चूरू. पहले कोरोना और अब महंगाई की मार झेल रही जनता ने सरकार से गुहार लगाई है. कोरोना काल में लाखों नौकरियां चली गईं, उद्योग धंधे चौपट हो गए. रोजगार पर असर पड़ा. घर चलाना मुश्किल हो गया. ऐसे में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने आम जनता की कमर ही तोड़ दी है. देखिये यह रिपोर्ट
कोरोना महामारी के बाद बाजार में मंदी का दौर और अब महंगाई की मार झेल रही जनता राज्य और केंद्र की सरकार से राहत की उम्मीदें लगाकर बैठी है. पेट्रोल और डीजल के दामों में हर रोज हो रही बेहताशा वृद्धि ने न सिर्फ लोगों की जेब पर भार डाला है. बल्कि आम आदमी की जरूरतों के सामान को भी हर रोज बढ़ती महंगाई ने पहुंच के बाहर कर दिया है.
पिछले एक साल से आर्थिक तंगी की मार झेल रही जनता ने कोरोना महामारी से निजात मिलते देख राहत की उम्मीदों के बीच फिर से अपनी पटरी से उतरी गाड़ी को ट्रैक पर लाने का प्रयास तो किया लेकिन सीमित आमदनी और बढ़ते खर्चों ने आम आदमी की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
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ईटीवी भारत ने शहर के मध्यमवर्गीय परिवारों, रोजगार की तलाश में घूम रहे बेरोजगारों और घर संभालने वाली कामकाजी महिलाओं से बात की. उनका कहना है कि सरकार राज्य की हो या फिर केंद्र की, वह आम जनता को राहत दे पाने में समर्थ नहीं दिख रही है. न तो महंगाई से राहत मिल रही है और न युवाओं को रोजगार मिल रहा है.
बुजुर्ग महिला हंसकोर ने कहा कि पहले घरेलू गैस सिलेंडर पर सब्सिडी मिलती थी जो अब सरकार ने बंद कर दी. घर के राशन के सामान के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा मोदी सरकार को बहुत सारी उम्मीदों के साथ चुना था. लेकिन सरकार ने आमजनता की भावनाओं की कद्र नहीं की और बढ़ती महंगाई पर लगाम नहीं लगा सकी.
डिग्रियां लेकर घूम रहे बेरोजगार
बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद भी रोजगार की तलाश में घूमने वाले युवा राकेश ने कहा हमने मोदी सरकार को बहुत सारी उम्मीदों के साथ सत्ता में बैठाया था. ये सोचकर कि देश मे महंगाई कम होगी और रोजगार मिलेगा. लेकिन एक भी उम्मीद पर सरकार खरा नहीं उतरी.
उन्होंने कहा कि सरकार ने नए रोजगार के अवसर पैदा करने का वायदा किया था. लेकिन हालात जस के तस हैं. देश में बेरोजगार ज्यादा हैं और रोजगार कम है. योग्यता होने के बावजूद आज योग्य लोग रोजगार की तलाश में अपनी डिग्रियां लेकर घूम रहे हैं.
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राज्य और केंद्र की सरकार को टैक्स घटाना चाहिए
शहर के ही शिव कुमार ने कहा कि समय के साथ महंगाई भी बढ़ना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई से दिहाड़ी मजदूर बहुत प्रभावित हुआ है. राज्य और केंद्र की सरकार को जनता को राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स को घटा देना चाहिए. इससे आम जनता को काफी हद तक राहत मिल सकती है.
2700 रुपए तनख्वाह पाने वाली आशा
महीने की 2700 रुपए तनख्वाह पाने वाली आशा सहयोगिनी पुष्पा शर्मा ने कहा कि उनकी एक महीने की तनख्वाह से सिर्फ घर की सब्जी और दूध आता है. सरकार को आम जनता को राहत देने के उद्देश्य से बढ़ती महंगाई पर लगाम लगानी चाहिए.
घर की रसोई संभालने वाली सुमित्रा ने कहा आमदनी सीमित है और खर्चे अनेक हैं. अकेले पति के कमाने से बच्चों की स्कूल की फीस और घर के खर्चे निकालना मुश्किल है. इसलिए वह इस बढ़ती महंगाई से लड़ने के लिए घर पर सिलाई का काम कर अपने पति का सहयोग कर रही हैं.