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चूरू: बेटे की चाह में महिला ने 12 बार सही प्रसव पीड़ा - 11 बेटियों के बाद महिला ने बेटे को दिया जन्म

जिले की तारानगर तहसील के झाड़सर गांव में एक ऐसा वाक्या सामने आया है जो आपको हैरान कर देगा. झाड़सर गांव की एक महिला ने 12 बार प्रसव पीड़ा सहन की क्योंकि उसे एक बेटा चाहिए था. महिला को अपनी 11 बेटियों के नाम तक ठीक से याद नहीं हैं, लेकिन बेटा पैदा होने पर वो बहुत खुश है.

बेटे की चाह में महिला ने 12 बार सही प्रसव पीड़ा, In the desire of son, woman has to suffer 12 times of childbirth
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Published : Nov 22, 2019, 5:49 PM IST

चूरू. सरकार भले ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे. लेकिन जब तक हमारे समाज में बेटों की चाह में प्रसव होते रहेंगे तब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाई गई सरकारी योजनाएं फेल साबित होती रहेंगी. ठीक ऐसा ही एक मामला जिले की तारानगर तहसील के झाड़सर गांव से सामने आया है.

बेटे की चाह में महिला ने 12 बार सही प्रसव पीड़ा

जहां एक मां ने बेटे की चाहत में 11 बेटियों को जन्म दे दिया. झाड़सर गांव की गुड्डी ने बेटे की चाहत में 12 बार प्रसव पीड़ा सहन की. 20 नवंबर को गुड्डी को चूरू के राजकीय भरतिया अस्पताल में स्थित मातृ एंव शिशु अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां उसने अब बेटे को जन्म दिया है. गुड्डी को अपनी 11 बेटियों के नाम भी ठीक से याद नहीं हैं, लेकिन बेटा पैदा होने के बाद से गुड्डी खुश है.

गुड्डी ने बताया कि गांव के लोग बेटा नहीं होने पर उसे ताना दिया करते थे और उसका पति भी वंश बढ़ाने के लिए बेटा चाहता था. गुड्डी का पति कृष्ण कुमार गांव के ही भट्टे पर चाय पानी की थड़ी चलाता है. बता दें कि गुड्डी अपनी तीन बेटियों की शादी भी करवा चुकी है. जिनमें से एक की शादी धीरवास और दो की शादी नापासर में हुई है.

पढ़ें: B.Tech छात्रा के साथ दुष्कर्म करने वाले तांत्रिक को आजीवन कारावास की सजा

रोचक बात तो यह है कि गुड्डी का नवजात बेटा जन्म के साथ मामा भी बन गया है क्योंकि उसकी बड़ी बहन के बच्चे भी हैं. गुड्डी ने बताया कि उसकी तीन बेटियां प्राइवेट स्कूल में और बाकी सरकारी स्कूल में पढ़ती है, दो छोटी बेटियां अभी घर में रहती हैं.

वहीं, एक ताजा रिसर्च के मुताबिक भारत में अत्यधिक बेटियां पैदा होना सन मेटा प्रिफरेंस का नतीजा है. यानी कि वे बेटियां जिनका जन्म सिर्फ बेटों की चाहत में होता गया. इस रिसर्च के लिए एसआरएलसी यानी सेक्स रेश्यो ऑफ लास्ट चाइल्ड के मापदंड को आधार बनाया गया है.

चूरू. सरकार भले ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे. लेकिन जब तक हमारे समाज में बेटों की चाह में प्रसव होते रहेंगे तब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाई गई सरकारी योजनाएं फेल साबित होती रहेंगी. ठीक ऐसा ही एक मामला जिले की तारानगर तहसील के झाड़सर गांव से सामने आया है.

बेटे की चाह में महिला ने 12 बार सही प्रसव पीड़ा

जहां एक मां ने बेटे की चाहत में 11 बेटियों को जन्म दे दिया. झाड़सर गांव की गुड्डी ने बेटे की चाहत में 12 बार प्रसव पीड़ा सहन की. 20 नवंबर को गुड्डी को चूरू के राजकीय भरतिया अस्पताल में स्थित मातृ एंव शिशु अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां उसने अब बेटे को जन्म दिया है. गुड्डी को अपनी 11 बेटियों के नाम भी ठीक से याद नहीं हैं, लेकिन बेटा पैदा होने के बाद से गुड्डी खुश है.

गुड्डी ने बताया कि गांव के लोग बेटा नहीं होने पर उसे ताना दिया करते थे और उसका पति भी वंश बढ़ाने के लिए बेटा चाहता था. गुड्डी का पति कृष्ण कुमार गांव के ही भट्टे पर चाय पानी की थड़ी चलाता है. बता दें कि गुड्डी अपनी तीन बेटियों की शादी भी करवा चुकी है. जिनमें से एक की शादी धीरवास और दो की शादी नापासर में हुई है.

पढ़ें: B.Tech छात्रा के साथ दुष्कर्म करने वाले तांत्रिक को आजीवन कारावास की सजा

रोचक बात तो यह है कि गुड्डी का नवजात बेटा जन्म के साथ मामा भी बन गया है क्योंकि उसकी बड़ी बहन के बच्चे भी हैं. गुड्डी ने बताया कि उसकी तीन बेटियां प्राइवेट स्कूल में और बाकी सरकारी स्कूल में पढ़ती है, दो छोटी बेटियां अभी घर में रहती हैं.

वहीं, एक ताजा रिसर्च के मुताबिक भारत में अत्यधिक बेटियां पैदा होना सन मेटा प्रिफरेंस का नतीजा है. यानी कि वे बेटियां जिनका जन्म सिर्फ बेटों की चाहत में होता गया. इस रिसर्च के लिए एसआरएलसी यानी सेक्स रेश्यो ऑफ लास्ट चाइल्ड के मापदंड को आधार बनाया गया है.

Intro:चूरू_आज के युग मे अक्सर कहा और सुना जाता है की बेटा और बेटी एक समान यह इसलिए कि हमारी बेटियां भी बेटों से कम नहीं है. लेकिन चूरू जिले के झाड़सर गांव में महज एक 31 वर्षीय महिला ने इसलिए 12 बच्चों को जन्म दे दिया कि उसे बेटी नहीं बेटा चाहे था।


Body:राजस्थान के चुरू जिले की तारानगर तहसील के झाड़सर गांव की 31 वर्षीय गुड्डी ने महज बेटे की चाहत में 12 दफा प्रसव पीड़ा सहन की है. 20 नवंबर को गुड्डी को चूरू के राजकीय भरतिया अस्पताल में स्थित मातृ एव शिशु अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां उसने अब बेटे को जन्म दिया है हालांकि गुड्डी को अपनी 11 बेटियों के नाम भी ठीक से याद नहीं है लेकिन बेटा पैदा होने के बाद गुड्डी खुश भी है।




Conclusion:गुड्डी ने बताया कि गांव के लोग बेटा नही होने पर ताना दिए करते थे और उसका पति भी वंश बढ़ाने के लिए बेटा चाहता था गुड्डी का पति कृष्ण कुमार गांव के ही भट्टे पर चाय पानी की थड़ी चलाता है इस दंपति की बड़ी बेटी 24 वर्ष की है गुड्डी अपनी तीन बेटियों की शादी भी करवा चुकी है. जिनमें एक की शादी धीरवास तथा दो की शादी नापासर में हुई है गुड्डी का नवजात बेटा जन्म के साथ मामा भी बन गया है क्योंकि उससे बड़े उसकी बहन के बेटे हैं गुड्डी ने बताया कि उसकी तीन बेटियां प्राइवेट स्कूल में और बाकी सरकारी स्कूल में पढ़ती है दो छोटी बेटियां अभी घर में रहती है एक ताजा रिसर्च के मुताबिक भारत में 0 से 25 साल की बेटियां सन मेटा प्रिफरेंस का नतीजा है यानी कि वे बेटियां जिनका जन्म सिर्फ बेटों की चाहत में होता गया इस रिसर्च के लिए एसआरएलसी यानी सेक्स रेश्यो ऑफ लास्ट चाइल्ड के मापदंड को आधार बनाया गया है अब भले ही सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दें लेकिन जब तक हमारे समाज में बेटों की चाह में प्रसव होते रहेंगे तब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाई गई सरकारी योजनाएं फैल साबित होती रहेगी

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