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चूरू में खाकी पर लगा दाग, एसआई, एएसआई और एक कांस्टेबल सस्पेंड

चूरू में कोतवाली थाने के एसआई, एएसआई और एक कांस्टेबल पर मामला रफा दफा करने की एवज में रिश्वत लेने के संगीन आरोप लगे है. मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसपी परिस देशमुख के सामने मामला आते ही उन्होंने थाने के इन तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और मामले की जांच सीओ सिटी राहुल यादव को सौंप दी है.

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Published : Aug 18, 2020, 12:56 PM IST

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खाकी पर लगा दाग

चूरू. जिले के कोतवाली थाने के तीन पुलिसकर्मियों के दामन पर दाग लगे है. तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसपी परिस देशमुख को शिकायत मिली थी और इन पर आरोप लगे थे कि कोतवाली थाना के पुलिस के इन जवानों ने मामला रफा करने की एवज में पेटीएम के जरिए 90 हजार रुपए रिश्वत की राशि ली थी.

एसआई, एएसआई और एक कांस्टेबल सस्पेंड

मामले की गम्भीरता और खाकी के इन जवानों पर रिश्वत लेने के संगीन आरोपों के लगते ही एसपी देशमुख ने कोतवाली थाने के सब इंस्पेक्टर रामप्रताप गोदारा, एएसआई सुमेर सिंह, कांस्टेबल (चालक) नन्दलाल को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए है. साथ ही मामले की जांच सीओ सिटी राहुल यादव को सौंप दी है.

पढ़ेंः भारतीय किसान संघ की चेतावनी, 20 अगस्त तक मांगें नहीं मानी तो करेंगे जयपुर कूच

गौरतलब है कि बाद16 अगस्त की रात शहर कोतवाल सुभाष कच्छावा अवकाश पर थे. जिसके चलते थाने का इंचार्ज सब इंस्पेक्टर रामप्रताप गोदारा के पास था. उसी रात एक सूचना पर वो शहर के एक होटल पहुंचे. जहां पर एक मामले में पुलिस ने तीन युवकों को हिरासत में लिया था, होटल के उक्त कमरे में एक लड़की भी थी. लड़की को अपने साथ गलत होने का आभास हुआ था. जिसकी सूचना पर ही होटल में पुलिस पहुंची थी.

जिसके बाद कोतवाली थाना पुलिस ने युवकों को 151 शांति भंग में गिरफ्तार कर लिया है. इसी मामले में एसपी परिस देशमुख को शिकायत मिली थी कि पुलिसकर्मियो ने मामले को रफा दफा करने की एवज में पैसे की मांग की थी और पेटीएम से 90 हजार रुपए लिए गए थे.

सब इंस्पेक्टर को इसलिए पड़ा भारी-

जानकारी के अनुसार सब इंसेक्टर रामप्रताप को थाना इंचार्ज होना भारी पड़ा क्योंकि जिस रात यह पूरा घटनाक्रम हुआ उस रात डिओ ड्यूटी पर एएसआई सुमेर थे और गाड़ी का चालक नन्दलाल था. एसआई रामप्रताप गोदारा पर तो गाज सिर्फ इसलिए गिरी की वह थाना इंचार्ज थे और मामले में एक्शन क्यों नहीं लिया और उच्च अधिकारियों को प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए सूचित क्यों नहीं किया गया.

पढ़ेंः स्पेशल: कोरोना की जद में जयपुर...महज एक Quarantine Center वो भी विदेश से आए प्रवासी राजस्थानियों के लिए

बहरहाल जो भी हो आरोप लगे है, वो संगीन है. जिसको देखते हुए मामले की जांच भी सीओ सिटी को सौंप दी गई है और आगामी जांच में ही साफ होगा कि लगे आरोप कितने सही और कितने गलत है.

चूरू. जिले के कोतवाली थाने के तीन पुलिसकर्मियों के दामन पर दाग लगे है. तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एसपी परिस देशमुख को शिकायत मिली थी और इन पर आरोप लगे थे कि कोतवाली थाना के पुलिस के इन जवानों ने मामला रफा करने की एवज में पेटीएम के जरिए 90 हजार रुपए रिश्वत की राशि ली थी.

एसआई, एएसआई और एक कांस्टेबल सस्पेंड

मामले की गम्भीरता और खाकी के इन जवानों पर रिश्वत लेने के संगीन आरोपों के लगते ही एसपी देशमुख ने कोतवाली थाने के सब इंस्पेक्टर रामप्रताप गोदारा, एएसआई सुमेर सिंह, कांस्टेबल (चालक) नन्दलाल को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए है. साथ ही मामले की जांच सीओ सिटी राहुल यादव को सौंप दी है.

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गौरतलब है कि बाद16 अगस्त की रात शहर कोतवाल सुभाष कच्छावा अवकाश पर थे. जिसके चलते थाने का इंचार्ज सब इंस्पेक्टर रामप्रताप गोदारा के पास था. उसी रात एक सूचना पर वो शहर के एक होटल पहुंचे. जहां पर एक मामले में पुलिस ने तीन युवकों को हिरासत में लिया था, होटल के उक्त कमरे में एक लड़की भी थी. लड़की को अपने साथ गलत होने का आभास हुआ था. जिसकी सूचना पर ही होटल में पुलिस पहुंची थी.

जिसके बाद कोतवाली थाना पुलिस ने युवकों को 151 शांति भंग में गिरफ्तार कर लिया है. इसी मामले में एसपी परिस देशमुख को शिकायत मिली थी कि पुलिसकर्मियो ने मामले को रफा दफा करने की एवज में पैसे की मांग की थी और पेटीएम से 90 हजार रुपए लिए गए थे.

सब इंस्पेक्टर को इसलिए पड़ा भारी-

जानकारी के अनुसार सब इंसेक्टर रामप्रताप को थाना इंचार्ज होना भारी पड़ा क्योंकि जिस रात यह पूरा घटनाक्रम हुआ उस रात डिओ ड्यूटी पर एएसआई सुमेर थे और गाड़ी का चालक नन्दलाल था. एसआई रामप्रताप गोदारा पर तो गाज सिर्फ इसलिए गिरी की वह थाना इंचार्ज थे और मामले में एक्शन क्यों नहीं लिया और उच्च अधिकारियों को प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए सूचित क्यों नहीं किया गया.

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बहरहाल जो भी हो आरोप लगे है, वो संगीन है. जिसको देखते हुए मामले की जांच भी सीओ सिटी को सौंप दी गई है और आगामी जांच में ही साफ होगा कि लगे आरोप कितने सही और कितने गलत है.

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