण में कमी लाने सहित विभिन्न मांगे हैं. देश के आर्थिक विकास के लिए केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज और साथ ही भारत के श्रमिकों किसानों और छोटे उद्योगों को आत्मनिर्भरता के तीन स्तंभ बनाने का जो फैसला लिया है. उसका स्वागत करते हैं, हम लेकिन इसका लाभ मजदूर वर्ग को मिले इसे सुनिश्चित किया जाए. सरकार और श्रम मंत्रालय ऑनलाइन तंत्र के बावजूद ट्रेड यूनियनों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है.