चूरू. सरकार भले ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए कितनी भी योजनाएं शुरू कर दे. लेकिन जब तक हमारे समाज में बेटों की चाह में प्रसव होते रहेंगे तब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए बनाई गई सरकारी योजनाएं फेल साबित होती रहेंगी. ठीक ऐसा ही एक मामला जिले की तारानगर तहसील के झाड़सर गांव से सामने आया है.
जहां एक मां ने बेटे की चाहत में 11 बेटियों को जन्म दे दिया. झाड़सर गांव की गुड्डी ने बेटे की चाहत में 12 बार प्रसव पीड़ा सहन की. 20 नवंबर को गुड्डी को चूरू के राजकीय भरतिया अस्पताल में स्थित मातृ एंव शिशु अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां उसने अब बेटे को जन्म दिया है. गुड्डी को अपनी 11 बेटियों के नाम भी ठीक से याद नहीं हैं, लेकिन बेटा पैदा होने के बाद से गुड्डी खुश है.
गुड्डी ने बताया कि गांव के लोग बेटा नहीं होने पर उसे ताना दिया करते थे और उसका पति भी वंश बढ़ाने के लिए बेटा चाहता था. गुड्डी का पति कृष्ण कुमार गांव के ही भट्टे पर चाय पानी की थड़ी चलाता है. बता दें कि गुड्डी अपनी तीन बेटियों की शादी भी करवा चुकी है. जिनमें से एक की शादी धीरवास और दो की शादी नापासर में हुई है.
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रोचक बात तो यह है कि गुड्डी का नवजात बेटा जन्म के साथ मामा भी बन गया है क्योंकि उसकी बड़ी बहन के बच्चे भी हैं. गुड्डी ने बताया कि उसकी तीन बेटियां प्राइवेट स्कूल में और बाकी सरकारी स्कूल में पढ़ती है, दो छोटी बेटियां अभी घर में रहती हैं.
वहीं, एक ताजा रिसर्च के मुताबिक भारत में अत्यधिक बेटियां पैदा होना सन मेटा प्रिफरेंस का नतीजा है. यानी कि वे बेटियां जिनका जन्म सिर्फ बेटों की चाहत में होता गया. इस रिसर्च के लिए एसआरएलसी यानी सेक्स रेश्यो ऑफ लास्ट चाइल्ड के मापदंड को आधार बनाया गया है.